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Mansi Rajput

The Five Disciples. It's a late lazy summer afternoon. Most unproductive time of the day. Hot, humid and weary. After obsessively devourin

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The Five Disciples.

Part dazed- part dreamy, I aimlessly change channels. But the image of a holy shrine paralyzed my fingers.
It's instinctive and very natural to me that I like seeing monuments. 

How I want to read the stories carved out on stone slates.
What language those people use to speak?
What thoughts they pondered?
Whom they worshipped?
The visible mortals or the mysterious unborns? 
What was their purpose?
What was their goal? 

Full story in the caption.. The Five Disciples.

It's a late lazy summer afternoon. Most unproductive time of the day. Hot, humid and weary.

After obsessively devourin

Abhimanyu Dwivedi

Bodh

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**अनुभव & अनुभूति**

अनु (अणु) = अनु अर्थात अन्दर का ,अणु अर्थात अंश 
भव = संसार

अनुभव = संसार के अंदर रहकर संसार से प्राप्त होने वाला आंशिक समझ 

अनुभूति = आत्मा में होने पर उपलब्ध होने वाला यथार्थ  बोध

अर्थात 
*बाह्य जगत से मन,विचारों एवं भावों से प्राप्त होने वाली भावनात्मक समझ को अनुभव कहा जाता है 
एवं अहोभाव, समर्पण से आत्मा की  सृजनात्मक अभिव्यक्ति का नाम अनुभूति है** 

🙏अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त) 🙏

©Abhimanyu Dwivedi Bodh

Abhimanyu Dwivedi

Bodh

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**बोध से प्रेम तक**

**बोध के आँगन में दिव्यता की रोशनी झरती है 
और प्रेम के प्राँगण में जीवन का सत्चिदानन्द बरसता है**

🙏🍀🙏अभिमन्यु मोक्षारिहन्त 🙏🍀🙏

©Abhimanyu Dwivedi Bodh

Abhimanyu Dwivedi

Chetna bodh

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🌺🌼 **ध्यानंकुर**🌼🌺
 
**ज्ञान पुंज भव दीप  शिखा है 
     जिसकी अविरल धारा नित बहती जाये
अनुभूति के शिखर बिन्दु से
 अभिव्यक्ति में ही ढलती जाये
प्रज्ञा चछु जगा ले बन्दे
 जीवन ज्योति निरंतर चलती जाये
जब तक प्रज्ञा धवल न हो जाये
  तब तक चेतन गगन उदित ना हो पाए
जब उदित चेतना का नीलगगन हो
      स्वयं विराट सहज सरल हो जाये  **

©Abhimanyu Dwivedi Chetna bodh

Dinesh Yadav

Gym bodh

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 Gym bodh

Abhimanyu Dwivedi

bodh

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**मोक्ष**

*मोक्ष आत्मा का मूलाधार है,न कि देह का अनुभव 
मोक्ष ध्यान का बोध है,न कि समझ का तूल सार है 
मोक्ष चेतना आविर्भाव है,न कि ह्रदय के भावों की है
मोक्ष प्रज्ञा से संबोधि निरख है न कि बुद्धि की समझ 
मोक्ष जीव बोधिरमयम होश है न कि शरीरभेद की दौड़ 
मोक्ष चैतन्य अस्तित्व निधि है न की नियमबध्द विधि 
मोक्ष शून्य से शून्य तक है न कि अंको की परिपाटी कृति
मोक्ष पूर्ण से महापूर्ण है न की अपूर्ण की पूर्ण निधि 
मोक्ष जन्म-मृत्यु के पार जीवन है न कि अमरता की युक्ति 
मोक्ष स्वयं से स्वयंभू चिरसमाधि अव्यक्त परोक्ष परमरहस्य है न की ज्ञान तक अवस्थित ज्ञेय है 

**अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त)**

©Abhimanyu Dwivedi bodh

Abhimanyu Dwivedi

bodh

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🌱🌷🌱यथार्थ बोध🌱🌷🌱

*वाणी और भाषा का जनम मन में संकलित विचारो से होता है जिनकी हद बुद्धि से होकर मस्तिष्क की समझ तक ही सीमित है 
जिसे बुद्धिजीवी कहा जाता है न की- **ज्ञान** 
भावो की हद ह्रदय से गुणों तक अवतरित होना है
किन्तु
**यथार्थ**- मन,वाणी, विचार, समझ,भाव,गुण की परिधि से सर्वथा परे और नित्य स्वयं विभूषित है 
जिसका आविर्भाव ही अनुभूति के द्वार से होता है
जिसे समझा तो कदापि जा ही नहीं सकता
इसमें केवल कैवल्य हो तिरोहित हुआ जा सकता है क्युकी ज्ञान प्रज्ञाचछु के निर्मल वृन्द से उपजा चेतना का यथार्थ बोध है

🌱🙏अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त)🙏🌱

©Abhimanyu Dwivedi bodh

Anil Anil

Mahatma bodh

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Saurav Rajauriya

bodh gya

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Mangesh P Desai

#guru Shishya Bodh

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