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Mukesh Poonia

संघर्ष - प्रकृति का आमन्त्रण है
जो स्वीकार करता है वही आगे बढ़ता है...। Hindi Shayari #संघर्ष #प्रकृति

Lavanya Singhal

# Poem on Hindi Diwas

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हिंदी भाषा
 हिंदी हमारी मातृभाषा, 
 इसका करो सम्मान, 
 वेद हो या गीता का ज्ञान ,
 सब होते  हिंदी अनुवाद, 
 हिंदी हिंदुस्तान की शान ,
 हमारे देश का स्वाभिमान!!
   
       लेखिका:- लावण्या सिंघल (लवी)

©Lavanya Singhal # Poem on Hindi Diwas

Arunesh Raghuvanshi

Hindi poem on boys

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Anand Mishra

#संघर्ष Nojoto Nojoto Hindi

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गिरने के बाद ही अपने पैरों पर चलते है लोग!

कुछ ऐसे ही जिंदगी की तकलीफों से लड़ना सीखा है मैंने! #संघर्ष Nojoto Nojoto Hindi

मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak)

#poem hindi poetry on life

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Saurabh Baurai

motivation संघर्ष hindipoems कविता hindi

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कहता संघर्ष ये !

इक संघर्ष कि एक दस्ता,
संघर्ष ही आज सुनाएगा।
हर चंचल चित्त की उत्सुकता को,
छन्दों से आज मिटाएगा।।

कहता संघर्ष ये (2) -

सुन तानो का शोर यु बहुधा,
मैदान भी मैंने त्यागा था।
उग्र उपहास कि अनल में तपकर,
शीतल रैन में जागा था।।
कलित मुखड़ों की आड़ में मैंने,
विष प्याले पलते देखे है।
तनिक प्रकाश कि चाह में अक्सर,
दिये दुर्बल जलते देखे है।।
हर जीवन के कालचक्र पर,
मिथ्य यथार्थ को पाया है।
इन दोनों से परेय निकलकर,
शोभन का साथ निभाया है।।
जहाँ भी जाओ इस धरणी पर,
हर देह में मुझको पाओगे ।
किसी मे सोया किसी मे जागा,
पर मुझ बिन ना रह पाओगे।।
सिद्धि भी मेरी राह से होकर,
गुण मेरे सब गाती है।
विधि,भाग्य है झूठी बाते,
सिर्फ कर्म ही मेरा साथी है।।
विचलित चित्त के हर कोने को,
छन्द से मेरे मिलवा दो।
हर चंचल मन की उत्सुकता को,
इन छन्दों से बिलवा दो।।

इक संघर्ष कि एक दस्ता,
संघर्ष ही आज है सुना रहा।
हर चंचल चित्त की उत्सुकता को,
छन्दों से आज है मिटा रहा #motivation #संघर्ष #hindipoems #कविता #hindi

Balvan Singh

A Hindi Poem on Corona virus #COVID 2020 #Hindi #poem #kavita

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Hasan Khan

#Struggle poem संघर्ष पर कविता #realization

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थी घटाऐं जोर की सोचा की जोरदार बरस जाएगी ,
पर क्या करें बरसी नहीं सिर्फ़ गरज़ के ही चली गई। 
थीं उम्मीदें खुशियों के इंतज़ार में,
 पर क्या करें खुशियां मिलीं नहीं सिर्फ़ उम्मीदें तरस के ही चली गई।
सूरज भी है अंधियारा नहीं है, 
पर तपस भी बहुत है। 
 छांव भी है धूप नहीं हैं, 
पर उमस भी बहुत है।
न हारा हूँ न थका हूं न रूका हूं फिर से चल पड़ा हूं, 
अबके प्यास एसी है की सीधे समुन्द्र से ही मिलने निकल पड़ा हूँ। 

स्वरचित 
✍✍हसन खान

©Hasan Khan Shatha #struggle poem 

संघर्ष पर कविता 
#realization

CHANDRA PRAKASH

#Emotional Hindi Poem On Joint Family

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Dilip Thakur

Hindi Poem on rain #rain #OneSeason

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इस आग उगलती गर्मी, में अब दिखने लगी है नरमी।
ठंडी ठंडी बूंदें जैसे ही ये छूदे, जरूर ये बरखा की है गहमा गहमी।

सूखे हुए जो पेड़ हुए फिर से हरे भरे, दुबारा हो गए जिंदा अब तक थे मरे मरे।
जादूगर है ये सावन कर देता सब मनभावन, फैलती है हरियाली इसके जो कदम पड़े।


तालाब सभी पानी से भरे हुए लबालब, नदियां भी अपने उफान पे बह रहीं हैं अब।
इंशा के तौर तरीके लगने लगे है फीके, तोड़ती है जब पानी बांध दीवारें सब।

©Dilip Thakur Hindi Poem on rain
#rain #OneSeason
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