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Abhimanyu Dwivedi
**अनुभव & अनुभूति** अनु (अणु) = अनु अर्थात अन्दर का ,अणु अर्थात अंश भव = संसार अनुभव = संसार के अंदर रहकर संसार से प्राप्त होने वाला आंशिक समझ अनुभूति = आत्मा में होने पर उपलब्ध होने वाला यथार्थ बोध अर्थात *बाह्य जगत से मन,विचारों एवं भावों से प्राप्त होने वाली भावनात्मक समझ को अनुभव कहा जाता है एवं अहोभाव, समर्पण से आत्मा की सृजनात्मक अभिव्यक्ति का नाम अनुभूति है** 🙏अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त) 🙏 ©Abhimanyu Dwivedi Bodh
Bodh
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**बोध से प्रेम तक** **बोध के आँगन में दिव्यता की रोशनी झरती है और प्रेम के प्राँगण में जीवन का सत्चिदानन्द बरसता है** 🙏🍀🙏अभिमन्यु मोक्षारिहन्त 🙏🍀🙏 ©Abhimanyu Dwivedi Bodh
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read morePuneet Suthar
to doston ek kahani hai ek gaon mein ek budhiya aurat rahte the aur uska ek beta tha vah bhi mar Gaya aur vah roti roti sabhi gharon mein ghoom rahi thi mere bacche ko bacha lo mere bacche ko bacha lo to use ek vyakti dikhai Diya aur use vyakti ne kaha ki mang ji aap aise kyon rahe ho to usne bola ki mera baccha mar gaya hai use koi Jinda kar do to vah vyakti use buddhi aurat ko Gautam Buddh ke pass lekar Gaya aur Gautam Buddh ne bola ki man mein is bacche ko theek to kar dunga per aapko kisi aur ke Ghar jakar ek mutthi sarso ke dhan lekar aane Hain vah Khushi se uth bade aur jaane lagi FIR Gautam Buddh ne piche se use kaha Maru ko aapko sarson ke daane use Ghar se laane Hain jis ghar mein kisi ki mrityu Na Hui ho ya sunkar mamballi mein le aaungi vah budhiya aur jis ghar mein jaati vahan per bhi koi Na koi mara hua dikhai deta koi Na koi Na mara hua vahan per paida hua tha isiliye bahan roti roti I Gautam Buddh ke paas usne kaha mujhe koi bhi kisi ke ghar mein koi bhi nahin sarson ka Dana Mila sab ke Ghar mein mare hue hain chote se bade to Gautam Buddh ne use hai Shiksha de ki sabhi ko ek din marna hai yah aapko kahani kaisi lagi isliye aapko comment karna like karna jyada se jyada share Karen ©Puneet Suthar #Gotam
Abhimanyu Dwivedi
🌺🌼 **ध्यानंकुर**🌼🌺 **ज्ञान पुंज भव दीप शिखा है जिसकी अविरल धारा नित बहती जाये अनुभूति के शिखर बिन्दु से अभिव्यक्ति में ही ढलती जाये प्रज्ञा चछु जगा ले बन्दे जीवन ज्योति निरंतर चलती जाये जब तक प्रज्ञा धवल न हो जाये तब तक चेतन गगन उदित ना हो पाए जब उदित चेतना का नीलगगन हो स्वयं विराट सहज सरल हो जाये ** ©Abhimanyu Dwivedi Chetna bodh
Chetna bodh
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**मोक्ष** *मोक्ष आत्मा का मूलाधार है,न कि देह का अनुभव मोक्ष ध्यान का बोध है,न कि समझ का तूल सार है मोक्ष चेतना आविर्भाव है,न कि ह्रदय के भावों की है मोक्ष प्रज्ञा से संबोधि निरख है न कि बुद्धि की समझ मोक्ष जीव बोधिरमयम होश है न कि शरीरभेद की दौड़ मोक्ष चैतन्य अस्तित्व निधि है न की नियमबध्द विधि मोक्ष शून्य से शून्य तक है न कि अंको की परिपाटी कृति मोक्ष पूर्ण से महापूर्ण है न की अपूर्ण की पूर्ण निधि मोक्ष जन्म-मृत्यु के पार जीवन है न कि अमरता की युक्ति मोक्ष स्वयं से स्वयंभू चिरसमाधि अव्यक्त परोक्ष परमरहस्य है न की ज्ञान तक अवस्थित ज्ञेय है **अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त)** ©Abhimanyu Dwivedi bodh
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🌱🌷🌱यथार्थ बोध🌱🌷🌱 *वाणी और भाषा का जनम मन में संकलित विचारो से होता है जिनकी हद बुद्धि से होकर मस्तिष्क की समझ तक ही सीमित है जिसे बुद्धिजीवी कहा जाता है न की- **ज्ञान** भावो की हद ह्रदय से गुणों तक अवतरित होना है किन्तु **यथार्थ**- मन,वाणी, विचार, समझ,भाव,गुण की परिधि से सर्वथा परे और नित्य स्वयं विभूषित है जिसका आविर्भाव ही अनुभूति के द्वार से होता है जिसे समझा तो कदापि जा ही नहीं सकता इसमें केवल कैवल्य हो तिरोहित हुआ जा सकता है क्युकी ज्ञान प्रज्ञाचछु के निर्मल वृन्द से उपजा चेतना का यथार्थ बोध है 🌱🙏अभिमन्यु (मोक्षारिहन्त)🙏🌱 ©Abhimanyu Dwivedi bodh
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