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पूर्वार्थ
White सुनो! पुरूष होने का ताना तो जग देता है तुम थोड़ा सा "प्यार_देना" ————————————————————— पिता हूँ,पति हूँ,बेटा हूँ,भाई हूँ,दोस्त हूँ। मन के किसी,कोने में,दबा कुचला,सहमा सा "प्रेमी_भी_हूँ।" पर दुनियाँ कहती है मुझसे।"मैं_पुरूष_हूँ।" जो थक नहीं सकता,जो झुक नहीं सकता सरेआम अपनी,तकलीफ पर,खुलकर रो नहीं सकता। क्यूँकि "मैं_पुरूष_हूँ।" मगर हटकर परे,दुनियां के,मापदंडों से थामकर,मेरी हथेलियों को,अपने हाथों में बिना कोई सवाल,कहना "मैं_हूँ_ना" अगर रो पडूँ तो,रो लेने देना,बेशक हूँ पुरुष पर हूँ तो मैं भी "इंसान_हीं_ना" बिना थके बिना रुके,झुझता हूँ दिन भर,तमाम परेशानियों से,जो चुप गुमसुम उदास देखना,तो बिना सवाल अपने गोद में सर रख,बालों में हाथ फेरते हुए कहना सब ठीक हो जाएगा क्यूँ फिक्र करते हो "मैं_हूँ_ना" ©पूर्वार्थ #पुरुष
पूर्वार्थ
पुरुष का दर्द औरत के दुख को सब समझते हैं पर पुरुष का दर्द नहीं समझते हैं औरत रोती है तो सब रुक जाते हैं पर पुरुष रोता है तो सब हँसते हैं औरत के संघर्ष को सब पहचानते हैं पर पुरुष के संघर्ष को नहीं पहचानते हैं औरत लड़ती है तो सब उसका साथ देते हैं पर पुरुष लड़ता है तो सब उसका विरोध करते हैं औरत की पीड़ा को सब महसूस करते हैं पर पुरुष की पीड़ा को नहीं महसूस करते हैं औरत को सहारा देते हैं पर पुरुष को अकेला छोड़ देते हैं पुरुष भी इंसान है उसका भी दिल होता है उसके भी सपने होते हैं उसके भी दुख होते हैं पर समाज उसे नहीं समझता उसके दर्द को नहीं सुनता उसके संघर्ष को नहीं देखता आओ हम पुरुष के दर्द को समझें उसके संघर्ष को पहचानें उसकी पीड़ा को महसूस करें और उसे सहारा दें ©पूर्वार्थ #पुरुष
पूर्वार्थ
मैं पुरुष हूँ विधाता की हूँ रचना,मैं नारी का अभिमान हूँ, हाँ मैं एक पुरुष हूँ! मन की बात मन में रख,ऊपर से हरदम खुशमिजाज़ हूँ माँ की ममता,पिता का स्वाभिमान हूँ, हाँ मैं एक पुरुष हूँ! मैं जीवन में आया जबसे,अपेक्षा के बोझ से लदा हरदम पिता के फटे जूते से लेकर,बहन की शादी के सपनों का आधार हूँ,मैं उम्मीदों का पहाड़ हूँ हाँ मैं पुरुष हूँ! थकान हो गई तो क्या,पाँव रुक गए तो क्या मुझको चलना है हरदम,मैं बिटिया की गुड़ियों का खरीदार हूँ मैं आशाओं का मीनार हूँ हाँ मैं पुरूष हूँ! रो मैं सकता नहीं,कह मैं सकता नहीं डर अपना यह,मैं सह सकता नहीं ऊपर से बहुत अभिमानी,पर अंदर से निपट असहाय हूँ मैं परिवार का एतबार हूँ, हाँ मैं पुरुष हूँ! पत्नी की इच्छा,माँ के सपने बच्चों की ख्वाहिशें,पिता के गुस्से का शिकार हूँ, हाँ मैं पुरुष हूँ! आदर देता मैं हरदम,प्यार लुटाता हूँ हर इक कदम फिर भी कुछ हैवानों के कारण,मैं नफरत का शिकार हूँ, हाँ मैं पुरुष हूँ हाँ मैं पुरुष हूँ हाँ मैं पुरुष हूँ ©पूर्वार्थ #पुरुष
Anoop Mohan
पुरूष के लिए स्त्री का स्पर्श उतना ही महत्वहीन हो जाता है,,, जितना दिन में दीपक का ; जब कोई पुरुष किसी स्त्री द्वारा छला जाता है ! #मैं पुरुष हूँ !! ©Anoop Mohan #पुरुष
Ankit yaduvanshi
असीमित दर्द , सूखी आंखें अनगिनत जिम्मेदारियां पारिवारिक अपेक्षाओं का बोझ दिल में नमी , होठों पर मुस्कान विभिन्न किरदारों में ढल जाता हूं हां , मैं पुरुष कहलाता हूं..! ©Ankit yaduvanshi #पुरुष
Geeta Sharma pranay
Expression Depression एक बात पुछनी थी मुझे अपने ही पुरूष-प्रधान देश के पुरुषों से... क्या स्त्री सिर्फ उपभोग की वस्तु हैं, उसकी कोई भावना की कदर ही नहीं,, क्या स्त्री के हृदय -हृदय नहीं, सिर्फ एक माटी का खिलौना हैं जो कोई भी उसके साथ कुछ भी कर सकता हैं,,, पर! किसी के ह्रदय के साथ खेलना , ये कहाँ का पुरुषत्व हैं? यहीं हमारा पुरूष-प्रधान देश है, जो अब स्त्री की रक्षा सिर्फ उसके तन तक ही सीमित है , एक स्त्री सिर्फ उस पुरूष के लिए , उसका प्रेम प्राप्त करने के लिए कुछ भी बन जाती हैं,,, क्या वास्तव में पुरूष का ह्रदय सिर्फ स्त्री के तन को मैला करने के लिए होता हैं, क्या समाज में आज भी हर दायरा सिर्फ स्त्री के लिए हैं,, पुरूष स्त्री के साथ कभी भी कैसा भी व्यवहार कर सकता हैं, उसकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर सकता हैं, बस! उसका प्रेम स्त्री का प्रेम वासनायुक्त प्रेम हैं, उसके हिरदय में कभी पवित्र प्रेम जन्म नही लेता हैं??? पुरुष
पुरुष
read moreshishpal rajpurohit
तू अपना काम करता चल, 90% पुरुष ठंडा टिफिन खाते है सिर्फ इसलिए ताकि उनका परिवार गर्म खाना खा सके। पुरुष
पुरुष
read moreगजेन्द्र द्विवेदी गिरीश
#तुम_पुरुष_हो सुनो, तुम पुरुष हो! तो तुम्हे केवल कर्तव्य निभाने है, घर से लेकर दुनियादारी तक! भीड़ से लेकर चारदीवारी तक!! तुमने जहां बात की अधिकारों की, तो तुम धारा के विपरीत होगे, सामाजिक ताने बाने को तोड़ रहे होगे! सबके तंज का रुख अपनी ओर मोड़ रहे होगे!! तुम कठोर हो तुम सह जाओगे, यही तुम सीखोगे, आगे सिखाओगे, टूटना नहीं है तुम्हे दायरे में रहना है! मान्यताओं के विपरीत नहीं संग रहना है!! कहते हों लोग कि तुमसे प्यार है, तुम्हे ही समाज के सारे अधिकार है, पर इस बहाने बोझ तुम पर ही डाला गया है! अधिकारों के बहाने कर्तव्यों से छला गया है!! पर फिर भी तुम खुश रहते हो, अपने अन्दर ही कहीं गुम रहते हो, छोड़ देते हो कहीं दूर तकलीफों की बातें। कैसे गुजारते हो दिन, कैसे बीतती तुम्हारी रातें।। तुम अपने खोल में ही खुश रहते हो, ऐसे ही दूसरों से खुद को अलग करते हो, अलहदा है यही पहचान तुम्हारी सबसे। ऐसे ही रहो तुम हरदम दुआ है रब से।। ऐसे ही रहो तुम हरदम दुआ है रब से।। पुरुष दिवस की सभी मित्रों को बधाई।। 19.11.2018 पुरुष
पुरुष
read moreAndy Mann
Village Life पुरुष जब किसी स्त्री को चाहता है तो उसका सर्वस्व चाहता है, उसके दुःख, सुख, प्रेम, ईर्ष्या सब कुछ पर अपना पूर्ण अधिकार चाहता है, पुरुष अपनी प्रिय स्त्री के आंसुओ के एक बूंद को भी किसी के साथ साझा नही करना चाहता है। ❤️ ©Andy Mann #पुरुष