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Ek villain
क्षेत्र का दृश्य के सकल घरेलू उत्पाद प्रतिशत योगदान है यह क्षेत्र देश की 60% आबादी को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मुहैया कराता है लेकिन देश भर में किसानों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है उत्पादन और मूल्य प्राप्ति दोनों में अनुचित की वजह से किसान पूछ लागत वाली कृषि से दुष्कर्म में फंस गए हैं इतना ही नहीं केमिकल युक्त खेती से प्राकृतिक और मनुष्य के स्वास्थ्य में काफी गिरावट आई है इस संकट से किसानों को निकालना और उनके दिल से कल्याण के लिए हमें प्राकृतिक खेती की तरह अग्रसर होना होगा यदि किसान प्राकृतिक खेती करें तो उन्होंने अपने उत्पाद को कौन-कौन दामों में बेचने से मुक्ति मिल जाएगी प्राकृतिक खेती सस्ती सरल और ग्लोबल वार्मिंग का मुकाबला करने में सक्षम है इस विधि से खेती करने वाले किसानों को बाजार से किसी प्रकार की उर्वरक और कीटनाशक को खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती भूमि के वातावरण से ही फसलों की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है फसलों की सिंचाई के लिए पानी और बिजली भी कम खर्च होती है कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि प्राकृतिक छोटी किसान छोटे संगीत किसानों के लिए वरदान से कम नहीं है क्योंकि वर्तमान में खेती के लिए भी जो उर्वरकों और कीटनाशकों आदि की भारी कीमत चुकाने के लिए किसानों को कर्ज का सहारा लेना पड़ता है इससे किसान ना केवल कर्ज में डूब रहे हैं बल्कि फसलें भी जहरीले हो रही हैं अनार सब्जियों के माध्यम से यह जहर हमारे शरीर में जाता है जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां लगातार फैल रही है हां यदि हम अपने परिवार समाज को स्वस्थ रखना है तो हमें प्राकृतिक खेती की ओर लौटना ही होगा ©Ek villain # प्राकृतिक खेती किसानों के लिए वरदान #Beauty
# प्राकृतिक खेती किसानों के लिए वरदान #Beauty
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बीते कुछ वर्षों से जैविक उत्पादों की मांग बढ़ रही है पर अभी प्राकृतिक खेती करने वाले लोग बहुत कम है एक आम धारणा है कि प्राकृतिक खेती से पर्याप्त उत्पाद नहीं हो पाता यह भी सही है कि लोगों की जरूरतें बढ़ी है और व्यवस्थाएं भी यही कारण है कि लोग फसलों में रसायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग करने लगे इससे फसलों का खर्चा बड़ा और उत्पादक को का मानव शरीर पर प्रतिकूल असर भी पड़ने लगा यही कारण रहा है कि लोग पुनः प्राकृतिक खेती करने लगे हैं विशेषज्ञों ने भी सुझाव दिया है कि पारंपरिक तरीके से भी फसलों का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के लोग ने भी इस सुझाव में प्राकृतिक खेती की ओर कदम बढ़ाए अब हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती के मामले में देश के लिए प्रेरणा सूत्र बनकर उभरे हैं गुरुवार को गुजरात में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिमाचल के प्रयासों की सहारा ना कि उन्होंने कृषि विज्ञान उसे भी आगाह किया कि किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करते हैं यह ब्रेक 16 से निकलकर खेतों में जाएं और किसानों को प्राकृतिक तरीके से कैसे उत्पादन बढ़ाया जा सकता है कि विषय में जागरूक करें प्राकृतिक तरीके से बीज मिट्टी का उपचार संभव है प्राकृतिक खेती के लिए पानी की खपत कम होती है और कई फसलें भी ली जा सकती है गोबर की खाद फसलों के लिए सर्वोत्तम है गोमूत्र फसलों को कीड़ों से बचाने के लिए अहम है कचरा पारा ली पेड़ पौधे इत्यादि भी प्राकृतिक खेती के लिए खाद का प्राकृतिक खेती में लागत कम होती है और दम बेहतर मिलता है यह सुखद है कि राज्य में डेढ़ लाख से अधिक किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपना स्थिति की तरह हर साल नहीं किसान जुड़ रहे हैं बाजार में भी उत्पादकों को लोग हाथों हाथ ले रहे हैं इनके बेहतर दाम भी मिल रहे हैं यह उत्पादक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है उम्मीद की जानी चाहिए कि अधिक से अधिक किसान प्राकृतिक खेती से जुड़कर अपनी आगे बढ़ाएं ©Ek villain # प्राकृतिक खेती #Flower
# प्राकृतिक खेती #Flower
read moreRupam sinha
खूबसूरत इस जहां की परी हो तुम, मेरे सपनों में आती हैं जो वही रानी हो तुम, कलियाँ भी खिलने से पहले खूबसूरती तुमसे उधार माँगे ऐसे सुन्दरता की मल्लिका हो तुम ©Rupam sinha # प्राकृतिक
# प्राकृतिक
read moreCK JOHNY
वो प्राकृतिक था प्रकृति के नियम मानने वाला था। बदलना प्रकृति का नियम है सो वो भी बदल गया। वो प्राकृतिक था और मैं प्रकृति से जुड़ा था। अब भी धरा सा अपने कक्ष में घूमता हूँ ढूँढता हूँ चारों ओर उसे नित उदय होता हूँ अस्त होता हूँ सदियों से यही अटल स्वभाव है मेरा किसी के बदलने से कहाँ ये बदलता था। वो प्राकृतिक था और मैं प्रकृति से जुड़ा था। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ प्राकृतिक
प्राकृतिक
read moreMarutishankar Udasi
देख ले हर्ष ज़िन्दगी का क्या कहर है प्राकृतिक का ©Marutishankar Udasi प्राकृतिक
प्राकृतिक
read moreshivaay shivaay
★★★प्रकृति के तीन कड़वे नियम जो सत्य है! ★1- प्रकृति का पहला नियम:- यदि खेत में बीज न डालें जाएं तो कुदरत उसे घास-फूस से भर देती हैं...!! ठीक उसी तरह से दिमाग में सकारात्मक विचार न भरे जाएँ तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना ही लेती है.! ★2- प्रकृति का दूसरा नियम:- ●जिसके पास जो होता है...वह वही बांटता है....!! ●सुखी सुख बांटता है...दुःखी दुःख बांटता है.. ●ज्ञानी ज्ञान बांटता है..भ्रमित भ्रम बांटता है.. ●भयभीत भय बांटता हैं......!! ★3- प्रकृति का तिसरा नियम:- आपको जीवन से जो कुछ भी मिलें उसे पचाना सीखो, क्योंकि भोजन न पचने पर रोग बढते है...! ●पैसा न पचने पर दिखावा बढता है...! ●बात न पचने पर चुगली बढती है...! ●प्रशंसा न पचने पर अंहकार बढता है....! ●निंदा न पचने पर दुश्मनी बढती है...! ●राज न पचने पर खतरा बढता है...! दुःख न पचने पर निराशा बढती है...! ●और सुख न पचने पर पाप बढता है...! !!!! मंगलमस्तु !!!! ©shivaay shivaay #प्राकृतिक