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शुभ'म
हे काँटें, मुझे तुमसे करना है कुछ बातें, उनमें खुद को क्यों चुभाते हो, दर्द के आँसू क्यों बहाते हो, किसी का मंजिल यूहिं रोक लेते हो, अच्छे खासे को जाने से, पहले ही क्यों टोक देते हो, फिर काँटे का कहनाम है, हम तो यूंहि बदनाम हैं, अगर मैं चुभता नही, तो मेरा कदर कहाँ है, अगर मैं चुभता नही, तो उनका मेरी तरफ नजर कहाँ है, सीधे मंजिल-मंजिल करके भागते रहते, और उनको ठहरने का कोई समय कहाँ है, कम-से-कम इस बहाने तो, वो हमसे रूबरू हुए, हमारे एहसास से तो टकराए, अपने घमण्ड की दुनिया, को हमसे तो अजमाए, उनके दर्द से हमें भी एहसास होता है, सारी दुनिया को, अपने जद्द में करने वाला इंसान भी, मेरे एक चुभन से कभी मेरा गुलाम होता है, जो वह देता दूसरों को दर्द, मैं भी उस दर्द को समझता हूँ, आता जब वक्त मेरा, खुद को चुभा के, अपना प्रतिशोध जरूर लेता हूँ, -Sp"रूपचन्द्र" काँटे का उत्तर
काँटे का उत्तर
read moreमनोहर सिंह राठौड़
देशनोक करणी माता मंदिर *अपनी ज़िंदगी की, उत्तर पुस्तिका को ख़ुद ही जांचिए.....* *लोग, अपने हिसाब से, जांचेंगे, तो फेल ही करेंगे....!!!*
*अपनी ज़िंदगी की, उत्तर पुस्तिका को ख़ुद ही जांचिए.....* *लोग, अपने हिसाब से, जांचेंगे, तो फेल ही करेंगे....!!!*
read moreAnjali Raj
प्रेम मुखपृष्ठ ,तत्व, शैली, प्रेम रस ,छंद ,बिम्ब विधान प्रेम ही है ज़िन्दगी की पुस्तिका का विषय प्रधान #YQdidi #yqhindi #अंजलिउवाच #प्रेम #विषय #पुस्तिका #छंद
Harshit thakuriya
राजस्थानी वेशभूषा का विवरण IG : https://instagram.com/gumnam__shayar__?igshid=1trpf8gxb4egn
read moreShishir Rane
प्रश्नः-भारत अविनाशी तीर्थ स्थान है - कैसे? उत्तर:-भारत बाप का बर्थ प्लेस होने के कारण अविनाशी खण्ड है, इस अविनाशी खण्ड में सतयुग और त्रेतायुग में चैतन्य देवी-देवता राज्य करते हैं, उस समय के भारत को शिवालय कहा जाता है। फिर भक्तिमार्ग में जड़ प्रतिमायें बनाकर पूजा करते, शिवालय भी अनेक बनाते तो उस समय भी तीर्थ है इसलिए भारत को अविनाशी तीर्थ कह सकते हैं। गीत:-:गीत:-रात के राही, थक मत जाना........ Audio Player ©Shishir Rane $Shiv_nirskar$_ka_प्रशन और उस का उत्तर$
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read moreMahadev Son
देवों के महादेव अनादि अदिपती उत्तपति इस्तिति संहार कर्ता त्रिलोकी स्वामी संसार ऱचयिता जगतपिता बैराग्य रूद्र भैरव पशुपति नाथ रूप सृष्टि स्त्रोत्र ज्योतिष शास्त्र, लय प्रलय के स्वामी स्वरूप प्रकीर्ति सामंजस बनाये गौरी शंकर परिवार जटा गंगधार सिर चंन्द्रमा सोहे, कंठ में विष सर्पो की गल माल, अमिर्तव्य व विष समेठे, हाथ में डमरू धुन नाचे दूजे त्रिशूल विकराल, पुरुष अर्धनारीश्वर एक गृहस्थ श्मशानवासी, वीतरागी वैरागी, सौम्य रुद्र रूप भूत-प्रेत, नंदी सिंह सवार, मयूर मूषक सभी समभाव! स्वयं द्वंद्वों से रहित सह-अस्तित्व समाये महान विचार परिचायक, सृष्टि संचालक मेरे महादेव महाकाल ! 🙏ॐ नमः शिवाय🙏 (M S Singh...✍️) ©Mahadev Son महादेव के स्वरूप विवरण
महादेव के स्वरूप विवरण
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