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Rakesh frnds4ever
White भोला भला था सीधा साधा था मैं तो नादान था दुनियादारी से,,,,,,, होशियारी से मैं तो अंजान था लगी चोट ऐसे ही मेरे भोले दिल पे बिखर सा गया टूट के जो धागे से छूटा ये रिश्तों का मोती जुड़ेगा ना अब छुट के जहरिले सपनों ने मेरे ही अपनों ने मुझको है खोखा दिया मेरे ढोल ना सुन ,,,,,,,,,,,,मेरे दर्द की धुन ,,,,,,,,,,,,,,,मेरे ढोलना सुन,,, मेरी नफ़रतें तो फ़िज़ा में बहेगी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ज़िंदा रहेगी हो कर फ़ना आधा अदुरा था बदन ये मेरा एक गर्क था जो घर था मेरी जन्नत एक नर्क था ये तख्त ताज सब तेरे ,,,,,,,,,,,,,,,, मैं तो जला के छोड़ूंगा जिंदा बचेगा ना कोई ,,,,,,,,,,,,,,,,सबको मिटा के छोड़ूंगा ये जिस्म ख़तम होता है,,,,,,,,,,,,,, ये रूह तो नहीं मरती चाहे कोई सितमगर हो ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ये रूह तो नहीं डरती _________sonunigamsong_______ ©Rakesh frnds4ever #भोला_भाला था सीधा साधा था ,,,, मैं तो #नादान था #दुनियादारी से,,,,,,, होशियारी से मैं तो अंजान था लगी चोट ऐसे ही मेरे भोले दिल पे बिखर
#भोला_भाला था सीधा साधा था ,,,, मैं तो #नादान था #दुनियादारी से,,,,,,, होशियारी से मैं तो अंजान था लगी चोट ऐसे ही मेरे भोले दिल पे बिखर
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White ना जाने ये मन किस ओर चला है ना रास्ता ना मंजिल ना कोई आसरा है तड़प रहे हैं हर पल छिन भटक रहे हैं हर पल हर दिन नम आंखे सूख नहीं पाई हैं किसी अपने ने ये आंखे दुखाई हैं रोया पछताया मैने क्या है कमाया इस दुनियादारी कि खातिर मैने क्या खोया क्या पाया,,,.... ........... 1 ........... ©Rakesh frnds4ever #रोया #पछताया ,,,,,,,, ना जाने ये #मन किस ओर चला है ना #रास्ता ना #मंजिल ना कोई #आसरा है तड़प रहे हैं हर पल_छिन भटक रहे हैं रोया
kavi mukesh gogdey
बेबुनियाद करने में लगे है,कई लोग। चंद लोग है,मुख़ातिफ मेरे सफ़र से। दुनियादारी की तल्ख़ियाँ डराने लगी, चंद लोग है,दिली खुश मेरे ज़फ़र से।। मुकेश गोगड़े ज़फ़र-कामयाबी,दिली-हार्दिक, तल्ख़ियाँ-कड़वाहट ©kavi mukesh gogdey #दुनियादारी #ज़फ़र #दिली #तल्खियाँ
#दुनियादारी #ज़फ़र #दिली #तल्खियाँ
read morearvind bhanwra ambala. India
White उलझा मन बोझिल सा तन ओझल राहें सिमटी आंहे, चांहु उजाला, अंधेरा मिला। वफा का बदला जो है बेवफाई कांहे की दुनियादारी बनाई। ©arvind bhanwra ambala. India दुनियादारी
दुनियादारी
read moreRimpi chaube
White जमीं से जुड़े रहो मानव,क्या रखा दुनियादारी में। मानव हो मानवता में रहो,क्या रखा समझदारी में। फैलायों अपने पर तुम आसमान के परिंदे की तरह। सोच को अपनी विस्तृत करो,क्या रखा मक्कारी में।। ©Rimpi chaube #आसमानकेपरिंदे जमीं से जुड़े रहो मानव,क्या रखा दुनियादारी में। मानव हो मानवता में रहो,क्या रखा समझदारी में। फैलायों अपने पर तुम आसमान के परि
#आसमानकेपरिंदे जमीं से जुड़े रहो मानव,क्या रखा दुनियादारी में। मानव हो मानवता में रहो,क्या रखा समझदारी में। फैलायों अपने पर तुम आसमान के परि
read moreRimpi chaube
White मां ने जिस भाषा में मुझको,दुनियादारी सिखलाई। मां को मां ही क्यूं कहते,इस बात की समझी गहराई। अपनापन का बोध कराती मेरी प्यारी भाषा हिंदी, भावों को भावों में पिरोकर,जो भावपूर्ण है कर पाई।। निज भाषा उन्नति की द्योतक,अन्य में न जिह्वा रस पाई। हिंदी सिर्फ भाषा नही,ये मां के आंचल–सी सर पे छाई।। समस्त जन को हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई। ©Rimpi chaube #मेरी_प्यारी_भाषा_हिन्दी मां ने जिस भाषा में मुझको,दुनियादारी सिखलाई। मां को मां ही क्यूं कहते,इस बात की समझी गहराई। अपनापन का बोध कराती मे
#मेरी_प्यारी_भाषा_हिन्दी मां ने जिस भाषा में मुझको,दुनियादारी सिखलाई। मां को मां ही क्यूं कहते,इस बात की समझी गहराई। अपनापन का बोध कराती मे
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