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गेसू-ए-ताबदार को और भी ताबदार कर अल्लामा इक़बाल ( पूरी ग़ज़ल अनुशीर्षक में पढ़ें ) #NojotoQuote Allama Iqbal Shayari Allama Iqbal Shayari In Hindi गेसू-ए-ताबदार को और भी ताबदार कर होश ओ ख़िरद शिकार कर क़ल्ब ओ नज़र शिकार कर इश्क़ भी
Allama Iqbal Shayari Allama Iqbal Shayari In Hindi गेसू-ए-ताबदार को और भी ताबदार कर होश ओ ख़िरद शिकार कर क़ल्ब ओ नज़र शिकार कर इश्क़ भी
read moreAnu Verma
मंज़िल कुछ भी नहीं है साहब ये वहम है अपना सोचो आप कुछ भी लेकिन हकीकत यही है मिट्टी में है मिलना.. ©Anu Verma vairagi #बे
Lata Sharma सखी
*बे* यूँ ही बैठी थी, मेरी दोस्त आई और बोली, *अबे!* का कर रही *बे*.. सच अजब लगा.. उसका ये *बे* कर करे बोलना.. और दिमाग सोचने लगा.. कितना बकवास होता है न ये *बे* शब्द भी.. जहां भी लगता है वहीं या तो दर्द देता है या बेड़ा गर्क कर देता है.. परवाह में लगे तो *बेपरवाह* बना देता है, ख्याल में लगे तो किसी को *बेख्याल* कर देता है दखल में लगे तो *बेदखल* कर देता है फिक्र में जो लगे तो *बेफ़िक्र* कर दर्द से दिल भर देता है.. मुरव्वत में लगे तो *बेमुरव्वत* बनाये, वफ़ा में लगे तो *बेवफा* बना दे.. शर्म में लगे तो *बेशर्म* बना लाज ही छीन ले.. गैरत में लगे तो *बेगैरत* बना दे.. और नाम में लगे तो *बेनाम* बना दे, पहचान ही छीन ले.. और तो और अपनी जान में ही लगे तो, सांस छीन *बेजान* बना देता है.. सच ही है ये *बे* शब्द बेड़ा गर्क कर देता है, मन को दर्द से भर देता है... ©Lata Sharma सखी #बे
aazad parinda
ki कुछ इधर कुछ उधर, प्यार का इंतेजार हो रहा है हमारा ईश्क हाथों से जा रहा है और में भी आता हू,online उसकी मौजूदगी पाने को वो समझता ही नही,किसी के उदास हो जाने को इस दिल्लगी को हमे भी आजमाना था मेने कुछ कहा था,उसे ये समझाना था देख कही फिर, न ईश्क को मुताशीर हो जाऊ मैं भीड़ बहुत है,तन्हाई की ,देख कही फिर तन्हा न हो जाऊ मैं by........ शायर गुमनाम(2.0) ©Ajay kumar jabdoliya बे बसी
बे बसी
read morePoonam Jain
तेरे साथ में अकेलेपन जैसा मजा कहा था, इसीलिए तुझ से ज्यादा time मैं अकेले में बिताती हूं, तुझे पा सकूं मेरे हाथ में ऐसी लकीर कहा, ये बात अलग है कि तुझे आज भी बे इंतेहा चाहती हूं ©Poonam Jain बे इंतेहा
बे इंतेहा
read moreRakesh Kumar
रात चाँद की, बात बरसात की, यादें फरेब की : और सब फिज़ूल || इस बूंदाबांदी के हिरासत में सिर्फ रातें नहीं, कईं शामें भी कैद होंगी || सर्द का एहसास सिर्फ समा को नहीं, शायद चंद दिलों को भी आगाज़ होंगी || कुछ खैयालों में उलझें, करवटों का सहारा लेंगे || कुछ चाँद को ताकते, अपने यादों को आंक लेंगे || फिर , कुछ गुफ्तगू व रूबरू के फरेब से खेल जाएंगे|| यूँ तो यादें फिजूल हैं, पर नादान भी, कोई नहीं, इसको भी ज़रा सा झेल जाएंगे ||🤭 #बे-रंग
#बे-रंग
read moreSagar Naggrewal
बे रंग सी इस ज़िन्दगी में, अब क्या होली के रंग भरूँ,,, जब चाँद ही चला गया तन्हा छोड हमें, इन अँधेरो से फिर क्या शिकवा करूँ,,,✍ ©Sagar Naggrewal बे रंग
बे रंग
read moreAnuj Ray
बे वजह क्यों अभी भी देखते हो सपना ? सब कुछ तो ख़त्म हो गया अपना.. ज़िंदगी मुफ़्त में बर्बाद न करो, "बे वजह" मुझको अब याद न करो.. भुला चुकी हूं तुमको दिल से 'मैं,' अब तुम भी मुझको भूल जाओ ... यूं देकर के हिचकियां कभी-कभी, " बे वजह नींद से जगाया न करो... मेरी मर्जी 'मैं 'कहीं भी रहूं , जिसको चाहूं उसको प्यार करूं.. एक बार ना कह दिया न तुमसे , "बे वजह" इतनी फरियाद न करो ... बे वजह
बे वजह
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