Find the Latest Status about फ्रेंड रिक्वेस्ट फेसबुक from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, फ्रेंड रिक्वेस्ट फेसबुक.
Aniangel
मैं अपने लब्जो में तुम्हें इतना खास लिखूंगी.. ..की... पढ़ने वाले को तुझे देखने की चाह होने लगेंगी....❤️ ©Aniangel #WoSadak # लव # फ्रेंड # हसबैंड
WoSadak # लव # फ्रेंड # हसबैंड
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनहरण घनाक्षरी :- फेसबुक व्हाट्सएप , छोड़ भी दो अब आप , घर माता-पिता अब , सेवा कर लीजिए । दूर हो न रिश्ते नाते , कर लो उनसे बातें , छोड़ के मोबाइल को , समय उन्हें दीजिए । व्यर्थ गँवाया समय , देख बोलता तनय , सोचिए पुनः फिर से ,शांत मन कीजिए । छोड नही घर द्वार , तेरा अच्छा परिवार, मान मेरी बात कर , नीर अब पीजिए ।। 2**************************** कर गणेश वंदना , पूर्ण हो फिर कामना , भक्त का रखते वही , सदा नित ध्यान हैं । माँ गौरा के लाल वह , भक्त पे निहाल वह , देख भक्त की श्रद्धा को , देते वरदान हैं । दूब ही अति प्यारी है , मूसक की सवारी है , भक्तों के कष्टों का वह , देते समाधान हैं । देवों में पूज्य प्रथम , जानते हैं अब हम, सारे जग में उनकी , करूणा महान है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- फेसबुक व्हाट्सएप , छोड़ भी दो अब आप , घर माता-पिता अब , सेवा कर लीजिए । दूर हो न रिश्ते नाते , कर लो उनसे बातें , छोड़ के मो
मनहरण घनाक्षरी :- फेसबुक व्हाट्सएप , छोड़ भी दो अब आप , घर माता-पिता अब , सेवा कर लीजिए । दूर हो न रिश्ते नाते , कर लो उनसे बातें , छोड़ के मो
read moreVikas Sahni
White आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ भी रही है वह। होकर नाराज़ नभ देख रही है और मैं उसकी आँखों में देखते-देखते दस बजे सजे पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ, "प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं; सभी के लिए यह दिवा मेहमान है, पतंगों से सजा आसमान है, जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है और उसकी ओर मेरा ध्यान है। लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं अनंत आसमानी पानी और बादलों के बगीचे में मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से भरी पड़ी प्रत्येक छत है, प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है, कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं, कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं, पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं, कई मुक्त हुए जा रही हैं पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में, जिस प्रकार पक्षी (पतंग) अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से फिर कविता की आँखों की नमी से पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे, क्या टूट गये वे सारे धागे? कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे, टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे। है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!" . ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ
#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ
read more