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Shailendra Anand
रचना दिनांक,,7,,,11,,2024 वार। गुरुवार समय सुबह ्््पांच बजे ्््््निज विचार ््् ्््भावचित्र ्््् ््््शीर्षक है ््् नारी शक्ति दिव्यता में शक्ति प्रबल हो प्यारा सा ज्ञान दर्शन कर देख रही है,, प्रेम शब्द सूर्य की ओर भविष्य में प्रवृत ज्ञानरस यथायोग्य वर्तना मंत्र शक्ति से, अर्जित किया गया, ईश्वर से प्रार्थना करते है ।। यह संसार जगत में एकाकार होकर रहे ,, मनोरथ सिद्ध कवच रुपी भवसागर में पार लगा देना ही जिंदगी है।। मनुष्य शरीर में प्राण वायु और जल ,अग्नि, वायु ,आकाश, प्रृथ्वी पर जिंदगी है,, और यह सुखद अनुभव कफ़न में लिपटा हुआ केशव जी प्रणाम कर देख रहा हूं।। ््छाया चित्र में दिखाया गया है हाथों में सिर्फ लड़की ने ,, तेज हो प्यारा सा जीवन है। अमृत कोष संजीवनी लक्ष रचा गया भाग्यं फलमं लक्ष्मी में चित्र चिंता में,, मत अभिमत अभिव्यक्ति अनुवाद में जीवन यापन कर रही है,, प्रेम शब्द और अर्थ भाव से काम करना ही जिंदगी है।। यह एक पूजा अर्चना कर देख रही हूं तुम में एक नज़र इधर उधर से जन्मा विचार सच तुम हो,, प्यारा सा मेरे लिए एक ही लक्ष्य सांध्य दैनिक दिव्य चक्षु अन्र्तमन में एक ही ।। भाव ईश्वर सत्य प्रेम निश्चल से अपनी रूह में समाया हुआ है,, सिर्फ भाग्य विधाता सर्वग्य है ,, सेवा मानव धर्म कर्म विचार विधान सत्य है प्रेम शब्द जिंदगी है।। आनंद ही आनंद दे रहे हैं जो जीना सिखाता है, सच्चा धर्मगुरु जीवन में एक स्वर पुकार नाद प्रेम और विश्वास प्यार करने वाले हैं।। आनेवाली पीढ़ी में मानसिक रूप में एक स्वर में ,, प्रेम गान करते हुए जीवन सफल बनाएं।। ्््कवि शैलेंद्र आनंद 7,, नवम्बर,,,2024,, 7,,, नवम्बर 2024,, ©Shailendra Anand #dhoop Extraterrestrial life ्््कवि शैलेंद्र आनंद
#dhoop Extraterrestrial life ्््कवि शैलेंद्र आनंद
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रचना दिनांक ्््8,,,,10,,,,,,2024, ,,वार,,,, मंगलवार,,, समय,,, सुबह,,, पांच बजे ्््््निज,,, विचार ््् ्््शीर्षक ्््् ्््भावचित्र ््् ््््््शारदीय नवरात्र शरदरीतु अश्विनमासे मासे शारदीय नवरात्र पर्व,, काल षष्ठी तिथि मां शब्द में प्राणपण समर्पण भाव से , मां कात्यायनी देवी गन्धर्व नगरी मध्यप्रदेश देवास जिले देवास में, खुशहाली और उसके बदले में कुछ अरमान जगाती हैं।। मां चामुण्डा देवी तुलजा भवानी के सानिध्य में , मां कात्यायनी देवी के श्रीचरणों में शैलेंद्र आनंद,, सबकी बातें रश्मि प्रभा के सुर्य प्रभात में मनोकामना पूर्ण करे ।। मां चामुण्डा देवी गन्धर्व नगरी देवास वासियों , की मंगलमय मंगलाचार हो ््््। मैं तो आपके लिए एक ही पल क्षण भर का पानी का बुलबुला हूं,, आपके विचार सच में ही रमता जोगी बहता पानी बन कर रचता बसता हूं।। जो जीवन आपने दिया वह अपरिवर्तनशील दस्तावेज,, उदगम स्थल पर निश्चित समय काल की बेला में, आपकी चरणारविन्द का एक पूष्प हूं।। आप चाहें तो हम जैसे की राह में खोज रही है,, प्रेम शब्द और अर्थ भाव से पुजा अर्चना सिंह रुप में दक्षायणी देवी,, मां कात्यायनी देवी ने मेरे नगर में पधारी है।। मां कात्यायनी देवी पालकी में बैठकर आयी है ,, हम दिलों से पूजा करने वाले इस गन्धर्व नगरी देवास से अपने अक्क्ष जल से स्नान अंजलि से चरणोदक पुजा का अवसर मिला है।। हम दिलों से सजाया गया यह मनमंन्दिर में सृजन करना ही जिंदगी है,, मां मैं ठहरा भीखमंगा पागल दिवाना तेरे चरणों का मुझे सीधे अपने चरणों में स्थान दो ।। आनंद कंद मूल फल पत्ते पत्तियां फल आहार बन गया जिसे मैं जानता हूं ,, काल कर्म महाकाल गति प्रगति अवगति सदगति स्वयंभू मणिधर धरा रसातलं नागलोक में एक जीवंत प्रयास करें,, पूजा करने वाली मां कात्यायनी देवी का पुजारी बनकर।। मैं शैलेंद्र आनंद अपने कर्म से भाग्य विधाता सर्वग्य आप ही जिंदगी है ,, मेरी आप रक्षा करो देवि त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी कमला कमलाक्षी देवी,, महालक्ष्मी दैवीय शक्तियां नमोस्तुते नमोस्तुते नमोस्तुते नमस्ते अस्तु, कर्मणा सहजता सरलता विनम़ता ही जिंदगी है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््् 8,,,,,,10,,,,2024,,, ©Shailendra Anand #navratri भक्ति संगीत कवि शैलेंद्र आनंद
#navratri भक्ति संगीत कवि शैलेंद्र आनंद
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रचना दिनांक,,6,,,10,,,2024 वार,,,,, रविवार समय,,, ,,सुबह ्््पांच बजे ्््््निज विचार ््् ्््शीर्षक ््् छाया चित्र वीथिका में भावचित्र ््््् है शारदीय नवरात्र में चतुर्थ चतुर्थ भाव में, निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता कोटीश्यं प्रमाणितं , ब़म्हकर्मसाक्ष्य श्रीविश्वामित्र अतुलतेजस्वी, चतुर्थ दिवस मंगलमय चतुर्थ भाव भंगिमा इच्छा शक्ति से अर्जित,, मां कुष्मांडा शुभदास्तु सदा सुखी , पूर्णी धनक्षंरी अखरी नक्षत्री में,, एक पूजा एवं मंत्र शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय ्््भावचित्र है जगत आधार मातृशक्ति दें।।््् मां चामुण्डा देवी गन्धर्व नगरी मध्यप्रदेश देवास जिले में स्थित योगिस्थ होकर कूण्डलिनी जागृत कर,, समाधिस्थ मनोतेज होकर ध्यान में मां शब्द में प्राणपण लफ्ज़ समर्पण भाव वंशानुगत से सजाया गया है।। मां की तरह ही आनंद जिंदगी में,, ,परिश्रम ही जिंदगी से जुड़ी हुई हमें अपने विचार से, अपनी दिशा में अग्रसर हो प्यारा सा जीवन, को लेकर खुश रहो जमाने में क्या रखा है।। मैं हर पल अनमोल विचार प्रवाह प्यार में,, मां शब्द साधक साधना तपस्या साधक के रूप में दिव्य चक्षु खुल कर देख रहा है,, ईश्वर सत्य है,, इन्सान जोश और हौसला बूलन्दियां से , प्राणपण समर्पण भाव ह अपन इन्सान और समय पर ख्यालात अच्छे हो परिश्रम से जन्मा विचार सच है,, देश धर्म संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में,, मां का स्वरूप में माना कि तू मूझसे बेखबर है,,।। मां यशोधरा और उसके बाद का स्वरूप में प्रथम गुरु मातृ शक्ति हे मां दैवीय शक्ति कुष्मांडा देवी चतुर्थ दिवस शारदीय नवरात्रि पर्व मंगलमय हो,, यही मेरी कामना करते हैं।। ्््भावचित्र ्् ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््् 6,,,,10,,,,2024,, , ।। मां कुष्मांडा दैवीय शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमो नमः।। ©Shailendra Anand #navratri भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
#navratri भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद
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रचना। दिनांक,,,5,,,10,,,2024 वार,,,, शनिवार समय,, सुबह ्््पांच बजे ््््निज विचार ््् ्््शीर्षक ््् छाया चित्र में शारदीय नवरात्र पर्व काल तृतीय दिवस पर ,, राष्ट्राभिनंदनमां चंद्रघंटा देवी का स्वरूप और प्रेम में,, अटूट आस्था निज विचार सचका स्वरूप श्वेत वस्त्र से ,, दीप प्रज्जवलित आत्मज्योतिनवपिण्डसाधक में, ज्योति प्रकट मेंचंन्द्र शीतल सा जीवन प्रकाश में , अर्ध नारीश्वर रुप में शिवशक्ति स्वरुप का भाव श्रंगारित,, रुप सज्जा सौन्दर्य और यह सुखद अहसास ही, जिंदगी का आनंद है।। ईश्वर और धर्म में वैचारिक रूप से , जीवनयापन चक दे इंडिया छत्र चंवर धवंल श्वेत पूष्पित, वेणी गजं केश श्रंगार से कर्ण कुण्डल शोभित कर, मधुर मुस्कान मन्द अधर पर चंद्र दर्शन भगवती दुर्गा पूजा स्वयं ही अपने आप, भक्ति भाव सहित करती है।। सेवा में नजर आये वह बदल गया है,, समय बड़ा बलवान है और ईश्वर ने देवी शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन करते हैं।।्् ्््भावचित्र ्् ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््् 05,,,,,10,,,2024 साफ ©Shailendra Anand #navratri भक्तिमय संगीत ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
#navratri भक्तिमय संगीत ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
read moreAshvani Awasthi
White ज्ञान के सागर में डूबू और ज्ञान का सागर हो जाऊं, मैं ऐसी विद्या ज्योति बनू जो अंधे को भी दरसाऊं। जब राष्ट्र प्रेम की बारी आए बिना रुके घबराऊं न, इस धरा की कण कण में मिलकर भारतमय मैं हो जाऊं।। ©Ashvani Awasthi कवि अश्वनी अवस्थी
कवि अश्वनी अवस्थी
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