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Stories related to नारी शक्ति पर शायरी

risky_risk_07

'15 अगस्त पर शायरी' शायरी लव

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Santosh Verma

नारी

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White होली हो दिवाली हो या हो तीज त्योहार तुझे ना मिलता इसके बदले कोई छुट्टी ना उपहार हर वक्त कर्म से रचती तू अपना सुंदर संसार
है नारी शक्ति तुझे मेरा बारम बार प्रणाम।

प्रणाम
🙏🏻
                     ✍🏻संतोष

©Santosh Verma नारी

Sonal Panwar

नारी शक्ति👍💪Women power✨💫 #womenempowerment #narishakti हिंदी कविता कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी

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नारी तेरे कितने रूप तुझसे पावन जीवन की हर धूप,
तू है अन्नपुर्णा, तू है सृजनहार है इस सृष्टि का आधार,
तू है दुर्गा और सरस्वती, है शक्ति का स्वरूप साकार,
स्नेहिल व्यक्तित्व से सुगंधित महकते रिश्तों का जहान,
नारी तू है स्वाभिमान, नारी तू है महान्।

©Sonal Panwar नारी शक्ति👍💪Women power✨💫 #womenempowerment #narishakti हिंदी कविता कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी

Mefuj Ansari

दोस्ती शायरी '15 अगस्त पर शायरी'

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sahi baat he mujhse

©Mefuj Ansari  दोस्ती शायरी '15 अगस्त पर शायरी'

Dharamveer Kumar

काजल पर शायरी

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दिल में प्यार का तूफान लेकर बरसता बादल बन जाऊं हसरत मेरी है की आंखों का तेरी आंखों का काजल बन जाऊं ♥️

©Dharamveer Kumar काजल पर शायरी

Dharamveer Kumar

काजल पर शायरी

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तेरी नशीली आंखें ओर उन में लगा काजल हाय तुझको देखते ही पागल हुआ जाता हूं तेरी अंखियों में इश्क देखकर मेरी उम्मीदों का मकसद हौसला तुझ में ना था मुझसे जुदा होने का चांदनी रात भी जल जाए जब तू काजल लगा कर आए💋

©Dharamveer Kumar काजल  पर शायरी

official Sahabu

दोस्ती शायरी '15 अगस्त पर शायरी' शायरी

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Satish Kumar Meena

नारी शक्ति

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Sandeep L Guru

नारी है शक्ति, नारी है मान, समानता का हक़, नारी की पहचान। #sandeeplguru #viral #Poetry #women_equality_day poetry in hindi poetr

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Kiran Ahir

नारी

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काश ये युग भी सतयुग होता..
ना घुंघट की आढ होती ,
ना स्त्री कोई अभिशाप होती...
ना बेटी-बेटे में अंतर होता,
ना शिक्षा से कोई वंचित होता...
ना पुरुषो का वर्चस्व होता ना नारी का अपकर्ष होता 
समाज में दोनो का पद दूसरे के समकक्ष होता...
ना दहेज प्रथा ना सती प्रथा ना डाकन प्रथा का आरंभ होता
और इन प्रथाओं के नाम पर ना स्त्री शोषण प्रारंभ होता...
उसके जन्म पर ही लोग क्यों हर बार यू घबराते है 
गलती चाहे किसी की हो पर उस पर ही उंगली उठाते है...
मां, बहन, बेटी और ना जाने कितने रिश्ते निभाती है 
फिर भी क्यों हर बार वो बुरी नजरों से देखी जाती है...
हर सपने पर उसके क्यों रोक लगाई जाती है
क्यों जीवन भर बस वो पिंजरे में बंद रह जाती हैं...
क्यों सतयुग की नारी सी अब उसकी पहचान नहीं
क्यों पुरुषो और नारी में पहले जैसा समभाव नहीं...
क्या उसको जीने का अधिकार नहीं 
क्यों पहले जैसा अब व्यवहार नहीं...
क्या सतयुग सा सम्मान वो हर युग में पाने की हकदार नही,
है वो संसार की जननी तो क्या देवी का वो अवतार नही...

©Kiran Ahir नारी
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