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Saumitra Tiwari
।।साम्प्रदायिकता।। साम्प्रदायिकता के बीज बो कर व्यवस्था चाहिये जिसे... वैमनस्यता की आग में कुर्सी चाहिये जिसे... ये हर धर्म समाज की धरती है, राष्ट्र नीति की जननी है.... ये व्यवस्था परिवर्तन की पृष्ठभूमि है, लक्ष्यित शासन की कहानी है... भेदभाव करते हुए राजनीति चाहिये जिसे... ऐसे लोंगो से क्यों न मुक्ति चाहिये हमें... छात्र मजदूर नौजवान किसान, जब अपना हक दोहरायेंगें... अशिक्षा बेरोजगारी गरीबी भुखमरी, से निजात दिलवायेंगें... ये समय हमारा उनका होगा, जो गैर बराबरी माँगेंगें.... समय समानता और सत्ता में तब अपना हिस्सा चाहेंगें... आवाज को कुचलकर, रास्ते को रोककर, वाहवाही चाहिये जिसे... संघर्ष से सवाल, चाटुकारिता को जवाब, भूमिका चाहिये जिसे... ऐसे नीच कायरों से आजादी चाहिये हमें... ----पंडित सौमित्र तिवारी साम्प्रदायिकता की आग से मुक्ति चाहिये हमें....
साम्प्रदायिकता की आग से मुक्ति चाहिये हमें....
read moreसोचती स्याही
जो मन से मन का द्वेष भया , राम और अल्लाह खिच रहे एक दूजे के केश ! भीङ में आगे लड़ गये मुल्ल से पंडित , ओर बस पीछे रह गया मेरा देश!! " सोचती स्याही " अगर इंसानियत सभी धर्मो का आधार हैं तो साम्प्रदायिकता निराधार हुयी न? #religion #riots #delhi #harmony
Krishna B. Gautam
#हैप्पीदीवाली अब हर घर में सुंदर दिये जलें भर- भरकर लोगों में खुशियाँ बटें किसान-मजदूर भी खुलकर हँसे भाईचारे की एक नई इबारत लिखे पटाखे नहीं, नफरतों का रूप जले भारत में एक ऐसी भी दिवाली मने दीवाली एक ऐसी भी।।।। #दीवाली #दीपावली #दीपोत्सव #प्रकाशोत्सव #त्योहार #प्यार #भाईचारा #अपने #पटाखे #फुलझड़ी #किसान #मजदूर #साम्प्रदायिकता #कृ
Priya Gour
आजादी के शुभ दिन की स्वर्णिम वेला है आई, जान की कुर्बानी जिसके ख़ातिर असंख्यों ने लगाई, कहा आसान थी मिलना देश को आजादी, गोरे थे अत्याचारी देश में मचा दी थी बर्बादी, उन परिस्थितियों में जिसने आवाज उठाई, क्रांति की लौ जिस-जिस ने जलाई, थे वो सब स्वतंत्रता सेनानी बड़े ही स्वाभिमानी, भारत माँ की आजादी ही जिन्होंने अंतिम साँस तक चाही, आज आजाद है मन से अब हकीकत में आजाद बनना, सोने की चिड़िया है अपना देश फिर किसीका ना गुलाम बनना, देशप्रेम की भावना को हर दिन बढ़ने देना, राम की पावन धरा को तुम ना बदनाम करना, गौरव हैं इतिहास निज धरा का वीरों की अमर बलिदानी हैं, तिरंगा लहराये सदा शान से यही हम सबने ठानी हैं, संवैधानिक देश अपना साम्प्रदायिकता इसका गहना, जाति-धर्म का भेद ना करना सब मिलकर प्यार से रहना, यही मेरी कलम का कहना जय हिंद कहने में ना झिझकना, बहुत बाँट दिया अब देश को और ना बाँटने देना, भारत का नाम हो चारों और अब यही प्रयास करते रहना। ©Priya Gour 75 वें स्वतंत्रता दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं...❤😍🇮🇳 🇮🇳जय हिंद🇮🇳 जय भारत 🇮🇳भारत माता की जय...🇮🇳❣️ #Independence2021 #मेरादेश #भारत
75 वें स्वतंत्रता दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं...❤😍🇮🇳 🇮🇳जय हिंद🇮🇳 जय भारत 🇮🇳भारत माता की जय...🇮🇳❣️ #Independence2021 #मेरादेश #भारत
read moreAnil Ray
साम्प्रदायिक तुफान में किनारे पर अडिग स्तंभ बनने से समाधान कहाँ? अरे! नाविक उतर सागर में फिर सुंदर मोती चुन और सदा गीत प्रेम के गाता रहे। पराधीन होकर स्वयं में उलझा हुआ आदमी नहीं जानता धर्म क्या है? बस खोजता स्वयं जैसे बना लेता है एक मंच ताकि धर्म नही धंधा यह निर्बाध चलता रहे। स्वयं जले प्रेममशाल सा फिर नफरत के अँधेरे में भी रोशन जहां रहे। सम्प्रदाय चाहे जितने भी निर्मित करते जाये हम पर अनन्त: प्रकाश सिर्फ और सिर्फ......... मानवता से ही रहे। अच्छा रहेगा अनिल हम धर्म के लिए नही धर्म हमारे लिए रहे। ©Anil Ray 🌺 मानवता परमो धर्म: 🌺 विचारार्थ लेखन.............. ✍🏻 🟠संसार का प्रत्येक मानव अपनी मौलिक शारीरिक रचनानुसार समान है अर्थात
🌺 मानवता परमो धर्म: 🌺 विचारार्थ लेखन.............. ✍🏻 🟠संसार का प्रत्येक मानव अपनी मौलिक शारीरिक रचनानुसार समान है अर्थात
read moreDadhich Praveen Sharma
✍भारत और भारतीय✍ मैं भारत हूँ, मैं सबका हूँ। मैं भारतीय हूँ, सब मेरे हैं।। मैं भारत हूँ, मैं वीरों का जन्मदाता हूँ। मैं भारतीय हूँ, मैं वीरों की सुनता गाथा हूँ।। मैं भारत हूँ, मैं नारी का रक्षक हूँ। मैं भारतीय हूँ, मैं शक्ति का उपासक हूँ।। मैं भारत हूँ, मैं बहती गंगा धारा हूँ। मैं भारतीय हूँ, मैं उस माँ गंगा में खाता हिलोरा हूँ।। मैं भारत हूँ, मैं साम्प्रदायिकता का पुजारी हूँ। मैं भारतीय हूँ, मैं हर जाति-धर्म का हकदारी हूँ।। मैं भारत हूँ, मैं दधीचि का त्याग हूँ। मैं भारतीय हूँ, मैं त्याग की एक आग हूँ।। मैं भारत हूँ, मैं राणा का स्वाभिमान हूँ। मैं भारतीय हूँ, मैं उसी लहू की संतान हूँ। मैं भारत हूँ, मैं तेरी रग-रग में सम्मिलित हूँ। मैं भारतीय हूँ, मैं तेरे कण-कण में मिश्रित हूँ। दाधीच प्रवीण शर्मा, नागौर, राजस्थान। ©dadhichpraveensharma #NojotoQuote ✍भारत और भारतीय✍ मैं भारत हूँ, मैं सबका हूँ। मैं भारतीय हूँ, सब मेरे हैं।। मैं भारत हूँ, मैं वीरों का जन्मदाता हूँ। मैं भारतीय हूँ, मैं वी
✍भारत और भारतीय✍ मैं भारत हूँ, मैं सबका हूँ। मैं भारतीय हूँ, सब मेरे हैं।। मैं भारत हूँ, मैं वीरों का जन्मदाता हूँ। मैं भारतीय हूँ, मैं वी
read moreRajesh Raana
आज़ादी के मायने (कैप्शन में पढ़े) आज़ादी के मायने मेरे देश का सबसे बड़ा रोग , आज़ाद देश के गुलाम लोग । हम साम्प्रदायिकता को पकड़े , हम पुरातन बेड़ियों में जकड़े । हम आधे आज़ाद
आज़ादी के मायने मेरे देश का सबसे बड़ा रोग , आज़ाद देश के गुलाम लोग । हम साम्प्रदायिकता को पकड़े , हम पुरातन बेड़ियों में जकड़े । हम आधे आज़ाद
read moreकवि राहुल पाल 🔵
कड़वा सच समाज में अलगाववाद ,जातिवाद का व्यापक कचरा है ! साम्प्रदायिकता बड़े विरोध और खण्डता का खतरा है !! अहंकार और गुमान आज नफ़रत के बीज पैदा करता है ! इसमे सिर्फ दो इंसान नही वरन समाज भी पिसता रहता है !! हर गली आज बेरोजगारी के व्यथा से थपेड़ो में ऊब रही है ! शिक्षा की गगरी बिन रस्सी के देखो जैसे कुएं में डूब रही है !! जो नारी गरिमा का प्रतीक कभी ,वो आज हुई है मौन यहाँ ! उस बेबस की लाचारी पर तू ,क्यों है खड़ा खामोश यहाँ !! जब गर्दन नपे बाप की तब नैतिकता की इज़्ज़त क्या होगी । रोटी माँ के हाथों की न हो, उस रोटी में लज्ज़त क्या होगी !! बन्दर से इंसान है बदला अब ये बाते झूठी आज लगती है ! जिसे गिरगिट जैसे रंग बदलने की आदत अच्छी लगती है!! जब जकड़ गया कानून बेड़ियो में ,बना झूठ का हमदर्द जहाँ ! फिर देगा कौन गवाही भला इस जहाँ में नाइंसाफ़ी की वहाँ !! जिस दर पर याचक चिल्ला रहा वहाँ अंधा कानून है सो रहा! गंगा भी हो गयी इतनी मैली जब इंसान पाप इतने है धो रहा !! धन लोभी तन के भूखे निर्मम बहसी दरिंदे आसपास ही रहते है! ये नही रहम के काबिल है जो लोमड़ी जैसा घात लगाए रहते है !! निष्ठा बिकती लाभ दाम पर ,विश्वास कौड़ियों के है मोल लगा ! लिए तराजू बैठी थी ईर्ष्या ,प्यार को नफरत में लिया तोल ठगा !! जड़ बुद्धि और जड़ कामो से हर तरफ दूषित है अब पर्यावरण ! ये प्रकृति नियम उल्लंघन नही ,ये प्रकति का है अब चीरहरण !! पानी नही है अश्क़ है 'राहुल' जो नेत्रो को दर्द की है जुबान देती ! ये कवियों की पंक्तियां ही आज मानवता को है सम्मान देती !! #kadwasach समाज में अलगाववाद ,जातिवाद का व्यापक कचरा है ! साम्प्रदायिकता बड़े विरोध और खण्डता का खतरा है !! अहंकार और गुमान आज नफ़रत के बीज
#kadwasach समाज में अलगाववाद ,जातिवाद का व्यापक कचरा है ! साम्प्रदायिकता बड़े विरोध और खण्डता का खतरा है !! अहंकार और गुमान आज नफ़रत के बीज
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लोकसभा चुनाव का दूसरा फेस करीब आते आते उत्तर प्रदेश में हिंदू मुसलमान को लेकर राजनीति तेज हो गई है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपीए सरकार
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