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Ajita Bansal
White दर्द ने सिखाया खुद से मिलना, राहों में खो जाने से पहले, ख़ुद को जानना ज़रूरी है, तब जाकर कोई सही रास्ता लगे। हर ख्वाब का पीछा करते हुए, सपनों में खो जाते हैं हम, लेकिन जब वो टूटते हैं, तब महसूस होता है, हम कहाँ थे, कहाँ हम। अक्सर दूसरों की नज़र से ही जीते हैं हम, पर सच्ची पहचान तो अंदर से आती है। जो खुद को समझे, वही खुद को पा सकता है, बाकी सब तो बस एक छलावा होता है। अब मेरी आँखों में बस एक सवाल है, क्या मैं सचमुच खुद से प्यार करता हूँ? जब तक ये सवाल हल नहीं होगा, ख़ुद के ही हाल में, ख़ुद से जूझता रहूँगा। ©Ajita Bansal #Sad_Status poem of the day
#Sad_Status poem of the day
read moreNikita Sharma (Ni-Chha)
देश ही नहीं विदेशों में पहचान बनाना आसान कहा होता है... जमशेद जी सा रतन अब कहा होता है... ©Nikita Sharma (Ni-Chha) #business man of india
#Business man of india
read moreCricket
White If it goes into the tire, it changes the speed of the vehicle worth lakhs of rupees.. Similarly, if a small negative thought goes into the mind, it stops both the speed and progress of a man.... ©Cricket If it goes into the tire, it changes the speed of the vehicle worth lakhs of rupees.. Similarly, if a small negative thought goes into the m
If it goes into the tire, it changes the speed of the vehicle worth lakhs of rupees.. Similarly, if a small negative thought goes into the m
read moreSonam singh Sonam singh
8400640330 ©Sonam singh Sonam singh balloon decoration Lucknow
balloon decoration Lucknow
read moreSonam singh Sonam singh
8400640330 ©Sonam singh Sonam singh balloon decoration Lucknow
balloon decoration Lucknow
read moreSonam singh Sonam singh
White , 8400640330 ©Sonam singh Sonam singh balloon decoration Lucknow
balloon decoration Lucknow
read moreAjita Bansal
White वो रास्ते भी क्या रास्ते थे, जो हमें मंज़िल तक ले जाते थे। कभी धूप में, कभी छाँव में, हम चलते रहे, सफ़र के साथ। हर मोड़ पर, हर इक ठहराव में, मिले हमसे कुछ किस्से नए। कभी हँसाए, कभी रुलाए, वो रास्ते भी हमें सिखाते गए। कभी ठोकरें खाईं, कभी गिरकर उठे, मंज़िल की ओर बढ़ते गए। वो रास्ते हमें समझाते रहे, कि संघर्ष ही है असली जीत का रास्ता। ©Ajita Bansal #Thinking poem of the day
#Thinking poem of the day
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