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Sangeeta Patidar
मेरे इश्क़ में सोज़ भी है,इसी में तुम्हारी राहत भी है, रूठ कर छोड़ूँगी भी नहीं, मुझे तुम्हारी आदत भी है। Pic © Sangeeta Patidar सोज़- जलना #sangeetapatidar #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #सोज़ #yqdidi
Pic © Sangeeta Patidar सोज़- जलना #sangeetapatidar #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #सोज़ #yqdidi
read moreMd Salim Pathan
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्ताँ हमारा ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियाँ गुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा यूनान-ओ-मिस्र-ओ- रोमा, सब मिट गए जहाँ से अब तक मगर है बाकी, नाम-ओ-निशाँ हमारा कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-जहाँ हमारा 'इक़बाल' कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसताँ हमारा इक़बाल' कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा
इक़बाल' कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा
read moreShankki Sharma
निहाँ से हो गए है वो नजरोँ से कुछ यूँ, की ख़ुदा मिल गया पर वो कभी ना मिले। #निहाँ #कोराकाग़ज़ #writinggyan #wordoftheday #collabwithकोराकाग़ज़ #urdu #poetry
#निहाँ #कोराकाग़ज़ #writinggyan #wordoftheday #collabwithकोराकाग़ज़ #urdu poetry
read moreAbeer Saifi
मिलेगा नाज़नीं आख़िर मिरे दिल को सुकूं कैसे कि सब कुछ है सिवा तेरे बताओ मैं हँसूँ कैसे मिरे आंसू नहीं गिरते मगर ये पूछते हैं सब बताओ बात कैसी है तिरे आँखों में खूँ कैसे दुबारा लौट कर आओ मुझे इक बार तो बोलो मता'-ए-ज़िन्दगी हो तुम बिना तेरे रहूँ कैसे रहम इतना करो मुझ पे नहीं आना तो ना आओ बताओ बस ज़रा इतना करूँ तर्क-ए-जुनूँ कैसे सज़ा-ए-हिज्र ग़ालिब है अभी ख़ामोश रहता हूँ बहोत कुछ आपसे कहना मगर मैं अब कहूँ कैसे हरारत जिस्म में बाकी अभी है और ज़िंदा हूँ जगाऊँ रूह में "सैफ़ी" मगर सोज़-ए-दरूँ कैसे 1222 1222 1222 1222 #cinemagraph मता'-ए-ज़िन्दगी - ज़िंदगी की दौलत तर्क-ए-जुनूँ - दीवानगी को छोड़ना सजा-ए-हिज्र - जुदाई की सज़ा हरारत -
1222 1222 1222 1222 #cinemagraph मता'-ए-ज़िन्दगी - ज़िंदगी की दौलत तर्क-ए-जुनूँ - दीवानगी को छोड़ना सजा-ए-हिज्र - जुदाई की सज़ा हरारत -
read moreAbeer Saifi
मिलेगा नाज़नीं आख़िर मिरे दिल को सुकूं कैसे कि सब कुछ है सिवा तेरे बताओ मैं हँसूँ कैसे मिरे आंसू नहीं गिरते मगर ये पूछते हैं सब बताओ बात कैसी है तिरे आँखों में खूँ कैसे दुबारा लौट कर आओ मुझे इक बार तो बोलो मता'-ए-ज़िन्दगी हो तुम बिना तेरे रहूँ कैसे रहम इतना करो मुझ पे नहीं आना तो ना आओ बताओ बस ज़रा इतना करूँ तर्क-ए-जुनूँ कैसे सज़ा-ए-हिज्र ग़ालिब है अभी ख़ामोश रहता हूँ बहोत कुछ आपसे कहना मगर मैं अब कहूँ कैसे हरारत जिस्म में बाकी अभी है और ज़िंदा हूँ जगाऊँ रूह में "सैफ़ी" मगर सोज़-ए-दरूँ कैसे 1222 1222 1222 1222 #cinemagraph मता'-ए-ज़िन्दगी - ज़िंदगी की दौलत तर्क-ए-जुनूँ - दीवानगी को छोड़ना सजा-ए-हिज्र - जुदाई की सज़ा हरारत -
1222 1222 1222 1222 #cinemagraph मता'-ए-ज़िन्दगी - ज़िंदगी की दौलत तर्क-ए-जुनूँ - दीवानगी को छोड़ना सजा-ए-हिज्र - जुदाई की सज़ा हरारत -
read morePrerit Modi सफ़र
122 122 122 12 मेरे अश्क़, आब-ए-रवाँ हो गए।। हम अनजान फिर से, यहाँ हो गए।। जुदाई हुई जबसे अपनी सनम। हसीं पल वो सारे, निहाँ हो गए।। बग़ीचे गुलों में जो लबरेज़ थे। बग़ीचों में काँटे, जवाँ हो गए।। किया जिस पे इतबार मैंने यहाँ। मुझे छोड़ कर वो दवाँ हो गए।। कभी भी जो छू आते थे आसमाँ। परिंदे वो अब, ना-तवाँ हो गए।। मेरी साँसे चलती हैं तुमसे ही अब। "सफ़र" तुम मेरे, हम-नवाँ हो गए।। आब-ए-रवाँ- बहता पानी निहाँ- hidden दवाँ- भागना ना-तवाँ- कमज़ोर #yqbaba #yqdidi #shayari #gazal #सफ़र_ए_प्रेरित #bestyqhindiquotes
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read moreAshiq Momin
वो राज़ ए निहाँ दिल में मेरे दफ्न रह गया वो समझे नहीं कैफियत, मैं चुप ही रह गया #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #निहाँ #wordoftheday #writinggyan #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan
noshad meerut
क्या नहीं और ग़ज़नवी कारगह-ए-हयात में बैठे हैं कब से मुंतज़िर अहल-ए-हरम के सोमनात! ज़िक्र-ए-अरब के सोज़ में, फ़िक्र-ए-अजम के साज़ में ने अरबी मुशाहिदात, ने अजमी तख़य्युलात क़ाफ़िला-ए-हिजाज़ में एक हुसैन भी नहीं ©noshad meerut क्या नहीं और ग़ज़नवी कारगह-ए-हयात में बैठे हैं कब से मुंतज़िर अहल-ए-हरम के सोमनात! ज़िक्र-ए-अरब के सोज़ में, फ़िक्र-ए-अजम के साज़ में
क्या नहीं और ग़ज़नवी कारगह-ए-हयात में बैठे हैं कब से मुंतज़िर अहल-ए-हरम के सोमनात! ज़िक्र-ए-अरब के सोज़ में, फ़िक्र-ए-अजम के साज़ में
read moreताजदार
ठुकरा के मेरी मोहब्बत को तूने, दिया अपने हाथों से ज़ख़्म-ए-जिगर।। फ़िर भी हमारी तबी'अत तो देखो, बना कर रखा तुझ को लख़्त-ए-जिगर।। ना जाने कि क्या है सोहबत में तेरी, कि भूले हम सारे है सोज़-ए-जिगर।। ये तेरी मोहब्बत का ही असर है, कि शायर बना एक ख़ूनीं-जिगर।। करना तो चाहते अदावत है तुझसे, करे भी तो क्या तू है ख़ून-ए-जिगर।। 96/365 #cinemagraph #365days365quotes #bestyqhindiquotes #writingresolution #aprichit #प्यार #ग़ज़ल #मोहब्बत ज़ख़्म-ए-जिगर - दिल की चोट
96/365 #cinemagraph #365days365quotes #bestyqhindiquotes #writingresolution #aprichit #प्यार #ग़ज़ल #मोहब्बत ज़ख़्म-ए-जिगर - दिल की चोट
read moreRaghav
आप यूँ ही हर किसी से अपना सोज़-ओ-गुदाज़ कहाँ बाट सकते हैं, बड़ा अरसा लगता है ऐसा किरदार मिलने में जिसे आप ना जानते हुए मुंसलिक महसूस करते हैं... ©Raghav *सोज़-ओ-गुदाज़... सुख दुःख/happiness sadness *मुंसलिक... जुड़े हुए/connected #liife
*सोज़-ओ-गुदाज़... सुख दुःख/happiness sadness *मुंसलिक... जुड़े हुए/connected #liife
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