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वेदों की दिशा
।। ॐ।। सुरेतसा श्रवसा तुञ्जमाना अभि ष्याम पृतनायूँरदेवान्॥ पद पाठ सु॒ऽरेत॑सा। श्रव॑सा। तुञ्ज॑मानाः। अ॒भि। स्या॒म॒। पृ॒त॒ना॒ऽयून्। अदे॑वान्॥ (सुरेतसा) श्रेष्ठ वीर्य युक्त होकर (श्रवसा) ज्ञान व प्रभुत्व द्वारा (विश्वानि) समस्त (धन्या) योग्य पदार्थों को (दधानाः) धारण करते और (तुञ्जमानाः) आत्म बलिदान करते हुए (अभिष्याम) सब ओर से विजयी होवें (पृतनायून्) आक्रमणकारी (अदेवान्) असुरों व अविद्वानों पर॥ (Suratasa) having superior semen (sravasa) by knowledge and dominion (vishvani) holding all (dhanya) worthy things (dādhānaःa) and (tunjamānaःa) self-sacrificing (abhisāyam) victorious from all sides (pनाrtānayun) invader ( Adevan) on the demons and the ignorant. ( ऋग्वेद » मण्डल:३» सूक्त:१» मन्त्र:१६ ) #Beauty #Veda
वेदों की दिशा
यजुर्वेद अध्याय ४० मंत्र १२ यही मंत्र ईशोपनिषद का १२ मंत्र भी है। अ॒न्धन्तमः॒ प्र वि॑शन्ति॒ येऽवि॑द्यामु॒पास॑ते। ततो॒ भूय॑ऽइव॒ ते तमो॒ यऽउ॑ वि॒द्याया॑ र॒ताः अ॒न्धम्। तमः॑। प्र। वि॒श॒न्ति॒। ये। अवि॑द्याम्। उ॒पास॑त॒ इत्यु॑प॒ऽआस॑ते ॥ ततः॑। भूय॑ऽइ॒वेति॒ भूयः॑ऽइव। ते। तमः॑। ये। ऊँ॒ऽइत्यूँ॑। वि॒द्याया॑म्। र॒ताः ये) जो मनुष्य (अविद्याम्) अनित्य में नित्य, अशुद्ध में शुद्ध, दुःख में सुख और अनात्मा शरीरादि में आत्मबुद्धिरूप अविद्या उसकी अर्थात् ज्ञानादि गुणरहित कारणरूप परमेश्वर से भिन्न जड़ वस्तु की (उपासते) उपासना करते हैं, वे (अन्धम्, तमः) दृष्टि के रोकनेवाले अन्धकार और अत्यन्त अज्ञान को (प्र, विशन्ति) प्राप्त होते हैं और (ये) जो अपने आत्मा को पण्डित माननेवाले (विद्यायाम्) शब्द, अर्थ और इनके सम्बन्ध के जानने मात्र अवैदिक आचरण में (रताः) रमण करते (ते) वे (उ) भी (ततः) उससे (भूय इव) अधिकतर (तमः) अज्ञानरूपी अन्धकार में प्रवेश करते हैं These people who (avidyam) are eternal in eternity, pure in impure, happiness in sorrow and self-enlightened avidya in self-righteousness, that is, that is, knowledgeless virtuous cause (worship) of the root thing different from God, they (blind, tamah) of vision. Obstructing darkness and extreme ignorance (pry, visinti) are attained and (these) those who consider their soul as a scholar (vidyam), know (rātāh) in mere impersonal conduct (te) they (u) ) Too (sic) from him (Bhuya Eve) enters into (mostly) ignorant darkness. #veda #gyan
वेदों की दिशा
।। ॐ ।। जातवेद: पुनीहि मा । हे सर्वज्ञ प्रभो! आप मेरे जीवन को पवित्र कीजिये । O God! You are Omniscient; Make my life pious with your grace. ( यजुर्वेद १९ . ३९ ) #yajurveda #Veda
वेदों की दिशा
मा बिभेर्न मरिष्यसि ।। हे मनुष्य तू भयभीत ना हो, तुम ( रोग से ) मरोगे नहीं।। Fear not, you will not die ( अथर्वेद.५.३०.८ ) #Veda #अथर्ववेद
Preeti Verma
itni si umar mai humhe yuh chordkar chale jana... socha nhi tha kabhi tera bin btaaye yuh chale jana.. yaad aayenge bahot pyaar bhare zindagi ka taraana... abhi bhi yakin nahi hota tera tera yuh chordkar jaana..😭 Rip ©Preeti Verma #siddhart sukla #RIP
Neeta sharma life tutorial
जिंदगी भी बडी अजीब है कब क्या सुनने और देखने को मिल जाए कोई पता नहीं कुछ पल तो सब रोते है वरना मौत के कुछ दिन बाद तो वही परिवार भूल जाता है जिसके खास होते हैं😟😢😥😭 miss you Siddhartha sukla ©Neeta sharma life tutorial RIP Siddhartha sukla
RIP Siddhartha sukla
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।। ॐ ।। आ भानुना पार्थिवानि ज्रयांसि महस्तोदस्य धृषता ततन्थ। स बाधस्वाप भया सहोभिः स्पृधो वनुष्यन् वनुषो नि जूर्व ॥६॥ पद पाठ आ। भा॒नुना॑। पार्थि॑वानि। ज्रयां॑सि। म॒हः। तो॒दस्य॑। धृ॒ष॒ता। त॒त॒न्थ॒। सः। बा॒ध॒स्व॒। अप॑। भ॒या। सहः॑ऽभिः। स्पृधः॑। व॒नु॒ष्यन्। व॒नुषः॑। नि। जू॒र्व॒ ॥ जो प्रेम से मित्र होकर जैसे सूर्य्य अन्धकार को, वैसे भयों को दूर करके संग्रामों को जीतते हैं, वे प्रतिष्ठित होते हैं ॥ Those who become friends with love, like the sunlight darkness, overcome fears and conquer conflicts, they are revered. ( ऋग्वेद ६.६.६ ) #rigveda #Veda #freind
वेदों की दिशा
।। ॐ ।। आ न॑ऽएतु॒ मनः॒ पुनः॒ क्रत्वे॒ दक्षा॑य जी॒वसे॑। ज्योक् च॒ सूर्यं॑ दृ॒शे ॥ पद पाठ आ न॑ऽएतु॒ मनः॒ पुनः॒ क्रत्वे॒ दक्षा॑य जी॒वसे॑। ज्योक् च॒ सूर्यं॑ दृ॒शे ॥ (मनः) जो स्मरण करनेवाला चित्त (ज्योक्) निरन्तर (सूर्यम्) परमेश्वर, सूर्यलोक वा प्राण को (दृशे) देखने वा (क्रत्वे) उत्तम विद्या वा उत्तम कर्मों की स्मृति वा (जीवसे) सौ वर्ष से अधिक जीने (च) और अन्य शुभ कर्मों के अनुष्ठान के लिये है, वह (नः) हम लोगों को (पुनः) वार-वार जन्म-जन्म में (आ) सब प्रकार से (एतु) प्राप्त हो ॥ (Manah) One who remembers Chitta (Jyok), continuous (Suryam) God, Suryaloka or Prana to see (visions) or (Kritave), best knowledge or memory of good deeds (Jiva), live more than hundred years (f) and other auspicious It is for the rituals of deeds, that (nah) we get (again) in every way (etu) in birth-wise, again and again. ( यजुर्वेद ३.५४ ) #yajurveda #Veda #पुनःजन्म