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Stories related to कविता टैगोर

@Sushilkumar_Sushil

रवीन्द्रनाथ टैगोर की ये छोटी सी कविता ।

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Knowledge Fattah

रबीन्द्रनाथ टैगोर

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जो किसान का नहीं हो सकता है वो भारत माँ से प्रेम भी नहीं करता है स्वाभाविक है किसान अन्नदाता है और राष्ट बिना अन्न के नहीं चल सकता है...

(रविन्द्र नाथ टैगोर)

©A. R. Zaidi रबीन्द्रनाथ टैगोर

srgm

#गीतांजलि ,टैगोर

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Abhishek Singh

#रबीन्द्रनाथ टैगोर

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एक लेखक ना जाने कितना कुछ लिख जाता है इतिहास के बारे मे 
एक कलाकार अपनी कला से ना जाने कितने किरदार निभाता है 
लेखक से आज पूरी दुनिया का इतिहास जिन्दा है 
लेखक से आज बने हुए इतिहास का काल ज़िंदा है 
लेखक एक ऐसा गुमनाम चेहरा है 
जो हमेशा अपनी बात छिप के करता है 
कभी अपना चेहरा नहीं दिखता 
बस अपनी बात कह के उलटे पाव चल जाता है 
लोगो को एहसास भी नहीं हो पाता 
की आज जो हम बोल रहे है 
जो हम लिख रहे है 
वो एक लेखक की प्रतिक्रिया है 
जिसमे हर इंसान अनुकूल है #रबीन्द्रनाथ टैगोर

Abhishek Singh

#रबीन्द्रनाथ टैगोर

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एक लेखक ना जाने कितना कुछ लिख जाता है इतिहास के बारे मे 
एक कलाकार अपनी कला से ना जाने कितना कुछ दिखा जाता है 
लेखक से आज पूरी दुनिया का इतिहास जिन्दा है 
लेखक से आज बने हुए इतिहास का काल ज़िंदा है 
लेखक एक ऐसा गुमनाम चेहरा है 
जो हमेशा अपनी बात छिप के करता है 
कभी अपना चेहरा नहीं दिखता 
बस अपनी बात कह के उलटे पाव चल जाता है 
लोगो को एहसास भी नहीं हो पाता 
की आज जो हम बोल रहे है 
जो हम लिख रहे है 
वो एक लेखक की प्रतिक्रिया है 
जिसमे हर इंसान अनुकूल है #रबीन्द्रनाथ टैगोर

Surendra Tagore

सुरेंद्र टैगोर

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 सुरेंद्र टैगोर

Yogendra Singh Parmar

रवींद्रनाथ टैगोर की कविता- कृष्ण कली कविता poem Tagore हिन्दी Hindi kavita कृष्ण कली

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Sunvinder Kaur

#SawaalJa रवींद्रनाथ टैगोर

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WildSudhirAarya

रविन्द्र नाथ टैगोर

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 रविन्द्र नाथ टैगोर

the ghost

# रविंद्र नाथ टैगोर #RABINDRANATHTAGORE

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*वन की चिड़िया कहे सुन पिंजरे की चिड़िया रे *     "*वन में उड़े दोनों मिलकर *"                             पिंजरे की चिड़िया कहे बन की चिड़िया रे;           पिंजरे में रहना बड़ा सुखकर !!                               बन की चिड़िया कहे ना ..........                               मैं पिंजरे में कैद रहूं क्यों कर ;..                             पिंजरे की चिड़िया कहे हाय ,;                           निकलूं मैं कैसे पिंजरा तोड़ कर !!!!!                          

#रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा##                                रचित कविता का एक अंश ... # रविंद्र नाथ टैगोर

#RABINDRANATHTAGORE
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