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Stories related to का हाथी

KAILASH JATT

🎭 JATT 🚸 har har Mahadev 🔱 ऊपर वाले का हाथी अगर ऊपर वाले का विश्वास है कभी मत छोड़ना 🌛🌜👁️👁️🌛

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R.S. Meena

विश्व पुस्तक दिवस पर विशेष🙏🙏 पुस्तक पुस्तक पढ़ना, पुस्तक लिखना और पुस्तक को समझना, ना आए अगर पढ़ना और लिखना, तो पुस्तक को सुनना। सुख में सा

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पुस्तक
पुस्तक पढ़ना, पुस्तक लिखना
और पुस्तक को समझना,
ना आए अगर पढ़ना और लिखना, 
तो पुस्तक को सुनना।
सुख में साथी, दुख में साथी,
हर पृष्ठ काम आए इसका,
ये है हमारे जीवन का हाथी।
इतिहास का आधार यही हैं,
प्रकृति का श्रृंगार यहीं है।
जब-जब इनको कोई पढ़ता,
तब-तब इनका सौन्दर्य बढ़ता।

पढ़ते रहिए, लिखते रहिए,
पुस्तक अपने समय की रचते रहिए।
हर दिमाग की कलम अलग है,
विचार बाँट लो, साहित्य अमर है।

लिखे हुए विचारों से ही,
संभव है सब से मिलना।
पुस्तक पढ़ना, पुस्तक लिखना
और पुस्तक को समझना,
ना आए अगर पढ़ना और लिखना, 
तो पुस्तक को सुनना। विश्व पुस्तक दिवस पर विशेष🙏🙏
पुस्तक
पुस्तक पढ़ना, पुस्तक लिखना
और पुस्तक को समझना,
ना आए अगर पढ़ना और लिखना, 
तो पुस्तक को सुनना।
सुख में सा

रजनीश "स्वच्छंद"

मैं दर्द हूँ।। मैं दर्द हूँ पिघला सा, आंखों से निकलता हूँ। मैं बन अंगार कभी, होंठों से फिसलता हूँ। ना मेरा कोई मज़हब, ना जात रही कोई, फिर भ

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मैं दर्द हूँ।।

मैं दर्द हूँ पिघला सा, आंखों से निकलता हूँ।
मैं बन अंगार कभी, होंठों से फिसलता हूँ।

ना मेरा कोई मज़हब, ना जात रही कोई,
फिर भी हर होंठों पर बस बात रही मेरी।
जो मैं जग में नहीं, खुशियों का मोल नहीं कोई,
जो दिल मे मैं ना रहूँ, है मीठी बोल नहीं कोई।
हर कोई फिक्र करे, बचते फिरते सब लोग,
सब मेरी ज़द में रहे, करते फिरते बस ढोंग।
महफ़िल में मुस्का कर, कोने में सिसकता हूँ।
मैं दर्द हूँ पिघला सा, आंखों से निकलता हूँ।

ना कोई एक ठिकाना है, रग रग में समाया हूँ,
कब छोड़ गया तुझको, जो लौट मैं आया हूँ।
हर सीख का मंतर हूँ, पूजा हवन भी मैं।
ताबिज़ों का असर भी मैं, जोग जतन भी मैं।
मैं रोग नही कोई, जो छोड़ चलूं तुझको,
मैं तो कहर ठहरा, बस तोड़ चलूं तुझको।
मैं बन शीशा हर पल कानों में पिघलता हूँ।
मैं दर्द हूँ पिघला सा, आंखों से निकलता हूँ।

किस डर से डराते हो, मैं डर का साथी हूँ,
मदमस्त है चाल मेरी, जंगल का हाथी हूँ।
ना भूल सको कुछ तुम, मैं याद दिलाता हूं,
नीम की बेरी हूँ, जीने का स्वाद दिलाता हूं।
तुम भटको नहीं राहें, बन ठोकर आता हूँ,
कभी हंसने मैं तुझपे, बन जोकर आता हूँ।
तुम संग मेरे रह लो, कब कहाँ ठिठकता हूँ,
मैं दर्द हूँ पिघला सा, आंखों से निकलता हूँ।

©रजनीश "स्वछंद" मैं दर्द हूँ।।

मैं दर्द हूँ पिघला सा, आंखों से निकलता हूँ।
मैं बन अंगार कभी, होंठों से फिसलता हूँ।

ना मेरा कोई मज़हब, ना जात रही कोई,
फिर भ

पं.पीयूषसंजय शास्त्री

इस बार हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा । “आ रही हैं मैया करने भक्तों का उद्धार, चारों ओर धूम मचेगी, होगी जय-जयकार!” पितृ पक्ष के बाद शा

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क्यों खास है हाथी का सवारी ‌।
ऐसी मान्यता है कि जब नवरात्रि में माता रानी, हाथी पर सवार होकर आती हैं, तो बारिश होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। इससे चारों ओर हरियाली छाने लगती है और प्रकृति का सौंदर्य अपने चरम पर होता है। तब फसलें भी बहुत अच्छी होती हैं। मैय्या रानी जब हाथी पर सवार होकर आती हैं, तो अन्न-धन के भंडार भरती हैं। माता का हाथी या नौका पर सवार होकर आना, भक्तों के लिए बहुत मंगलकारी माना जाता है। 
इस बार हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा ।

“आ रही हैं मैया करने भक्तों का उद्धार, चारों ओर धूम मचेगी, होगी जय-जयकार!” पितृ पक्ष के बाद शा

Swatantra Yadav

कोई किसान अपने खेत में हल चला रहा था। बरसात के बाद का मौसम था ,हल के पीछे जमीन से बहुत से कीड़े मकोड़े निकल रहे थे.... उन कीड़े मकोड़ों को खान

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नियंत्रण रेखा पार कर गया है तुझे तेरा यूं महंगें रिसार्ट शिफ्ट करना 
क्यों ना अब द्विपक्षीय वार्ता कर ,गोलमेज सम्मेलन करा लें 
बस एक तुम समर्थन कर दो मेरे दावेदारी का
आओ ख़रीद फरोख्त कर मिलीजुली सरकार बना लें। 
कोई किसान अपने खेत में हल चला रहा था। बरसात के बाद का मौसम था ,हल के पीछे जमीन से  बहुत से कीड़े मकोड़े निकल रहे थे....
उन कीड़े मकोड़ों को खान

स्वतन्त्र यादव

कोई किसान अपने खेत में हल चला रहा था। बरसात के बाद का मौसम था ,हल के पीछे जमीन से बहुत से कीड़े मकोड़े निकल रहे थे.... उन कीड़े मकोड़ों को खान

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नियंत्रण रेखा पार कर गया है तुझे तेरा यूं महंगें रिसार्ट शिफ्ट करना 
क्यों ना अब द्विपक्षीय वार्ता कर ,गोलमेज सम्मेलन करा लें 
बस एक तुम समर्थन कर दो मेरे दावेदारी का
आओ ख़रीद फरोख्त कर मिलीजुली सरकार बना लें। 
कोई किसान अपने खेत में हल चला रहा था। बरसात के बाद का मौसम था ,हल के पीछे जमीन से  बहुत से कीड़े मकोड़े निकल रहे थे....
उन कीड़े मकोड़ों को खान

Geeta Sharma pranay

हाथी का दर्द

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दर्द तेरा कौन जान पाएगा? 
यहाँ मानव नही, दानव बसते हैं ,
ह्रदय ने जिसके मानवता 
को ही कलंकित दिया, 
पूछ रहें हैं,,,,,,,, समस्त जानवर! 
तुमने और हममें भेद किस बात का? 
जो जीव तुम्हारे है, वही जीव हमारे है,
बस! तुम बोलकर अपना दर्द 
बयान कर सकते हो, 
और हम आसूँ बहाकर ?
आज तुमने सिर्फ मेरी ही हत्या नही की, 
साथ में मेरे अजन्में बच्चे को भी मार दिया, 
दोष भूख का ही था, 
मैने तुम मानव जाति पर विश्वास कर लिया, 
और बदले में तुमने मुहझे 
मौत के घाट ही उतार दिया |
कैसे तुम क्रुर इतने हो गए ?
दुनिया  सुंदर है,  पर!  
तुम जैसे पापियों से भरी हैं |
ये मेरी वेदना, विरह है, 
जो एक माँ की होती हैं, |
तुम्हारे इसी कर्म से 
ये दुनिया अभिशापित हुई हैं, 
मेरे लहू की हर बूँद तुम्हें श्राप देगीं,
आज तुम खुश हों, पर!  
मेरे इष्ट ही तुम्हारा सर्वनाश करेंगे, 
   गीता शर्मा 'प्रणय' हाथी का दर्द

Hamida Khan

हाथी का सार है..

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Gurjar Nagendra Bhati

हाथी और शेरनी का मुकाबला

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Aslam Khaan

हाथी का गुस्सा और पियार

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