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Writer Abhishek Anand 96
आज चॉकलेट डे है ना हम आज दुगो चॉकलेट खरदेंगे एगो हम खाऐंगे और दोसरका भी कुछ देर बाद हम ही खाऐंगे 🤞😁 लेकिन किसी को देंगे नही काहे की देने के लिए कोई है ही नहीं 😐 ©Writer Abhishek Anand 96 हेप्पी चॉकलेट डे
हेप्पी चॉकलेट डे
read moreRavindra Chotu
अगर कुछ बनना है तो गुलाब के फुल बनो क्योंक ये उस हाथ में भी खुशबू देता है जो इसे भी मसल कर फेक देता है ©Ravindra Chotu # हेप्पी रोज डे
# हेप्पी रोज डे
read morekanta kumawat
फूलों सी अपनी कलम वो गुलाब भी कभी-कभी गुस्ताखियों के गीत सुनाता है वो जहर था जख्म का पर खुद को मरहम बताता है। वो फूल कहाँ था जो आज सूल बनकर सजा सुनाता है। वो बेईमान है इस वक्त के जो खुद गुलाब होने के नखरे उठाता है। वो गुलाब तो खुद भी कभी-कभी गुस्ताखियों के गीत सुनाता है । कान्ता कुमावत हेप्पी रोज़ डे © kanta kumawat हेप्पी रोज डे गज़ल #dilkibaat
हेप्पी रोज डे गज़ल #dilkibaat
read moreDalip Kumar 'Deep'
''दीप'..✍️शायर तेरा🌷 ©Dalip Kumar Deep शायर तेरा हेप्पी फार्दस डे🤗
शायर तेरा हेप्पी फार्दस डे🤗
read moreDalip Kumar 'Deep'
#RIPMilkhaSingh 'दीप'..✍️शायर तेरा🌷 ©Dalip Kumar Deep शायर तेरा हेप्पी फ़ादर डे🤗
शायर तेरा हेप्पी फ़ादर डे🤗
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इश्क़ दा तोहफा अपनी कलम में फकीर भी था तेरी खुलीं जूल्फो का जब हवा में खिड़कियों से पर्दे उङे थे। वो भी परी थी नीले आसमान की जब हम तितलियों के संग रुके थे। में भी टेडी ही था मेरी माँ का पर वक्त के साथ भँवरे बनकर चले थें। में फकीर भी था तेरी तेरी खुलीं जूल्फो का जब हवा में खिड़कियों से पर्दे उङे थे। कान्ता कुमावत हेप्पी टेडी डे 10 फरवरी © kanta kumawat अपनी कलम हेप्पी टेडी डे #dilkibaat
अपनी कलम हेप्पी टेडी डे #dilkibaat
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मिठास मोहब्बत की अपनी कलम वो भी सच्च की परछाई थी जो सपनों में पीठ दिखाने आयी थी। जो वहम की मिठाई थी वो जख्मो पर नमक छिङकने आयी थी। कान्ता कुमावत हेप्पी चोकलेट डे 9 फरवरी © kanta kumawat अपनी कलम हेप्पी चोकलेट डे #dilkibaat
अपनी कलम हेप्पी चोकलेट डे #dilkibaat
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मैं और तुम अपनी कलम उसूलो में उङे थे वो पंछी जो दूसरों की दुनियाँ ले चले। भाग्य लिखने वाले तो कोई और थे। पर बेहक जमीन का हिस्सा भी ले उङे। कान्ता कुमावत भाग्य को छूने का हक केवल भाग्य विधाता को है। जो आपके भविष्य की कद्र करता है। माता - पिता/ भाई- बहन/पति-पत्नी/बच्चे हेप्पी किस डे 13 फरवरी © kanta kumawat अपनी कलम हेप्पी किस डे #wetogether
अपनी कलम हेप्पी किस डे #wetogether
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लग जा गले अपनी कलम अधूरी ख्वाहिशे मन में अंधेरा लायी थी। जब रूह की चादर मूझे छूने आयी थी। सुकून क्या है पहचान नहीं सके। जब औश की बून्दे फूलों को मुरझाने आयी थी। सिमट गई मन अशान्ति बहुत हल्का सा रगं लायी थी। क्योंकि अधूरी ख्वाहिशे मन में अंधेरा ले आयी थी। कान्ता कुमावत हेप्पी हग डे 12 फरवरी © kanta kumawat अपनी कलम हेप्पी हग डे #dilkibaat
अपनी कलम हेप्पी हग डे #dilkibaat
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अपनी कलम अजनबी दुनियाँ में झूठी कसमों ने उस दिन पाव पसारे थे। जब इश्क में कुछ आशिक तो गूँगे और कुछ बहरे थे। हमेशा तारीफों मे झूठे वादे वो करतें है। जो ईश्वर से कभी नही डरते हैं। कान्ता कुमावत हेप्पी प्रोमिस डे 11 फरवरी © kanta kumawat अपनी कलम हेप्पी प्रोमिस डे #dilkibaat
अपनी कलम हेप्पी प्रोमिस डे #dilkibaat
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