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परिलोक

राह-ए-आज़ादी पे चला था वो निडर, 
सत्ता के कुछ भूखों से था वो बेखबर !

नासमझ ने सोचा था की मिलके आज़ादी पाएंगे, 
उसे क्या पता था की चरखा चलाने वाले ही
 पीठ में छुरा घुसाएंगे....!!

जय हिन्द...।। #भगतसिंग

Sonali Jirekar

वो एक शहिद
कितनो को आजाद भारत का ख्वाब दिखाकर गया #भगतसिंग #nojotohindi

Sujit Dhavale

वीर भगतसिंग की गाथा

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@ History Vikas

WRITER AKSHITA JANGID

शहीद #Nojoto#शहीद#Love #poem

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आज फ़िर से एक माँ ने अपना लाल गँवाया है 
हम सबकी रक्षा में उसने अपना फ़र्ज निभाया है 
अपने को मिटाकर उसने देश का मान बढ़ाया है 
आज फ़िर से एक बेटा अपना शहीद बनकर आया है | शहीद  #nojoto#शहीद#love 
#poem

Gopal Csc

अमर शहीद स्मारक पटना #शहीद .

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Nilam Agarwalla

#शहीद

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Orender Singh

#:शहीद

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Dharmendra Singh

#शहीद

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छत्तीसगढ़ में माँ भारती के सपूतों पर नक्सलियों द्वारा किये गए कायराना हमले में शहीद हुए वीरों को मेरा सादर नमन🙏।
मेरी हार्दिक संवेदनाएँ उनके परिजनों के साथ हैं और न केवल मेरी बल्कि मीडिया की,कर्मचारियों की, सामाजिक संस्थाओं की, नेताओं की,राजनीतिक पार्टियों की, सरकार की,और समस्त जनता की हार्दिक संवेदनाएँ उनके साथ हैं।
लेकिन दुर्भाग्य है कि सिर्फ संवेदनाएँ ही हैं,और कुछ नहीं।
क्या निंदनीय कह देने से, संवेदनाएँ व्यक्त करने से,शहीदी पैकेज देने से या लंबे चौड़े भाषणों से यह अपूरणीय क्षति पूर्ति हो सकती है।
देश की अग्रणी रक्षापंक्ति पर इस तरह से सशस्त्र हमला कोई क्षेत्रीय समस्याओं के लिए किया जा रहा सामान्य आंदोलन नहीं है बल्कि कुछ अतिमहत्त्वाकांक्षी लोगों के द्वारा देश के विरुद्ध किया जा रहा अघोषित युद्ध है,
छद्मआतंकवाद है
और खुला देशद्रोह है।
भारतीय सेना विश्व में कहीं भी,कैसे भी हालातों में शत्रु का खात्मा करने में सक्षम है,फिर घर में उसकी ऐसी हालत क्यों है? अक्सर सेना की ऐसे कुत्सित कृत्यों की जवाबी कार्यवाही को समझौते की मेज तक ही सीमित कर दिया जाता है।जिम्मेदारों का बार बार ऐसा रवैया कहीं विनीत चौहान जी की उन पंक्तियों को सही साबित ना कर दे ,जब वो कहते हैं कि ,
''इतना खून नहीं छिड़को कि मौसम फागी हो जाये।
सेना को इतना मत रोको कि सेना बागी हो जाये।।''
ये देश के जिम्मेदारों के मुँह पर मारा गया एक ऐसा तमाचा है जो अपना प्रतिशोध चाहता है।इसका उन्मूलन आवश्यक है और सिर्फ सेना को इस कार्यवाही के लिए मुक्त कर देना भर इस समस्या के समाधान के लिए पर्याप्त है।
मानवाधिकार आयोग,अंतरराष्ट्रीय संगठन और अन्य कई अनाम अवरोधक इसमें बाधा बनेंगे लेकिन सब जानते हैं कि सरकार की,सेना की,और जन सामान्य की प्रबल इच्छाशक्ति इन सब पर भारी रही है।
'जा तन लागी सो तन जाने।'
सेना स्वयं इससे निबट लेगी।उसे सिर्फ मुक्तहस्त की आवश्यकता है।आज सेना ही नहीं हर देशवासी आहत है,आवेश में है,और इसका समाधान चाहता है।हम उनके इस कुत्सित कृत्य का जवाब वार्ता से अब नहीं चाहते।
मित्र 'अक्षांश' की ये पंक्तियाँ आज बार-बार याद आ रही हैं जब वो कहते हैं कि,
उठो,शत्रु को मारो-काटो, विप्लव हो,तो होने दो।
मेरी माँ यदि रोती है,तो दुश्मन की भी रोने दो।।'
शायद उन वीरप्रसूता माँओं को उनकी इस असहनीय क्षति का यह समुचित प्रतिदान हो सके।
इतिहास गवाह है बिना भय के प्रभु श्रीरामजी की विनती भी स्वीकार नहीं की गयी।जिम्मेदारों की उदासीनता से ये सपोले स्वयं को अजगर अहसास कराने का प्रयास करने लगे हैं जिनका फन कुचलना निहायत जरूरी है।
क्या हुक्मरान कोई सार्थक कदम उठाएंगे?
क्या सेना इस क्षति को,इस अपमान को सहन कर पाएगी ?
क्या वह इसका उत्तर देते हुए कोई कार्यवाही करेगी?
क्या जनता इसके लिए जिम्मेदारों पर कोई दवाब बनाएगी?
या फिर से सब कुछ वही , जैसा चलता आया है?
जनभावनाऍं उबाल पर हैं,
उचित और स्थायी समाधान संभव है और इस कायराना हमले के बाद समय माकूल है तो फिर "मत चूकै चौहान।"
आखिर देर क्यों?
इस समस्या के स्थायी समाधान के इंतजार में एक 'परेशान' मन😣😣
एक बार पुनः,
माँ भारती के वीर सपूतों को भावभीनी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि || 🙏🙏😭😭
और दुर्भाग्य से सिर्फ आक्रोश और संवेदनाएँ 😡😡🙏🙏
          ✍️ परेशान✍️

©Dharmendra Singh #शहीद

Prabhat Ranjan

#शहीद

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एक शहीद की आखरी खत

 जब तेरे सपनों में माँ मैं,
कभी हंसता तो कभी रो रहा था।
तब यह आखरी खत लिखकर माँ, 
 तेरा यह लाल सो रहा था।

आज भी याद है वह दिन मुझे, 
जब मैं गिरता तो रोते देखता था तुझे।
पर माँ पढ़कर यह खत रोना नहीं तुम, 
खोकर मुझे अपना सुध बुध खोना नहीं तुम।

जब कहीं बाहर मैं जाता था,
तब बहुत याद तुम्हें मैं आता था।
इस बार मैं सदा के लिए जा रहा हूं, 
अनचाहे मन से तुम्हें माँ रुला रहा हूं।

जो लोरी तू मुझे रोज रात सुनाती थी,
पास बैठकर मेरे प्यारी धुन में गाती थी। 
वही लोरी सुनने को मेरा शव बेताब होगा,
चिताग्नी से पहले उसे तेरा इंतजार होगा। #शहीद
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