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किसके दरवाजे जाना है, किसके आगे नर्मस्तक हो जाना है। जो अभी नहीं मिला,क्या वह मिल जाएगा, एक अनदेखा देखा हुआ सपना हकीकत में सच हो जाएगा । बात
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} इन्सान को यह नही देखना चाहिए, क्या है, क्या मिला है, क्या नही मिला, या उसके अनुसार क्या होना चाहिए, कियोकि सबके अनुसार सब नही होता, पर जीवन को जीना होता है, इस जिंदगी की उलझनों मैं उलझे रहोगे, तो रोते हुए आये रोते रोते मर गए, अब भी वक्त है, भजले हरि का नाम मनवा, भजले हरि का नाम।। जय श्री कृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #isro_day {Bolo Ji Radhey Radhey} इन्सान को यह नही देखना चाहिए, क्या है, क्या मिला है, क्या नही मिला, या उसके अनुसार क्या होना चाहिए, क
#isro_day {Bolo Ji Radhey Radhey} इन्सान को यह नही देखना चाहिए, क्या है, क्या मिला है, क्या नही मिला, या उसके अनुसार क्या होना चाहिए, क
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White {Bolo Ji Radhey Radhey} धोखा और विस्वास ये कर्ज है, जो हम सब को मिलता है, किसी न किसी से जरूर मिलता है, हमारी सांसो का खजाना भी इसकी एक मिसाल हैं, अभी भजले, अभी जपले हरि का नाम मनवा, जपले हरि का नाम. ©N S Yadav GoldMine #raksha_bandhan_2024 {Bolo Ji Radhey Radhey} धोखा और विस्वास ये कर्ज है, जो हम सब को मिलता है, किसी न किसी से जरूर मिलता है, हमारी सांसो क
#raksha_bandhan_2024 {Bolo Ji Radhey Radhey} धोखा और विस्वास ये कर्ज है, जो हम सब को मिलता है, किसी न किसी से जरूर मिलता है, हमारी सांसो क
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्
गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्
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