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Stories related to ईर्ष्या म्हणजे काय

संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु

स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक तरु की दुराशा विधा निजी विचार भाव वास्तविक भवन्तः जानन्ति यत् भवन्तः दोषैः परिपूर्णाः स

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Rakesh frnds4ever

#कोई नहीं था ,,,,,,कहीं नहीं था कोई नहीं है ,,,,,,कहीं नहीं है कोई नहीं है ,,,,,,,,अपना नहीं है यहां नहीं है ,,,,,,,,,,कहीं नहीं है जीव

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Rakesh frnds4ever

#कोई_नहीं_था #कहीं नहीं था कोई नहीं है ,,,,,,,,,कहीं नहीं है कोई नहीं है ,,,,,,,,,अपना नहीं है यहां नहीं है ,,,,,,,,, कहीं नहीं है जीव

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person

#Internationalfamilyday # blood relation family member's family member's is very important 🙏 मेरा सभी से निवेदन हैं अपने माता-पिता को प्रे

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blood relation 
family member's 
family member's is very important 🙏
मेरा सभी से निवेदन हैं अपने माता-पिता को प्रेम स्नेह दें 
अगर उनकी बात बुरी लगे तो मन में ना रखें 
क्योंकि उनके अलावा कोई सहारा देने वाला नहीं हैं 
इस संसार /धरती /दुनिया /पृथ्वी/  में कोई सहारा देने वाला नहीं हैं 
केवल खून के रिश्ते और माता पिता के 
माता-पिता जितना सहारा देते हैं उतना कोई नहीं देगा  
क्योंकि यह दुनिया यह संसार यह धरती यह पृथ्वी 
स्वार्थ पारायण हैं 
मगर कुछ बातों में माता-पिता उतना औलाद को बेटा हो या बेटी को उतना सपोर्ट नहीं कर पाते हैं 
जितना उनको उम्मीद रहता हैं 
मगर इस मतलब की दुनिया में कोई किसी का अपना नहीं हैं 
एक इंसान दूसरे इंसान से ईर्ष्या करता हैं जलन करता हैं नफरत करता हैं 
माता-पिता खून का रिश्ता अगर समझते हैं अपनी औलाद को बेटा हो या बेटी 
और हमें सहारा देते हैं इस दुनिया में उतना कोई नहीं देगा

©person #Internationalfamilyday #
blood relation 
family member's 
family member's is very important 🙏
मेरा सभी से निवेदन हैं अपने माता-पिता को प्रे

N S Yadav GoldMine

#Dussehra {Bolo Ji Radhey Radhey} एक समझदार व्यक्ति वह है, जो दूसरों के गुणों और विशेषताओं को देखता है, और उनसे सीखता है, न की दूसरों से

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
एक समझदार व्यक्ति वह है, जो 
दूसरों के गुणों और विशेषताओं 
को देखता है, और उनसे सीखता 
है, न की दूसरों से तुलना या ईर्ष्या 
करता है, यह गुण उनमें पाये जाते 
हैं, जो भगवान श्री कृष्ण जी की 
सरनागति में रहता है!!

©N S Yadav GoldMine #Dussehra {Bolo Ji Radhey Radhey}
एक समझदार व्यक्ति वह है, जो 
दूसरों के गुणों और विशेषताओं 
को देखता है, और उनसे सीखता 
है, न की दूसरों से

shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Sad_Status जो मुझसे*बुग्ज रखे हुए,हरहाल मेरे साथ हो, धिक्कार हो उनपर और बेशुमार हो//१*ईर्ष्या कुंठा अदु

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White जो मुझसे बुग्ज रखे हुए,हरहाल मेरे साथ हो,
धिक्कार हो उनपर और बेशुमार हो//१
                                   
अदु अब चाले ना चल,कहीं ये न हो तू खुदमे ही
फंसकर मुझसे ताउम्र शर्मसार हो//२

मैं शिरीन हूं तो मुझे दिल में रखता क्यूं नही,अगर
तू तुर्श है तो फिर मेरे दिल से तेरा उतार हो//३

तेरे दीदार को ये चश्म बहुत तमन्नाई है,कहीं ये ना हो
 तु आ गया हो और फिर भी तेरा इंतजार हो//४

खामख्वाह क्यूं करे अब एसों से इसरार,के"शमा" को
नहीं हाजत ऐसो की जो बस दिखावे के यार हो//५
#shamawritesBebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Sad_Status जो मुझसे*बुग्ज रखे हुए,हरहाल मेरे साथ हो,
धिक्कार हो उनपर और बेशुमार हो//१*ईर्ष्या कुंठा
                                   
अदु

Vs Nagerkoti

#Sad_Status सही मायनों में जीवन तकलीफ से ज्यादा और कुछ नहीं जहां आप धोखा तिरस्कार और ईर्ष्या मतलब यही तो देखते हो । खुस तो हम सिर्फ़ दिख

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White जीने का मतलब ये नहीं कि,, खा लिया पी लिया 
और सो गए,,, बल्कि जीवन का पूरा सार हमारे 
EXPERIENCE,, में समाया हुआ है । की आपने 
क्या FACE किया । आपके अपने जीवन के 
अनुभव क्या रहे । आपने यहां क्या महसूस किया,,
आपके नजरिए से जीवन आंखीर कैसा है ।




यही जीवन हैं,,,,

©Vs Nagerkoti #Sad_Status सही मायनों में जीवन 
तकलीफ से ज्यादा और कुछ नहीं 
जहां आप धोखा तिरस्कार और ईर्ष्या 
मतलब यही तो देखते हो । खुस तो 
हम सिर्फ़ दिख

N S Yadav GoldMine

#Sad_Status {Bolo Ji Radhey Radhey} किसी की ईर्ष्या करके मनुष्य उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है, पर अपनी नींद और सुख चैन अवश्य खो देता है, हम ज

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
किसी की ईर्ष्या करके मनुष्य 
उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है,
पर अपनी नींद और सुख चैन
अवश्य खो देता है, हम जो ईर्ष्या 
और निंदा मैं समय हम खराब 
करते हैं, उस समय को भगवान 
श्री कृष्ण की ओर अपने आप को
आकर्षित करने में लगाएं !!

©N S Yadav GoldMine #Sad_Status {Bolo Ji Radhey Radhey}
किसी की ईर्ष्या करके मनुष्य 
उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है,
पर अपनी नींद और सुख चैन
अवश्य खो देता है, हम ज

person

इस कलयुग में मनुष्य ही असुर हैं और आसुरी भी मन के भाव और भावनाएं दूषित हो तो नकारात्मक सोच और विकार ग्रसित कर देती हैं मन के विकार मनके

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इस कलयुग में 
मनुष्य ही 
असुर हैं और आसुरी भी
मन के भाव और भावनाएं दूषित हो 
तो नकारात्मक सोच 
और विकार ग्रसित कर देती हैं 
मन के विकार मनके छह प्रकार के विकार उत्पन्न होते है। इनको छह रीपु भी कहते है। यथा काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, मात्सर्य 
स्वार्थ , ईर्ष्या , क्रोध , अहंकार , घमंड, अभिमान , गुस्सा ,
लालची स्वभाव ,
नास्तिक व्यवहार ,
असत्य ,झूठ ,
अपशब्द , दुष्टता,
यह सब नरक  के द्वार खोलते हैं 
और इन्हीं सबसे मनुष्य की पतन होती हैं

©person इस कलयुग में 
मनुष्य ही 
असुर हैं और आसुरी भी
मन के भाव और भावनाएं दूषित हो 
तो नकारात्मक सोच 
और विकार ग्रसित कर देती हैं 
मन के विकार मनके

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्

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गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान ।
भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।।
धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान ।
देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान ।
जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।।
इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान ।
नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम ।
रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।।
अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान ।
ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब.....

नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव ।
गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।।
झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव ।
धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्
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