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Ramnik

#दिल का दर्द

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White किसी ने पूछा दिल क्या दर्द क्या होता है...
कुछ नहीं कुछ बोझल सा लगता है।
क्या है लफ्जों में समझ नही आता।
दो आंसू सकूं दे जाते है।
खोया किसी ने हो, दिल में वहीं टीस दे जाते है..

©Ramnik #दिल का दर्द

Rajesh Kumar

मेरे दिल का दर्द तुम क्या जानोगे

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दिल में इतना दर्द है कि मैं कह नहीं सकता
दर्द ने हद पार किया अब मैं सह नहीं सकता
याद करता हूं मैं जब तेरी बातों को
पल भर में काटता हूं लंबी रातों को
तू ही मेरी धड़कन है तू ही मेरी सांस है
दूर होके भी लगती है तू मेरे पास है
एक पल भी तेरे बिन अब मैं रह नहीं सकता
दर्द में हद पार किया अब मैं सह नहीं सकता
दिल में इतना दर्द है कि मैं कह नहीं सकता

दर्द ने हद पार किया अब मैं सह नहीं सकता

©Rajesh Kumar मेरे दिल का दर्द तुम क्या जानोगे

Jashanpreet kaur

#GoodMorning तुम से मोहब्बत का इजहार कर बैठे सुना था इश्क गुना हैं जाने -अनजाने हम वो गुना कर बैठे। Aaj Ka Panchang motivational shayari H

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White तुम से मोहब्बत का इजहार कर बैठे 
सुना था इश्क गुना हैं 
जाने -अनजाने हम वो गुना कर बैठे।

©Jashanpreet kaur #GoodMorning तुम से मोहब्बत का इजहार कर बैठे 
सुना था इश्क गुना हैं 
जाने -अनजाने हम वो गुना कर बैठे। Aaj Ka Panchang motivational shayari H

rahulyadav_0ah

इश्क

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Ghanshyam Ratre

दिल में दर्द का ऐहसास

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Ravendra

कलाकारों ने पंडाल में बैठे दर्शकों का मनमोहा

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Prabhat Singh

हम जले तो सब चिराग समझ बैठे.!! जब महके तो सब गुलाव समझ बैठे.!! मेरे लफ्जों का दर्द किसी ने नहीं देखा.!! शायरी पड़ी तो शायर समझ बैठे.!! हिंद

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Bajinder Thakur

इश्क

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वह जो दिल के करीब थी 
उसके पत्थर भी फूल थे 


थाने जाकर पता लगा 
इश्क के भी असूल थे

©Bajinder Thakur इश्क

abhay shashi

रावण बैठे हैं राम के भेष में शायरी दर्द

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nisha Kharatshinde

जगा अन् जगू द्या

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जगा अन् जगूद्या

सध्या पन्नाशीही पार करणे
खूप अवघड झालंय
अन् आत्महत्या करणे
अगदी सोपं झालंय

पंचवीस वर्षाच्या नात्याला
किंमत राहिली नाही
दोन वर्षाच्या प्रेमासाठी
कुणी आईचाही उरला नाही

त्या रागापुढे सर्वच शून्य
अहंकाराने डाव साधला
वेदनांनी आवाज न करता
भावनांचा गळा घोटला

दुनियेचं हसू होईल
अन् इज्जतीचा पंचनामा
समजून घेऊ जग म्हणतं
अन् पडद्याआडून जाहीरनामा

इथं कुणी कुणाची निंदा करते
स्तुती मात्र क्वचित
तिरस्काराने एकमेकांच्या
संपली माणुसकीही निश्र्चित

अफवांवर पांघरुण घालणारे
पडतात फसवणुकीत बळी
माहेर आहेर संपलय आता
जन्मत:च खुंटते कळी

जगा अन् जगूद्या सर्वा
या महामारीच्या परिस्थितीत
अत्यल्प आयुष्य उरलय
बदल करा  मनस्थितीत

✍️ निशा खरात/शिंदे
       (काव्यनिश)

©nisha Kharatshinde जगा अन् जगू द्या
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