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Dr.asha Singh sikarwar
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read moreDivya Thakur
हर आत्मा मुक्ति की इच्छुक होती है यदि आप किसी से उनके अच्छे व्यवहार, सहृदयता की वजह से आकर्षित होते हैं तो वह इसलिए क्योंकि आपको वह आत्मा मुक्ति की और अग्रसित दिखती है जो आपका भी लक्ष्य है ©Divya Thakur #मुक्ति
Sneha MS
जो कृष्ण का जाप करते हैं, उसे कृष्ण स्नेह मिलता है। जाप कृष्णा की करो, पाप अपने धू लो। जन्म मृत्यु से मुक्ति पा लो ।। ©Sneha MS #मुक्ति
Manisha Maru
मुक्ति देखो ना आह!कितना सुंदर हैं ये जहां! लेकिन कब??? किसने???कहां??? हर लम्हें में इस बात को महसूस हैं किया! क्योंकि...... तोड़ ही ना पाते हम अंतर्मन की सिसकती बेड़ीयां! घुटन के अंदर कैसे? मिलेगी हमे सुकून की वो खिलखिलाती सी घड़ियां। सबने..... अपने हृदय की चौखट को एक जंजीर से हैं बांध दिया। उससे निकले कैसे? डर की भटकती गलियों में खुद ही को कैद जो कर लिया। उड़ान..... भरना चाहें सब लेकिन भावनाओं के संग हर कोई बह गया। मुक्त होगे हम कैसे? इंसान जब खुद में,खुदा में,लोगों में खामियां ही ढूंढता रह गया। मनीषा मारू नेपाल ©Manisha Maru #मुक्ति
poonam singh
बड़ी मुद्दत से इन्तज़ार है खुद से खुद को मिलाने का, वो वक़्त कब आएगा। जब झूठ का आडम्बर खत्म हो जाए, और मैं खुद ही खुद में समां जाऊं। ©poonam singh मुक्ति......
मुक्ति......
read moreVijay Kumar उपनाम-"साखी"
White "मुक्ति" इस जीवन की सर्वोत्तम युक्ति मिल जाये,सब कामों से मुक्ति परन्तु कर्महीन होने की उक्ति इससे मिलती न सुख अनुभूति सच मे सच की तो यह सूक्ति कर्म करने से मिलती है,मुक्ति जिसने समुचित कर्म किया वो भी बिना किसी आसक्ति कमल सदृश जिसकी है,विरक्ति उसकी जग मे,स्वतंत्र अभिव्यक्ति जिसने निःस्वार्थ कर्म की भक्ति सच मे उसे ही मिलती है,मुक्ति दिल से विजय विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" #मुक्ति
Biikrmjet Sing
हरि की भगत मुक्त बहु करे।। नानक जन संग केते तरे।। 2. तज अभिमान सरन सन्तन गहो मुक्त होये छिन्न माही।। अर्थ:- परमात्मा की उस निराकार की भगती यानी एकदृष्ट नेत्रों को करके निराकार को निहारना (पहले नेत्रों को सम करना फिर नीचे देखना खाली स्पेस में फिर साहमने फिर पलको को ऊपर उठाना फिर रिवर्स में) यह भगती मन को प्रकाशमान करके मुक्त कर देती है और कई इससे मुक्त फल को प्राप्त हुए हैं।। हे नानक ऐसे जन संग कई मुक्ति पा चुके हैं यानी भवसागर से तर गये हैं।। 2. यह मुक्ति की भगती हमें वह परमेश्वर सच्चे सन्तन की शरण मे जाकर उनकी जीभा पर बैठ कर अभिमान का त्याग करा कर उनकी शरण मे लिजा कर सिखाते हैं जिससे मन माया के गर्भ से एक छिन्न में मुक्त हो जाता है यानी रजो-तमो-सतो से एक पल में मुक्त हो जाता है।। ©Biikrmjet Sing #मुक्ति