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Devesh Dixit
अनंत (दोहे) लीला अनंत आपकी, ओ गिरिधर गोपाल। जकड़े जिसमें हैं सभी, वो है माया जाल।। जिसे रचा है आपने, माया वही अनंत। कैसे अब दीदार हों, ओ मेरे भगवंत।। महिमा अनंत आपकी, कहते सभी सुजान। एक न पत्ता हिल सके, जाने सकल जहान।। भजे आपको जो कभी, उसका बेडा पार। सुख साधन से हो धनी, ऐ मेरे भरतार।। सत्य बचाने के लिए, रूप किया विस्तार। चलता अनंत काल से, जीवन का ये सार।। कलियुग ने घेरा अभी, है उसका ही जोर। हुए अनंत प्रहार हैं, दर्द सहें अब घोर।। ........................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #अनंत #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry अनंत (दोहे) लीला अनंत आपकी, ओ गिरिधर गोपाल। जकड़े जिसमें हैं सभी, वो है माया जाल।। जिसे रचा ह
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कदम (दोहे) कदम - कदम पर ठोकरें, खाता है इंसान। जो संभल उससे गया, हो उसका गुणगान।। कदम - कदम पर टोक हो, जीना लगे मुहाल। कैसे किसको बोध हो, हम क्यों हैं बेहाल।। एक कदम तुम जो बढ़ो, वो बढ़ते हैं चार। प्रेम भाव से तुम रहो, मिल जाते भरतार।। मेरे पापा कह गए, रखो कदम संभाल। एक कदम मजबूत हो, तभी बढ़ाओ चाल।। उचित राह पर हो कदम, मिलता है ठहराव। कहते हैं सज्जन सभी, निर्मल यही स्वभाव।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कदम #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry कदम (दोहे) कदम - कदम पर ठोकरें, खाता है इंसान। जो संभल उससे गया, हो उसका गुणगान।। कदम - कदम प
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White अनंत (दोहे) लीला अनंत आपकी, ओ गिरिधर गोपाल। जकड़े जिसमें हैं सभी, वो है माया जाल।। जिसे रचा है आपने, माया वही अनंत। कैसे अब दीदार हों, ओ मेरे भगवंत।। महिमा अनंत आपकी, कहते सभी सुजान। एक न पत्ता हिल सके, जाने सकल जहान।। भजे आपको जो कभी, उसका बेडा पार। सुख साधन से हो धनी, ऐ मेरे भरतार।। सत्य बचाने के लिए, रूप किया विस्तार। चलता अनंत काल से, जीवन का ये सार।। कलियुग ने घेरा अभी, है उसका ही जोर। हुए अनंत प्रहार हैं, दर्द सहें अब घोर।। ........................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #अनंत #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi अनंत (दोहे) लीला अनंत आपकी, ओ गिरिधर गोपाल। जकड़े जिसमें हैं सभी, वो है माया जाल।। जिसे रचा ह
#अनंत #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi अनंत (दोहे) लीला अनंत आपकी, ओ गिरिधर गोपाल। जकड़े जिसमें हैं सभी, वो है माया जाल।। जिसे रचा ह
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नारायण (दोहे) हे नारायण आपको, नमन् करूँ हर बार। कृपा करो अब आप ही, कर दो बेड़ा पार।। भक्त जनों की भीड़ है, लगा हुआ दरबार। मुझको भी आशीष दो, आऊंँ तेरे द्वार।। सभी मांँगते आपसे, मिले सुखी संसार। मैं भी हूँ अब राह में, ओ मेरे भरतार।। नाम जपूँ मैं आपका, नारायण भगवान। ऐसी श्रृद्धा दो मुझे, हो मुख पर मुस्कान।। हुआ नहीं विश्वास है, कैसे करूँ बखान। माया में ऐसा फंँसा, घेरे है व्यवधान।। अद्भुत लीला आपकी, कहते सभी सुजान। मैं भी उसको देख लूँ, ऐसा हो भगवान।। जागे फिर विश्वास है, श्रृद्धा का भी भाव। अंतर्मन में तुम बसो, फिर मेरा हो चाव।। ....................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #नारायण #दोहे नारायण (दोहे) हे नारायण आपको, नमन् करूँ हर बार। कृपा करो अब आप ही, कर दो बेड़ा पार।। भक्त जनों की भीड़ है, लगा हुआ दरबार।