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||स्वयं लेखन||
कोमल काया मूरत, मैं जन्मदात्री भी हूं, मैं ही रणचंडी,काली और नारायणी भी हूं। ©Gunjan Rajput कोमल काया मूरत, मैं जन्मदात्री भी हूं, मैं ही रणचंडी,काली और नारायणी भी हूं। #Poetry #thought #Quote #Women #RespactWomen
कोमल काया मूरत, मैं जन्मदात्री भी हूं, मैं ही रणचंडी,काली और नारायणी भी हूं। Poetry #thought #Quote #Women #RespactWomen
read morevikas Mourey
चली चली रणचंडी करने विनाश रे। दुष्टों को मारने भक्तों को तारने। चली चली रणचंडी करने विनाश रे....। देव लोक भू लोक करते त्राहिमाम रे। चली चली रणचंडी..... विनाश रे। सूरज कापे धरती कापे, कापे आसमान रे। नंदी कापे, भृंगी कापे,कापे कैलाश राज रे। चली चली रणचंडी.... विनाश रे। गले मुंड माल है, हाथ खड़क भाल है। क्रोध की ज्योति से करती प्रकाश है। दैत्य मारे दानव मारे, मारे असुरों के राज रे। चली चली रणचंडी.... विनाश रे। काली काली रात है जोगनिया साथ है, कांप उठा पाताल भी उसकी चिक्कार से, चलता काला भैरव माई के साथ रे। भोग में महारानी करें रक्तपान रे। चली चली रणचंडी...... विनाश रे। देवलोक भूमि का किया बुरा हाल रे। प्रतिशोध की ज्वाला से बिखरा संसार रे। चली चली रणचंडी.... विनाश रे। सारे देव करने लगे रक्षा की गुहार रे। चली चली रणचंडी..... विनाश रे। जब लेटे महादेव चरणन में आन के। तब लोटी महामाई वास्तविक अवतार में। चली चली रणचंडी करने विनाश रे। लेखक - विकास मौर्य✍️✍️ ©vikas Mourey रणचंडी महामाई काली🙏🙏🙏🙏 विकास की कलम के रंग✍✍✍✍
रणचंडी महामाई काली🙏🙏🙏🙏 विकास की कलम के रंग✍✍✍✍
read moreMk Bihari
मनमोहक,सुस्ज्जित रुप हरि भरी है रंगोली प्राकृतिक और कृत्रिम दृष्य एक कमी से भए यहाँ पे सभी के सभी काले-काले। बताओ वह किस चिज कि कमी है? उत्तर उ से है बताओ ©Mk Bihari #काली-काली #Night
Dinesh Yadav
हे नारी! डरो मत तेरे साथ है दुनियां सारी तु तो पहले से लड़ रही हो सीता कभी द्रौपदी बन कभी झांसी की रानी। कभी फूलन देवी तो कभी मणिपुर की आम नारी तेरे लड़ने का है सिलसिला जारी उठो रण चंडी बन जाओ अब न देर करो राह देख रही दुनियां सारी। ©Dinesh Yadav रणचंडी बन जाओ हे भारत की नारी!
रणचंडी बन जाओ हे भारत की नारी!
read moreParasram Arora
टिम टिमाते तारो की. ओकात दो टके की रह जाती हैँ जब चाँद अपने घर से शृंगार करके सैरगाह को गगन क़े पटल पर आ धमकता हैँ.... किन्तु उसकी रौनक को भी चाट जाती हैँ ये छोटी छोटी काली काली बदलिया दीमक की तरह जो भरी हैँ बोझिल हैँ बौछारों क़े भार से पर चाह कर भी बरस नहीं पाती हैँ छोटी छोटी काली काली बदलिया
छोटी छोटी काली काली बदलिया
read moreKavi Abhishek Rajvanshi
है तू सबसे भोली भाली तेरी बात है निराली! पागल बनायें मुझको तेरी जुल्फें काली काली!! अपना बना लूँ तुझको दिल में बसा लूँ तुझको! तेरे लिए ही हमदम मेरा दिल है खाली खाली!! ~अभिषेक राजवंशी (कवि) #जुल्फ़ें काली काली! 😍😘
#जुल्फ़ें काली काली! 😍😘
read moreRavidutt mohta storyteller
कोई तो रहता है जरूर ताबिजे-रूह में वरना रात इतनी काली क्यों होती है ©Ravidutt mohta काली रात काली बात #findyourself
काली रात काली बात #findyourself
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