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Suresh Kumar

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

अबके फागुन जी जला , बीच पड़ा मलमास । आते आते ही पिया , गुजर गया मधुमाश ।। महेन्द्र सिंह प्रखर #standout

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अबके फागुन जी जला , बीच  पड़ा  मलमास ।
आते  आते  ही  पिया ,  गुजर  गया  मधुमाश ।। 

                     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अबके फागुन जी जला , बीच  पड़ा  मलमास ।
आते  आते  ही  पिया ,  गुजर  गया  मधुमाश ।। 

                     महेन्द्र सिंह प्रखर

#standout

Shubham Gupta

मेरा प्यार तेरे लिए मलमास के महीने की तरह अशुभ मेरा प्यार मेरे लिए रमजान के महीने की तरह पाक #Nojoto #nojotohindi #Love #purelove

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 मेरा प्यार तेरे लिए मलमास के महीने की तरह अशुभ
मेरा प्यार मेरे लिए रमजान के महीने की तरह पाक
#nojoto #nojotohindi #love #purelove

Alka pandey

मलमास,शंकर जी के दिन💕 lalit saxsena, Anshu writer, Prem Lata solanki, Anu Agarwal, Ravi vibhuti, shudha tripathi, kesav Kamal, Monis Khan,ad

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

देखकर सूखी प्यासी झील, नहीं बहता आँखों से नीर । खिलें कैसे कंवल में नील, हृदय में उठती हो जब पीर ।। १ सुनो सजन मेरी बात आ

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देखकर  सूखी  प्यासी  झील,
नहीं  बहता   आँखों  से  नीर ।
खिलें  कैसे   कंवल  में  नील,
हृदय में उठती  हो जब  पीर ।। १

सुनो सजन  मेरी  बात  आज,
नहीं   कटते   मेरे   दिन  रात ।
नहीं कुछ  तुमसे  प्यारा आज,
देख  विरहन  सी  लगती गात ।। २

झूल   रहे   संग  में  ऋतुराज,
आप   नहीं  पिया  मेरे  पास ।
छेड़  सखी  मिलने  का साज
बीत न  जाए  कहीं  मलमास ।। ३

          महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR देखकर  सूखी  प्यासी  झील,
नहीं  बहता   आँखों  से  नीर ।
खिलें  कैसे   कंवल  में  नील,
हृदय में उठती  हो जब  पीर ।। १

सुनो सजन  मेरी  बात  आ

मैं नीतीश

कविता में मलमास हूँ मैं विचारों में बिखरा अहसास हूँ मैं मजदूर ,बेबस ,गरीब को महसूस कर सके वही भावनाएं बटोरे हुए

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कविता में मलमास हूँ 
मैं कविता में 
मलमास हूँ मैं 
विचारों में बिखरा 
अहसास हूँ मैं 

मजदूर ,बेबस ,गरीब 
को महसूस कर सके 
वही भावनाएं बटोरे हुए

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

समय नही रुकता कभी , समय बडा अनमोल । समय समय से जो उठे , समय उसी के बोल ।। १ टिक-टिक चलती ये घडी , खींचे सबका ध्यान । सही समय का कार्य ही

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समय नही रुकता कभी ,  समय बडा अनमोल ।
समय समय से जो उठे ,  समय उसी के बोल ।। १

टिक-टिक चलती ये घडी , खींचे सबका ध्यान ।
सही समय का कार्य ही , देता है सम्मान ।। २

समय रहे जो कार्य को , देता है अंजाम ।
पूर्ण जगत में हो सदा , सिर्फ उसी का नाम ।। ३

करते कर्ता कर्म का , जो रखते है ध्यान ।
इच्छा उनकी पूर्ण सब , करते हैं भगवान ।। ४

एक  तरफ  बच्चे  खड़े , एक  तरफ है मौत ।
बैरन जीवन भी लगे , अब  अपनी ही सौत ।। ५

बहुत जिए उनके लिए ,  हुआ आज अहसास ।
अपना जीवन जब यहां , बना दिया मलमास ।। ६

अपना जीवन भी मुझे , अब दिखता अनमोल ।
मौत सामने  जब खडी , पट जीवन  के खोल ।। ७

अल्हड़ पन  में  खो दिए , जीवन के वे राज ।
जीवन जीना भी कला , समझ गये हम आज ।। ८

जूती सिर  जो रख चलें , कहते अनपढ़ लोग ।
लेकिन वो  भी  स्वाथ्य के , बता  रहे थे योग ।। ९

रहते  थे  रघुवीर  भी , जनक  सुता  के  संग ।
वन-वन  भटके  संग  में , जैसे   डोर   पतंग ।। १०

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR समय नही रुकता कभी ,  समय बडा अनमोल ।
समय समय से जो उठे ,  समय उसी के बोल ।। १

टिक-टिक चलती ये घडी , खींचे सबका ध्यान ।
सही समय का कार्य ही
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