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Vinod Mishra
Rimpi chaube
शुभ विजयादशमी हां,मैं वही रावण हूं, जो छुपा सभी के अंदर होता हूं। पर स्वयं में दिखाई नहीं देता, और दूसरों में नजर आता हूं।। यूं पुतले जलाने से मेरा अंत नहीं होगा। पहले वहां से तो खत्म करो मुझे... जहां सबके अंदर पाया जाता हूं।। में। ©Rimpi chaube #रावण 🏹 हां,मैं वही रावण हूं, जो छुपा सभी के अंदर होता हूं। पर स्वयं में दिखाई नहीं देता, और दूसरों में नजर आता हूं।। यूं पुतले जलाने से मेर
#रावण 🏹 हां,मैं वही रावण हूं, जो छुपा सभी के अंदर होता हूं। पर स्वयं में दिखाई नहीं देता, और दूसरों में नजर आता हूं।। यूं पुतले जलाने से मेर
read moreRishu singh
White मैं बाहर से बहुत मजबूत हु सच मानो मगर अंदर से उतना ही खोखला खाली वीरान 💔 ©Rishu singh #love_shayari मैं बाहर से बहुत मजबूत हु सच मानो मगर अंदर से उतना ही खोखला खाली वीरान 💔
#love_shayari मैं बाहर से बहुत मजबूत हु सच मानो मगर अंदर से उतना ही खोखला खाली वीरान 💔
read moreANATH SHAYAR
शांत माहौल अंदर से हमेशा खतरनाक होता हfollow #Motivational #Facts #Youtubeshorts #ViralVideo Love मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर सक्सेस
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} काम रावण, क्रोध रावण, मोह रावण, आचरण व व्यवहार रावण का, व्यक्ति के अंदर रहने वाले इस रावण को, भगवान श्री राम का मन से चितन करते हुए, धर्म के आचरण करने से अपने अंदर के रावण को मारने का प्रयास करो।। ©N S Yadav GoldMine #good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} काम रावण, क्रोध रावण, मोह रावण, आचरण व व्यवहार रावण का, व्यक्ति के अंदर रहने वाले इस रावण को, भगवान श
#good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} काम रावण, क्रोध रावण, मोह रावण, आचरण व व्यवहार रावण का, व्यक्ति के अंदर रहने वाले इस रावण को, भगवान श
read moreDr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
#BeatMusic जैसा मै अंदर हूँ वैसा ही बाहर हूँ #कलमसत्यकी ✍️©️ Life
read moreJaved Raza
White अपने अंदर आजिज़ी पैदा करो ©Javed Raza #love_shayari अपने अंदर आजिज़ी पैदा करो Islam urdu poetry
#love_shayari अपने अंदर आजिज़ी पैदा करो Islam urdu poetry
read moreshinning shristi
White साल बदलता गया, तारीखें बदली कभी युद्ध हुआ, कभी मोमबत्तियां पिघली इन सबके बीच कुछ नहीं बदला तो औरतों के अंदर का डर... डर, अपने चरित्र को बचाने की समाज में बराबर का ओहदा पाने की खुदको सफल और संपन्न बनाने की डर, इस बात की, कहीं कोई बात न हो जाए घर – दफ्तर के बीच कहीं ज्यादा रात न हो जाए एक गलत कदम और सब कुछ बर्बाद न हो जाए डर कायम रहा... लेकिन वो नारी है, इतनी जल्दी कहां हारी है औरतें इतने पर रुकीं नहीं, वक्त के आगे झुकी नहीं चलती गई, अपने सपने बुनती गई साल बदलता गया, तारीखें बदली कभी युद्ध हुआ, कभी मोमबत्तियां पिघली इन सबके बीच कुछ नहीं बदला तो औरतों के अंदर का डर... ©shinning shristi औरतों के अंदर का डर #sad_poetry #poem #Women #womenlife #Trending #Kolkata #India #socialissues हिंदी कविता कविताएं कविता कोश
औरतों के अंदर का डर #sad_poetry #poem #Women #womenlife #Trending #Kolkata #India #socialissues हिंदी कविता कविताएं कविता कोश
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