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MANJEET SINGH THAKRAL
खेती से नाता हो या ना हो मगर रोटी से हर इंसान का नाता है इसलिए हर एक इंसान को चाहिए के किसानों के हक़ में आवाज़ बुलंद करे ।। - मनजीत सिंह ठकराल जय किसान आंदोलन (म.प्र.)। #KisanAndolan #KisanNahiToDeshNahi #FarmersProtest #किसानआंदोलन ©MANJEET SINGH THAKRAL खेती से नाता हो या ना हो मगर रोटी से हर इंसान का नाता है इसलिए हर एक इंसान को चाहिए के किसानों के हक़ में आवाज़ बुलंद करे ।। - मनजीत सिंह ठकराल जय किसान आंदोलन (म.प्र.)। #KisanAndolan #KisanNahiToDeshNahi #FarmersProtest #किसानआंदोलन
खेती से नाता हो या ना हो मगर रोटी से हर इंसान का नाता है इसलिए हर एक इंसान को चाहिए के किसानों के हक़ में आवाज़ बुलंद करे ।। - मनजीत सिंह ठकराल जय किसान आंदोलन (म.प्र.)। #kisanandolan #KisanNahiToDeshNahi #farmersprotest #किसानआंदोलन
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ग्रामीण अर्थव्यवस्था ये कहती है आपके ये बैंकों के ATM तो आज आये हैं आढ़ती उस किसान का पारंपरिक ATM है। किसान को बेटी की शादी करनी हो, भुआ का भात भरना हो, बहन का छुछक देना हो, बच्चों की पढ़ाई करानी हो, बाप की दवा करानी हो किसान सर पर साफा बांधता है और सीधा मंडी में आढ़ती के सामने जाकर खड़ा हो जाता है। आढ़ती किसान को सिर्फ इस विश्वास पर पैसा देता है कि फसल आएगी और किसान बैलगाड़ी या ट्रॉली में फ़सल भर कर उसके पास ले आएगा जिसको बेचकर वो अपना पैसा वसूल कर लेगा। मैं पूछना चाहती हूं क्या वालमार्ट और टेस्को (आ
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अगर अपनी फसलें और अपनी नस्लें बचानी हैं तो किसान और मजदूर का साथ दो ।। #KisanNahiToDeshNahi #KisanAndolan #IndiaWithFarmers #Youth4Farmers ©MANJEET SINGH THAKRAL अगर अपनी फसलें और अपनी नस्लें बचानी हैं तो किसान और मजदूर का साथ दो ।। #KisanNahiToDeshNahi #KisanAndolan #IndiaWithFarmers #Youth4Farmers #Books
अगर अपनी फसलें और अपनी नस्लें बचानी हैं तो किसान और मजदूर का साथ दो ।। #KisanNahiToDeshNahi #kisanandolan #IndiaWithFarmers #Youth4Farmers #Books
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इतिहास ख़ुद को दोहरा रहा है। सन 1906-07 में किशन सिंह और अजीत सिंह (शहीद भगत सिंह के पिता और चाचा) ने अंग्रेज़ों के तीन काले कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन खड़ा किया था, जिन्हें बाद में अग्रजों को वापस लेना पड़ा। अगर अंग्रेज उन क़ानूनों को वापस नहीं लेते तो ज़मींदार अपनी ही ज़मीन पर मज़दूर हो जाते। “पगड़ी संभाल जट्टा” इस आंदोलन का नारा बना। आज़ भी कमोबेश हालात वही हैं, वही तीन काले क़ानून आज हैं, बस अंग्रेज़ों की जगह उनके नौकर आ गये हैं। #KisanNahiToDeshNahi #IndiaWithFarmers #KisanAndolan ©MANJEET SINGH THAKRAL इतिहास ख़ुद को दोहरा रहा है। सन 1906-07 में किशन सिंह और अजीत सिंह (शहीद भगत सिंह के पिता और चाचा) ने अंग्रेज़ों के तीन काले कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन खड़ा किया था, जिन्हें बाद में अग्रजों को वापस लेना पड़ा। अगर अंग्रेज उन क़ानूनों को वापस नहीं लेते तो ज़मींदार अपनी ही ज़मीन पर मज़दूर हो जाते। “पगड़ी संभाल जट्टा” इस आंदोलन का नारा बना। आज़ भी कमोबेश हालात वही हैं, वही तीन काले क़ानून आज हैं, बस अंग्रेज़ों की जगह उनके नौकर आ गये हैं। #KisanNahiToDeshNahi #IndiaWithFarmers #KisanAndolan #Su
इतिहास ख़ुद को दोहरा रहा है। सन 1906-07 में किशन सिंह और अजीत सिंह (शहीद भगत सिंह के पिता और चाचा) ने अंग्रेज़ों के तीन काले कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन खड़ा किया था, जिन्हें बाद में अग्रजों को वापस लेना पड़ा। अगर अंग्रेज उन क़ानूनों को वापस नहीं लेते तो ज़मींदार अपनी ही ज़मीन पर मज़दूर हो जाते। “पगड़ी संभाल जट्टा” इस आंदोलन का नारा बना। आज़ भी कमोबेश हालात वही हैं, वही तीन काले क़ानून आज हैं, बस अंग्रेज़ों की जगह उनके नौकर आ गये हैं। #KisanNahiToDeshNahi #IndiaWithFarmers #kisanandolan Su
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