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Shravan Goud
आपका वर्तमान बताता है कि आपका अतित कैसा था और भविष्य कैसा रहेगा इसलिए वर्तमान को श्रेष्ठ बनाने का प्रयास कीजिए। श्रेष्ठ जीवन पाने के वर्तमान का सुचारू होना जरूरी है।
श्रेष्ठ जीवन पाने के वर्तमान का सुचारू होना जरूरी है।
read moreShravan Goud
जब काम सुचारू रूप से नही चल रहा है तो थोडा बदल लिया जाय तो सही रहेगा। परिवर्तन संसार का नियम है। जब काम सुचारू रूप से नही चल रहा है तो थोडा बदल लिया जाय तो सही रहेगा।
परिवर्तन संसार का नियम है। जब काम सुचारू रूप से नही चल रहा है तो थोडा बदल लिया जाय तो सही रहेगा।
read moreShakuntala Sharma
एक ऐसी शक्ति जो सारे जगत को सुचारू रूप से,,, व्यवस्थित रूप से,, कर,, चलाती,, जो इंसान की सोच से परे हैं,, वही शक्ति भगवान है,,, जिस को समझ
read moreAnu Chaudhary
#LifeChangingBook_JeeneKiRaah 👉यदि आप चाहते हैं कि आपका जीवन सुचारू रूप से चले तो आपको संत रामपाल जी महाराज की यह अविस्मरणीय पुस्तक अवश्य पढ
#LifeChangingBook_JeeneKiRaah 👉यदि आप चाहते हैं कि आपका जीवन सुचारू रूप से चले तो आपको संत रामपाल जी महाराज की यह अविस्मरणीय पुस्तक अवश्य पढ
read moreअनुराग चन्द्र मिश्रा
किसान & व्यवस्था ज़िंदगी और ज़िंदगी की राहें भी अजीब हैं, मौसम और मौसमी हवाएं भी अजीब हैं समाज की सामाजिकता सामाजिक नहीं हैं, सरकारी महकमों की व्यवस्था सुचारू नहीं है, राजनीती राजनीतिक किचड़ में धसी पड़ी है, राजनेताओं का नीतियों से कोई मेल नहीं है, देश की जड़ ज़मीन की पैदावार बेमोल पड़ी है, किसान की आमदनी भी सरकारी लाभ का हिस्सा बनी है, देशव्यापी व्यवस्था असल में किसानों के ही पीछे खड़ी हैं| ©अनुराग चन्द्र मिश्रा किसान & व्यवस्था ज़िंदगी और ज़िंदगी की राहें भी अजीब हैं, मौसम और मौसमी हवाएं भी अजीब हैं समाज की सामाजिकता सामाजिक नहीं हैं, सरकारी महकमों
किसान & व्यवस्था ज़िंदगी और ज़िंदगी की राहें भी अजीब हैं, मौसम और मौसमी हवाएं भी अजीब हैं समाज की सामाजिकता सामाजिक नहीं हैं, सरकारी महकमों
read moreNobita
इस कल्पना से परे मैं कहां तक जाता, खुद से ही घुलमिल बर्बाद फिर मैं हो जाता। खत्म नहीं होती फिर सोच कि क्षमताएं, जीवन शैली सुचारू ढंग कहां चला पाता । गर्त की गहराई अब ना नापी जाए, निकलने की चाहा देखो धस फिर जाती। मिट्टी की कब्रों में घुटन बहुत देखी, शांत हृदय तल को समझ फिर भी पाता सच के जीवंत हिस्से को लेस मात्र भी ना समझ पाऊं कि मैं कटी पतंग बन अपनी मांझे से ही कटता जाऊं ©Naveen Chauhan इस कल्पना से परे मैं कहां तक जाता, खुद से ही घुलमिल बर्बाद फिर मैं हो जाता। खत्म नहीं होती फिर सोच कि क्षमताएं, जीवन शैली सुचारू ढंग कहां च
इस कल्पना से परे मैं कहां तक जाता, खुद से ही घुलमिल बर्बाद फिर मैं हो जाता। खत्म नहीं होती फिर सोच कि क्षमताएं, जीवन शैली सुचारू ढंग कहां च
read moreMohit Mudita Dwivedi
जिस वक्त आप भीग रहें होतें हैं, सावन की पहली बारिश में पड़ रहीं होती हैं सेल्फियां, चाय चाट पकौडों की तसवीरें ठीक उसी वक़्त किसी का पूरा संसार उजड़ चुका होता है सरकार कर रही होती है तैयारी आने वाले चुनाव की फिर से बनते हैं पुल वादों के नहीं होता फिर भी कोई सुचारू बंदोबस्त उस हर एक इंसान के डूबने के साथ डूब रहें होतें हैं हम हर आने वाली बाढ़ में इंसान के साथ इंसानियत डूबती है -मोहित जिस वक्त आप भीग रहें होतें हैं, सावन की पहली बारिश में पड़ रहीं होती हैं सेल्फियां, चाय चाट पकौडों की तसवीरें ठीक उसी वक़्त किसी का पूरा संस
जिस वक्त आप भीग रहें होतें हैं, सावन की पहली बारिश में पड़ रहीं होती हैं सेल्फियां, चाय चाट पकौडों की तसवीरें ठीक उसी वक़्त किसी का पूरा संस
read moreIrfan Saeed
jyoti didi ka tv (comedy fun)😝 जी हा एक बार फिर से लौट के आ चुका है ज्योति दीदी का टीवी कुछ लोगों की शिकायत थी कि ज्योति दीदी का टीवी कहां च
read moreRavendra
ट्रांसफार्मर काटकर तेल चुरा ले गए चोर भवनिया पुर गांव में लगे हुए 63 केवीए ट्रांसफार्मर से चोर तेल चुरा ले गए । रुपईडीहा थाना क्षेत्र के भवन
read moreBhupendra Rawat
जब वृक्षों को काटकर धरा को किया गया था निवस्त्र चीख,पीड़ा और उनकी वेदना को नही पढ़ पाया था कोई जिन्होंने पढ़ा, उन्होंने लिखा कोरे पन्नों में करहाती हुई आत्माओं की पुकार को इसी क्रम में धरा का गहना बनाए गए बड़ी बड़ी इमारतें,औद्योगिक केंद्र अपनी इस पीड़ा को भूलाकर, निस्वार्थ दर्द का बखान करने के लिए भी आहुति दी थी कुछ वृक्षों ने, पर्यावरण बचाओ के इस आंदोलन में फिर काटे गए वृक्ष लेकिन इस बार शर्त थी शिक्षा के प्रसार के लिए शिक्षित भारत अभियान को सुचारू रूप से चलाने की। ©Bhupendra Rawat जब वृक्षों को काटकर धरा को किया गया था निवस्त्र चीख,पीड़ा और उनकी वेदना को नही पढ़ पाया था कोई जिन्होंने पढ़ा, उन्होंने लिखा कोरे पन्नों में
जब वृक्षों को काटकर धरा को किया गया था निवस्त्र चीख,पीड़ा और उनकी वेदना को नही पढ़ पाया था कोई जिन्होंने पढ़ा, उन्होंने लिखा कोरे पन्नों में
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