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Virendra Kumar
हे मनुष्य... जिस तरह मन माया में ही हर समय रमा रहता है l उसी तरह नाम में अपनी सुरति को लगाए रखो, तभी इस ब्रहमांड को भेदते हुए अमर लोक पहुंच सकते हो ll 🌼कबीर वाणी 🌼 123 ©Virendra Kumar साहेब
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White हे मनुष्य..... "परमात्मा का नाम जप करने वाला यदि कुष्ट रोग से पीड़ीत है, तो भी भला है, जबकि नाम के बिना तो सोने के समान देह भी ब्यर्थ है l 🌼कबीर वाणी 🌼 134 ©Virendra Kumar साहेब
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"करो यतन सखी साई मिलन की ll गुरिया गुरवा सुप सुपलिया l त्यज दे लरीकैया खेलन की ll देव पितर और भुईया भवानी l यह मारग चौरासी चलन की ll ऊँचा महल अजब रंग बंगला l साई की सेज वहॉं लगी फूलन की ll तन मन धन सब अर्पण कर वहॉं l सुरत सम्भार पर पईया सजन की ll कहैं कबीर निर्भय होय हंसा l कुनजी बता दो ताला खुलन की ll 🌼कबीर वाणी 🌼 123 ©Virendra Kumar साहेब
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परिस्थिति बदलना मुश्किल न हो तो, मन की स्थिति बदल दीजिए l सब कुछ अपने आप बदल जाएगा ll ©Virendra Kumar साहेब
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White जिस प्रकार समुद्र के उपर उड़ते पक्षी के लिए समुद्र की लहरो पर तैरते जहाज का ही सहारा होता है, क्योंकि चारो ओर समुद्र होता है, उसे कही कोई ठिकाना नहीं मिलता तो आकर फिर उसी जहाज पर बैठ जाता है, उसी प्रकार काल पुरुष के इस संसार में जीव का सद्गुरु के अलावा अन्य कोई सहारा नहीं है, अर्थात् सद्गुरु ही इस भवसागर में जीवन के एकमात्र सहारा हैं ll 💫💫 🌹🌹सद्गुरुवे नम:🌹🌹 ©Virendra Kumar साहेब
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हे मनुष्य...... जो जैसा भोजन का सेवन करता है उसका मन भी वैसा ही बनता है l और जो जैसे जल का सेवन करताहै उसकी वाणी भी वैसी ही होती है l 🌹🌹कबीर वाणी🌹🌹 ©Virendra Kumar साहेब
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हे मनुष्य..... तुम्हें गुरूर किस बात का है, मरने के बाद ये अपने भी छुकर हाथ धूलने जाएंगे l ©Virendra Kumar साहेब
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हे मनुष्य.... सच्चा सेवक तो वहीं है जो ज्ञानियों की सेवा में रत रहता है l जो बुद्धिमान जनो की सेवा में रत नहीं रहता, उसकी सेवा तो असफल ही जाती है ll ©Virendra Kumar साहेब
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हे मनुष्यों... वस्तु कहि पर पड़ी हुयी है l और उसे कही अन्य ढूढ़ रहा है l फिर वह कैसे मिल सकती है, यानी आत्मा परमात्मा में बैठा है, लेकिन अज्ञानी उसे बाहर ढूंढ रहा है पाखंडी और स्वार्थी गुरुओ ने इसे बाहर उलझा दिया हैl फिर वह परमात्मा कैसे मिले l अगर उसका सही ज्ञान रखने वाला सद्गुरु रूपी भेदी साथ में है तो फिर वह अवश्य मिल जाएगा ll ©Virendra Kumar साहेब
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हे मनुष्यों... गुरु की परिभाषा ब्यक्त करते हुए कहते हैं की गु-अर्थात् अंधकार और रू-यानी प्रकाश है l जो आत्मा के ज्ञान रूपी अंधकार को नष्ट करके उसे ज्ञान से आलोकित कर दे वहीं सच्चा सद्गुरु है l ©Virendra Kumar साहेब
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