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H Hetta Narender
ये देश कितना प्यारा है , ये धरती ये आसमाँ कितना खूब उसने इसे सजाया है, दिन में सूरज और रात में चमकता चाँद कितना प्यारा है सजी ये धरती इसकदर कि चमकते तारों की तरह बल्बों का उजाला है, ये देश हमारा दुनियाँ में न्यारा है " {H Hetta Narender} ये देश कितना प्यारा है
ये देश कितना प्यारा है
read moreSumit Gupta
काश समुंद्र के बीचों-बीच में,अपना आशियांना होता.. तुम रोज़ सजती-संवरती मेरे सामने, वो पल भी कितना करारा होता.. वहीं पर एक साथ रहतें, सातों जनम तक हम दोनों.. रोज़ चांद भी मिलने आता हमसे , कितना प्यारा नज़ारा होता.. #कितना#प्यारा#नजर#होता#nojoto
Madanmohan Thakur (मैत्रेय)
कितनी खुबशुरत है,दो शब्द का जुङना, बहना ने भाई की कलाई पर, प्यार बांधा है! कितना प्यारा है दो शब्दो का जुङना,
कितना प्यारा है दो शब्दो का जुङना,
read moreRakesh Lalit
'ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था!' दुनिया भर के ग़मों से अंजान वज़ूद हमारा था, प्यार अग़र कोई करता था तो दिल से करता था, और ये दिल भी प्यार के दो बोलों से ही हारा था, ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था! सुर्खियों में रहने की आदत थी मुझको, ख़ुशनसीब था,हर कदम साथ बड़ों का साया था, जो मिला उसने मुझे मासूम कहकर पुकारा था, ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था! आज भी मेरे भीतर है वो बचपन छुपा सा, लेकिन लोग़ जो बड़े हो गये लेकर ग़ुमान नया सा, नहीं जानते क्या ज़िन्दग़ी का उसूल हमारा था, ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था! मैनें कब दूर जाने की गुज़ारिश की थी ऐ दोस्त तुझसे, ये सच है कि ज़िम्मेदारियों नें तुझे छीन लिया मुझसे, ऐसा भी लगा था कि जाते हुए धीरे से तूने पुकारा था, ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था! सुनहरे सपनों के उस सफ़र में हर किसी पर भरोसा था, आज भी हैं सपने वही लेकिन भरोसा नहीं सब पर, एक था चाँद, कुछ तारे, तब न बादलों का इशारा था, ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था! ©Rakesh Lalit ऐ मेरे बचपन तु कितना प्यारा था #बचपन
ऐ मेरे बचपन तु कितना प्यारा था #बचपन
read moreRakesh Lalit
'ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था!' दुनिया भर के ग़मों से अंजान वज़ूद हमारा था, प्यार अग़र कोई करता था तो दिल से करता था, और ये दिल भी प्यार के दो बोलों से ही हारा था, ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था! सुर्खियों में रहने की आदत थी मुझको, ख़ुशनसीब था,हर कदम साथ बड़ों का साया था, जो मिला उसने मुझे मासूम कहकर पुकारा था, ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था! आज भी मेरे भीतर है वो बचपन छुपा सा, लेकिन लोग़ जो बड़े हो गये लेकर ग़ुमान नया सा, नहीं जानते क्या ज़िन्दग़ी का उसूल हमारा था, ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था! मैनें कब दूर जाने की गुज़ारिश की थी ऐ दोस्त तुझसे, ये सच है कि ज़िम्मेदारियों नें तुझे छीन लिया मुझसे, ऐसा भी लगा था कि जाते हुए धीरे से तूने पुकारा था, ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था! सुनहरे सपनों के उस सफ़र में हर किसी पर भरोसा था, आज भी हैं सपने वही लेकिन भरोसा नहीं सब पर, एक था चाँद, कुछ तारे, तब न बादलों का इशारा था, ऐ मेरे बचपन तू कितना प्यारा था! ©Rakesh Lalit ऐ मेरे बचपन तु कितना प्यारा था #बचपन
ऐ मेरे बचपन तु कितना प्यारा था #बचपन
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