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Azeem Khan
शोर और ख़ामोशी इक तेरे गम में कितना मुब्तला हूं मैं । ख़ामोश हूं लेकिन, अपने शेरों मैं खुला हूं मैं । azeem khan #तेरे गम में मुब्तला #
#तेरे गम में मुब्तला #
read moreAbdul Gaffar Ghurail
"ख़ुदा ही जाने "Abdul" किस हालात में मुब्तला होगा, वो शख्श मुझे छोड़ने में,जो उसे एक दफ़ा पीछे मुड़ कर देखना वी याद न रहा"!!!✍🏻✍🏻✍🏻Mr.Abdul✍🏻✍🏻✍
"ख़ुदा ही जाने "Abdul" किस हालात में मुब्तला होगा, वो शख्श मुझे छोड़ने में,जो उसे एक दफ़ा पीछे मुड़ कर देखना वी याद न रहा"!!!✍🏻✍🏻✍🏻Mr.Abdul✍🏻✍🏻✍
read moreAbeer Saifi
तुम बज़्म-ए-नशात में ا जा यहाँ से दूर जा, तू मुब्तला सानेहात में اا बज़्म-ए-नशात - खुशी की महफि़ल, मुब्तला - फंसना, सानेहात - विपदा इंसान अपने ही विचारों का क़ैदी है, अक्सर इधर उधर की बातें दिल में बैठा लेता ह
बज़्म-ए-नशात - खुशी की महफि़ल, मुब्तला - फंसना, सानेहात - विपदा इंसान अपने ही विचारों का क़ैदी है, अक्सर इधर उधर की बातें दिल में बैठा लेता ह
read moreAbeer Saifi
तुम बज़्म-ए-नशात में ا जा यहाँ से दूर जा, तू मुब्तला सानेहात में اا बज़्म-ए-नशात - खुशी की महफि़ल, मुब्तला - फंसना, सानेहात - विपदा इंसान अपने ही विचारों का क़ैदी है, अक्सर इधर उधर की बातें दिल में बैठा लेता ह
बज़्म-ए-नशात - खुशी की महफि़ल, मुब्तला - फंसना, सानेहात - विपदा इंसान अपने ही विचारों का क़ैदी है, अक्सर इधर उधर की बातें दिल में बैठा लेता ह
read moreinksp.ot
अब अगर वो कभी मुझसे मिले तो मैं उससे बात नही करूंगा उस की तरफ देखूंगा भी नही मैं कोशिश करूंगा मेरा दिल कही और मुब्तला हो जाए अब मैं उसे या
read moreAbeer Saifi
इक माँ अज़ीज़ है आलम-ए-तमाम में रब उसकी सलामती हो हर इक सलाम में रब उस दिल की आरज़ू है वो तेरे दर पे आए मैं उसको ले के जाऊँ बैत-उल-हराम में रब मैं उसको देखता हूँ बादल में कहकशां में उसकी झलक मिले है माह-ए-तमाम में रब ख़ाहिश कभी नहीं की ज़ाहिर यकीं करोगे वो ख़ुश रही सदा ही मेरे इंतज़ाम में रब मुझसे सवाल पूछा किसका मक़ाम अफ़ज़ल मैं झूठ बोल आया तेरा मक़ाम या रब रस्ता है जन्नतों का उसके कदम के नीचे 'सैफ़ी' वहीं से आए दार-उस-सलाम में रब अज़ीज़ - प्यारा आलम-ए-तमाम. - सारी दुनिया बैत-उल-हराम. - मक्का माह-ए-तमाम. - पूरा चाँद अफज़ल - ऊंचा, ऊपर दार-उस-सलाम - एक जन्नत का नाम
अज़ीज़ - प्यारा आलम-ए-तमाम. - सारी दुनिया बैत-उल-हराम. - मक्का माह-ए-तमाम. - पूरा चाँद अफज़ल - ऊंचा, ऊपर दार-उस-सलाम - एक जन्नत का नाम
read moreAbeer Saifi
इक माँ अज़ीज़ है आलम-ए-तमाम में रब उसकी सलामती हो हर इक सलाम में रब उस दिल की आरज़ू है वो तेरे दर पे आए मैं उसको ले के जाऊँ बैत-उल-हराम में रब मैं उसको देखता हूँ बादल में कहकशां में उसकी झलक मिले है माह-ए-तमाम में रब ख़ाहिश कभी नहीं की ज़ाहिर यकीं करोगे वो ख़ुश रही सदा ही मेरे इंतज़ाम में रब मुझसे सवाल पूछा किसका मक़ाम अफ़ज़ल मैं झूठ बोल आया तेरा मक़ाम या रब रस्ता है जन्नतों का उसके कदम के नीचे 'सैफ़ी' वहीं से आए दार-उस-सलाम में रब अज़ीज़ - प्यारा आलम-ए-तमाम. - सारी दुनिया बैत-उल-हराम. - मक्का माह-ए-तमाम. - पूरा चाँद अफज़ल - ऊंचा, ऊपर दार-उस-सलाम - एक जन्नत का नाम
अज़ीज़ - प्यारा आलम-ए-तमाम. - सारी दुनिया बैत-उल-हराम. - मक्का माह-ए-तमाम. - पूरा चाँद अफज़ल - ऊंचा, ऊपर दार-उस-सलाम - एक जन्नत का नाम
read moreSaani
Life Like खोई खोई सी रहती हूं मैं तेरे ख़्याल में। वो छोड़ गया न जाने मुझे किस हाल में।। रहती है आँखें नम और दिल भी बेकरार। यूं उम्रें गुजर रही है अब तेरे मलाल में।। मुझको तो थी तलाश तेरे एक जवाब की। मैं उलझ के रह गई हूं तेरे एक सवाल में।। मुझको यकीं है कि बदलेगी ये फिज़ा भी। आएगा लौट के पास मेरे इसी साल में।। "सानी" तुम मुब्तला न हो राह ए ईश्क में। बर्बाद जिंदगी हो जायेगी तेरी मलाल में।। (Md Shaukat Ali "Saani" ) ©Saani खोई खोई सी रहती हूं मैं तेरे ख़्याल में। वो छोड़ गया न जाने मुझे किस हाल में।। रहती है आँखें नम और दिल भी बेकरार। यूं उम्रें गुजर रही है
खोई खोई सी रहती हूं मैं तेरे ख़्याल में। वो छोड़ गया न जाने मुझे किस हाल में।। रहती है आँखें नम और दिल भी बेकरार। यूं उम्रें गुजर रही है
read moreSangeeta Patidar
तेरे ग़म में मुब्तला हो सुख़न लिख रही हूँ, लोग कहते हैं 'बहुत ख़ूब' अंदाज़ है मेरा. #हैदर बरेलवी के साथ पार्टी सपेट करें जिसकी शायरी सबसे अच्छी लगेगी उसको हमारी तरफ से टेस्टीमोनियल दिया जाएगा ग़म मतलब दुःख,परेशानी मुब्त
#हैदर बरेलवी के साथ पार्टी सपेट करें जिसकी शायरी सबसे अच्छी लगेगी उसको हमारी तरफ से टेस्टीमोनियल दिया जाएगा ग़म मतलब दुःख,परेशानी मुब्त
read moreNojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
क्या कहूँ तुम से मैं कि क्या है इश्क़ मीर तक़ी मीर (पूरी ग़ज़ल अनुशीर्षक में) #NojotoQuote Ghazal in Hindi On Love क्या कहूँ तुम से मैं कि क्या है इश्क़ जान का रोग है बला है इश्क़ इश्क़ ही इश्क़ है जहाँ देखो सारे आलम में भर रहा
Ghazal in Hindi On Love क्या कहूँ तुम से मैं कि क्या है इश्क़ जान का रोग है बला है इश्क़ इश्क़ ही इश्क़ है जहाँ देखो सारे आलम में भर रहा
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