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बख़्शी डायरी
यही हो ख़त्म अब ये सफर मेरा भटकने से हासिल हुआ क्या है ला - ईलाज एक मर्ज़ है मोहब्बत जब दुआ न लगी तो दवा क्या है -साबिर बख़्शी ©बख़्शी डायरी भटकने से हासिल हुआ क्या है #Nojoto #ishq #shayari #Broken #Dard #mohabat #love
Robin Pandey
ADiL KHaN (शहज़ादा)
भटकने में भी मज़ा आता है। दोस्तो मेरा आगामी लाइव शो को बुक करना न भूलें - क्या आप खुश हैं? इसमे हम कोशिश करेंगे कि आपसे फेस टू फेस बात कर
read moreShubh
राज़ सीने में दफ़न करें रखा, माथे की सिकन को छिपाए रखा; धड़कन को साँसो से मिलाये रखा, सच को साये से दबाये रखा; थे भटकने के बहुत से अंदेशे, महोब
read morepyara birju
#lovebeat मैं तो एक किरायदार सा मुसाफिर बन गया हूँ..... जिसने जितना किराया वसूलना चाहा .... बसूलकर मुझे दर दर भटकने के लिये छोड़ दिया ।।। म
read moreNaitik Mishra
“अपनी ज़िन्दगी से मैं बहुत ख़ुश हूँ ! क्योंकि मुझे सपनो से ज़्यादा अपनों की फ़िक्र है !!” - via bkb.ai/quotes84 लाख योनियों में भटकने के बाद
read moreDivya Joshi
अब असल कहानियाँ अपने सुनाए जाने की राह देख रही हैं। वे अव्यक्त अनुभूतियां व्यक्त होने को छटपटा रही हैं। हर रुदन, हर कृन्दन, हर दुःख, हर निराशा, हर ख़ुशी, हर कृतज्ञता, हर भाव बाहर आना चाहता है, जो न जाने कहाँ कहाँ भटकने के बाद ICF के गलियारों में अपना सफ़र तय कर रहा है। ये खाली समय यूँ ही नहीं मिला है। अब कहानियाँ गढ़ी नहीं जाएंगी। ईश्वर की गढ़ी कहानियाँ कही जाएँगी। कहेगी ये कलम! जो अरसे से फिर चुप बैठी थी। और चुप बैठ पाना जिसकी फितरत में नहीं है! चाहे खुशी हो, गम या घोर निराशा! ये हर विषम परिस्थिति में चली है। और इस बार ये दुष्कर जंग भी जीतेगी। इस बार कलम चलेगी IIHNO से। यही वो मुकाम है, जो जीवन को बदलने वाला है। कुछ समय के लिए जीवन का पड़ाव यही है अब। इस अप्रत्याशित युद्ध को लड़कर जीतने की तैयारी हो चुकी है और तुम्हें हर हाल में जीतना है! शुभकामनाएं मन के मोती 19 अप्रैल 2023 @ divyajoshi ©Divya Joshi तुम्हें जीतना है। अब असल कहानियाँ अपने सुनाए जाने की राह देख रही हैं। वे अव्यक्त अनुभूतियां व्यक्त होने को छटपटा रही हैं। हर रुदन, हर कृन्द
तुम्हें जीतना है। अब असल कहानियाँ अपने सुनाए जाने की राह देख रही हैं। वे अव्यक्त अनुभूतियां व्यक्त होने को छटपटा रही हैं। हर रुदन, हर कृन्द
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
चुप चुप सी मेरी मिल्लत की हालत क्यूं हैं,जब खौफे खुदा नही,तो फिर आज हमे *जालिम से*दहशत क्यूं है//१ यकीनन हम सोचा नही करते कभी अंजाम अपना, तो फिर आज हमे जल्लाद की*कयादत क्यूं है//२ ये महसूस तो करे के,रब रहता है हरदम करीब*रगे गूलू तो फिरआज हमे दर बदर भटकने की ज़रूरत क्यूं है//३ हम अपनी नाफरमानी,नादानी के खुद ही है*बाइस, तो फिर आज हमे खामखां औरो से शिकायत क्यूं है//४ जिस मिल्लत का*हामी हो अल्लाह और कूरान,तो फिर आज इस मिल्लत के हिस्से मे*ज़लालत कयू है//५ कुछ् संगदिलो के सीने मे है,उल्फत,तो फिर आज हम*बशर को बशर से इतनी नफरत क्यू है//६ बेशक हमको मयस्सर है बेशुमार तदादे कुव्वते बाजू,तो फिर आज हमे अबाबीलों के लश्कर की ज़रूरत क्यूं है//७ यकीनन देगा खुदा*फतेह,तू बस*इतेहाद से रह,जललाद खुद होगा खाक,फिर आज तेरे दिल मे *हताहत क्यूं है//८ ऐ मुसलमा न डर,तू*बातिले कसरत से,तेरी की थौ जंगे-बदर मे मदद वो खूदा आज भी है,फिर आज तू उस जात से*गफलत्त मे क्यू है//८* शमा की है उसी खुदा से दुआ,के दुश्मने इस्लाम को कर दाखिल, मजहबे इस्लाम् मे,तो फिर आज हमे इस जंग की*वजाहत क्यू है//९ shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #lonely चुप चुप सी मेरी मिल्लत की हालत क्यूं हैं,जब खौफे खुदा नही,तो फिर आज हमे *जालिम से*दहशत क्यूं है//१*अत्याचारी*भय यकीनन हम सोचा नही क
#lonely चुप चुप सी मेरी मिल्लत की हालत क्यूं हैं,जब खौफे खुदा नही,तो फिर आज हमे *जालिम से*दहशत क्यूं है//१*अत्याचारी*भय यकीनन हम सोचा नही क
read moreGRHC~TECH~TRICKS
प्रथम श्रवण विधा की 9 अवधारणाएं ******************************** 1.केवल श्रवण विधा से ही एक अधर्म को धर्म रूप मानना का मुल कारण है वर्तमान काल के आधुनिक युग में समस्त पृथ्वी पर । 2.एक श्रवण विधा से अपुर्ण ज्ञान को पुर्ण ज्ञान द्वारा से न जानना का मुल कारण भी है। 3. स्पष्टता से श्रवण विधा की सात कलाऔ से अवलोकन नहीं करना उनका घोर अंधकार को । अज्ञान रूप से इसे पुर्ण प्रकाश रूप में समझना का मुल कारण है । 4.पाखण्ड रूपी तुच्छ अनुभूति को वास्तविक रूप में न समझना एक अधर्मी रुपी अवधारणाएं पैदा करती रहती है निरंतर। 5.अपने आपको शैतान जानना और दुसरे को श्रेष्ठता से समझते चलना खुद के विश्वास अनुभव को खत्म करके एक चलन से पुर्ण अन्धविश्वास में बदलने का मुल कारण एक पुर्ण भ्रम की जड़ ही है। हर पल पुरुषार्थ शक्ति और नारी शक्ति आज़ अपने हृदय में समस्त पृथ्वी पर। 6. आपके पुरुषार्थ शक्ति/नारी शक्ति के सम्पुर्ण शरीर में ही समस्त ब्रह्माण्ड का ज्ञान आन्तरिक पृवति में अच्छी तरह संजोए रखा है । इस युग में आपका ज्ञान ही समस्त पृथ्वी पर भौतिक जीवन में बाहरी पृवति खोजने से तुच्छ साहस से खोजते जा रहे है। निरंतर दिन-प्रतिदिन। 7.अपने अनुभव को खत्म करके औरौ की संस्कृति और प्रकृति से अनुभव प्रस्तुत कर रहा है /रहे है अपने ग्रहस्थजीवन काल में। इसलिए स्वयं का शत्रु खुद हो रहे है निरंतर अभ्यास के तुच्छ ज्ञान से। 8. माता और पिता को केवल जन्मदाता मानकर धीरे- धीरे संस्कार रूपी पवित्र मोक्षदायिनी मार्ग को त्यागकर जाने से। अपने तुच्छ गुरुऔ के पाखण्ड को अपनाकर अधोगति मार्ग को स्वयं खोजकर ला रहे है अपने ग्रहस्थजीवन काल मैं। 9. स्वय ही अपना उद्धार कर सकते है तुम सभी , यही उद्धार आपके माता-पिता, पितृऋण से मुक्त कर देगा। आपकों एक दिन अन्धकार रूप संसार वृक्ष से इस पथ पर भटकने से रुप एक अवधारणाएं पैदा करना है यही भुल आपकी अधोगति का रुप है। यह मेरी वाणी श्री गीता जी गुप्त रहस्य भाव है। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #tereliye प्रथम श्रवण विधा की 9 अवधारणाएं ******************************** 1.केवल श्रवण विधा से ही
#grhctechtricks #tereliye प्रथम श्रवण विधा की 9 अवधारणाएं ******************************** 1.केवल श्रवण विधा से ही
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