Nojoto: Largest Storytelling Platform

New नमी परिभाषा Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about नमी परिभाषा from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, नमी परिभाषा.

Uttam Bajpai

हिंदी शायरीसच्चे प्रेम की परिभाषा

read more

Rakesh frnds4ever

#क्यों_ये_दुनिया_रोने_नहीं_देती #क्यों_ये_दुनिया_सोने_नहीं_देती जब #अपना यहां कोई नहीं तो क्यों ये किसी को अपना होने नहीं देती जूठे अपनों

read more

Uttam Bajpai

हिंदी कॉमेडीफनी दिल की परिभाषा क्या होती है

read more

Heer

प्रेम को समझना हर किसी के बस की बात नहीं..... सच्चा प्रेम किसे कहते है ये सिखाने ही तो राधा कृष्ण मनुष्य रूप में धरा पर अवतरित हुए थे। हम म

read more

Rakesh frnds4ever

#क्यामैंहूंकहीं या मैं हूं ही नहीं क्या मैं हूं कहीं या मैं हूं ही नहीं,,,, मेले के आकर्षण वाली भीड़ में, खिलौनों - झूलों में कहीं

read more
White क्या मैं हूं कहीं
     या मैं हूं ही नहीं,,,,

मेले के आकर्षण वाली भीड़ में, 
खिलौनों - झूलों में कहीं 
खलती रही है सदा मुझको किसी अपने की कमी 

क्या मैं हूं कहीं 
या मैं हूं ही नहीं 

खेतों और खलिहानों में 
काम से थके हारे टूटते बदन की बहती पसीने की नमी में कही,, 
पिया है हरदम आसुओं का घूट ही,,,,

क्या मैं हूं कहीं 
या मैं हूं ही नहीं,...

............. 2..........

©Rakesh frnds4ever  #क्यामैंहूंकहीं या मैं हूं ही नहीं 

क्या मैं हूं कहीं
     या मैं हूं ही नहीं,,,,

मेले के आकर्षण वाली भीड़ में, 
खिलौनों - झूलों में कहीं

Anjali Singhal

"ख़ूबसूरती की क्या होती है परिभाषा, इसका तो पता नहीं! पर हाँ... उन्हें चाहने में दिल ख़ूबसूरत हो गया हमारा, इतना तो है यकीं!!" AnjaliSingh

read more

Satish Kumar Meena

स्त्री की परिभाषा

read more

Vikas Sahni

#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ

read more
White 
आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ भी रही है वह।
होकर नाराज़ नभ देख रही है
और मैं उसकी आँखों में 
देखते-देखते दस बजे सजे
पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ,
"प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं;
सभी के लिए यह दिवा मेहमान है,
पतंगों से सजा आसमान है,
जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है
और उसकी ओर मेरा ध्यान है।
लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं
अनंत आसमानी पानी  और बादलों के बगीचे में
मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से
भरी पड़ी प्रत्येक छत है,
प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है,
कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं,
कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं,
पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं,
कई मुक्त हुए जा रही हैं
पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए
जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर
तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में,
जिस प्रकार पक्षी (पतंग)
अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से
फिर कविता की आँखों की नमी से
पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे,
क्या टूट गये वे सारे धागे?
कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे,
टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे।
है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!"
     .                      ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #पतंगों_के_प्रति
आज कविता
जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ

Rohan Roy

हमारा चरित्र, हमारे व्यक्तित्व की परिभाषा है। | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #motivation_for_life | #rohanroymotivation |

read more
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile