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Parasram Arora
White शबनमी ताज़ी सुबह उसे आज फिर से अच्छी लगने लगी हैँ लगता हैँ आज उसे शायद जीने की कोई नई वजह मिल गई हो ©Parasram Arora जीने की नई वजह
जीने की नई वजह
read moreParasram Arora
White हमें साँसों की इस रेलगाड़ी से एक लम्बा सफर तय करना है आ सकते है दुख के कई ठहराव लेकिन तुम ख़ुशी के जंक्शन ही ढूंढ़ते रहना ©Parasram Arora साँसों की रेलगाड़ी
साँसों की रेलगाड़ी
read moreRamnik
White कुछ लोग यूंही अकेले छोड़ चले जाते है, पर जाने से पहले जीने के बहाने लाख छोड़ जाते है। ©Ramnik #जीने की वजह
#जीने की वजह
read moreJanvi Meshram
एक बार हारने के बाद खुद का होसला नहीं छोडना चाहिए lक्युकी हारणे के बाद ही जीतने मे मजा आता है l ©Janvi Meshram जीने का होसला l
जीने का होसला l
read moreShashi Bhushan Mishra
जीने की तैय्यारी में, कटती उम्र उधारी में, लेन-देन कारोबारी, गिनती हो संसारी में, बँटे हुए कुनबे अपने, पाण्डे,मिश्र,तिवारी में, हाथी,घोड़ा,ऊँट नहीं, पैदल पाँव सवारी में, मजदूरी की है ताकत, उड़िया,बंग,बिहारी में, जोते बिना बुआई हो, ऊरद, मूँग,खेसारी में, है मिसाल दोस्ती की, कृष्ण सुदामा यारी में, सुने पुकार द्रौपदी की, कृष्ण समाए साड़ी में, भव बाधा काटे गुंजन, रखो आस बनवारी में, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra #जीने की तैय्यारी में#
#जीने की तैय्यारी में#
read moreVijay Shankar
White टीचर- बच्चों को ज्ञान का पाठ बढ़ाते हुए... बताओ क्लास में लढ़ाई क्यों नहीं करनी चाहिए? गोलू- सर, पता नहीं परीक्षा में किसके पीछे बैठना पड़ जाए... ©Vijay Shankar टीचर बच्चों को ज्ञान का पाठ बढ़ाते
टीचर बच्चों को ज्ञान का पाठ बढ़ाते
read more@DeepTalk
White एक तोता होता है वो सोचता है कास मैं भी कभी पिंजरे के उस पार खुली आसमान में अपना पंख फैला पाता तभी अचानक पिंजरा जमीन पर धड़ाम से गिरता है दरवाजा जो पिंजरे में लगा था वो टूट जाता है और पंछी आजाद हो जाता है वो बाहर निकलता है अपने पंखों को पूरी शक्ति से फड़फड़ाता है और खुली आसमान में निकल जाता है पूरे दिन वो उधर से इधर,इधर से उधर उड़ता रहता है और शाम होते ही एक वृक्ष के डाल में बैठ जाता है उस दिन वो बड़े सुकून से पेड़ के डाल में ऐसे सो जाता है जैसे एक शिशु अपने मां के गोद में थोड़ी देर बाद तोता पेड़ में लगे फलों को खाने लगता है थोड़ा आम का थोड़ा जामुन का तो बेर का फल खा खा के मौज से नीचे गिरा रहा होता है भूख भी तो जोरो की था खाने का इतना वैरेटी देख वो बड़ा प्रसन्न रहता है पर इसला सुकून ज्यादा वक्त का नही होता सुबह होते ही उस पेड़ के पास एक माली आता है उसकी आने की आहट सुन तोता तुरंत वहा से दूर एक कुटिया में जाकर बैठ जाता है तभी उसकी नजर एक बच्चे पे पड़ता है जो भूख से बिखला रहा होता है मां से खाने की जिद करता है मां भी कहती है रुक जा बेटा थोड़ी देर गुजर जाने दे अभी पानी पीले थोड़ा दिन को और ढल जाने दे फिर खा लेना बच्चा कहता है क्यों मां मां कहती है बेटा रोटी एक है दिन पूरे 24 घंटे का है अभी खा लेगा तो बाद में भूख लगेगी तो क्या खायेगा उनकी इस बात को सुन तोता द्वंद में पड़ जाता है सोचता है भगवान इनके पास आजादी है पर खाने को खाना नही मेरे पास खाना है पर जीवन में आजादी नहीं मैं सोच रहा था आजाद है वो कितने सुखी है पर इनके भूख को देख मुझे मेरा गुलामी ही प्रिय लग रहा तभी मां रोटी का छोटा सा टुकड़ा तोते की ओर फेंकता है तोता यह देख चौंक जाता है चौकने का बात ही था जेब भरी हो तो दान करना आसान होता है खाली हो तो उतनी ही कठिन पर यह कठिन कार्य मां कितने सहज भाव से कर दी तोता से रहा नही गया तोता ने मां से पूछ लिया मां भूखी तो तुम भी हो ये रोटी का निवाला तुम भी तो खा सकते थे पर तुमने मुझे क्यों दिया मां मुस्कुराई और बोली बेटा पेट चाहे इंसान का हो या पंछी का भूख तो सबको लगती है और रही बात मेरे भूख की तो ऊपर वाला उसे भी भर देगा इतना सुन तोता के आंखो में आशु आने लगता है इतने में दहलीज में उसका पति का आना होता गमछे में कुछ बांध रखा होता है जब वो गमछा खोलता है उसमें से बहुत सारे मीठे मीठे फल निकलते हैं पर सभी फलों में एक समानता होती है उस फल को कोई थोड़ा थोड़ा खाकर छोड़ दिया होता है तोता की नजर मां के पति पर पड़ता है वो वही माली होता है जिसे देख वो भागा था और वो वही फल होता जिसे खाकर तोता ने छोड़ दिया था इस दृश्य को देख तोता को यकीन हो जाता है के जो दोगे तुम्हे वही मिलेगा ©@DeepTalk तोता को मिला जीवन का मूल मंत्र#sad_shayari
तोता को मिला जीवन का मूल मंत्रsad_shayari
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