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Vidhi
जिस जमीं के टुकड़े पर अपना हक़ था जिन चारदीवारियों पर लिखा था मेरा नाम उनमें खामोशियाँ ही शोर मचाती रहीं मेरे हवासों में तो वो घर ही समाया रहा जिसकी हर इक ईट पर परायापन लिखा जंगलों की पौध थी मैं, जो गमलों दर गमलों में भटकती रही एक अदद घर तलाशती रही......... #भटकन #refuge #YQbaba #YQdidi
CalmKrishna
................... ©CalmKrishna मृग कस्तूरी 🙂🌸 #आदमी #खोज #भटकन #ब्रह्म #ईश्वर #आत्म #आत्मा
Sachin Pratap Singh
तुम्हारे बाल गोयल से काले है हमे आकर्षित करने वाले है आँखे तुम्हारी सागर से भी गहरी है पलके केवट सी पेहेरी है तुम्हारी मुस्कान इतनी चंचल है जैसे रखी चेहरे पे मेरी भटकन है ©Sachin Pratap Singh #भटकन #Ocean
Rakhee ki kalam se
#FourLinePoetry शहर की भटकन से मन भर गया हों अगर तो लौट आओ कि गाँव अब भी तुम्हारा है गगनचुम्बी इमारतों में वजूद हो गया हो गुम, तो लौट आओ कि अब भी घर की तखती पर नाम तुम्हारा है ©Rakhee ki kalam se #भटकन #गांव #इमारत #फीलिंग्स #इंतजार #लव #Nojoto #nojotocontest
Alka Goyanka
रूह रूह की बेचैनियाँ, कब सुकून पाती है जिस्म तो खाक में मिल कर, जमींदोज हो जाता है रूह की बेचैनियाँ उसे, जन्म दर जन्म भटकाती है । #रूह #बेचैनियाँ #भटकन #सुकून #Myquote #MyPoems #mythoughts
#रूह #बेचैनियाँ #भटकन #सुकून #myquote #mypoems #MyThoughts
read moreDurgesh Bahadur Prajapati
मुसाफिर हैं हम... मुसाफिर हैं हम चले जा रहे हैं, ना मंजिल पता है ना रास्ते पता हैं | ना कोई जिकर है ना कोई फिकर है, कहाँ है ठिकाना न कोई खता है | राही हैं हम चले जा रहे है …………… एक ओ भी समय था न कोई फिकर थी, थे मस्ती में रहते न कोई जिकर थी | बस पढना खेलना और जी भर के जीना, बचपन से है सीखा गमों को ही सीना | देखते थे सपने ये दुनियां रगीं है, पर अब जाके समझ आया ये कितनी संगी है | भटकन ही भटकन ना कोई समझ है, कहाँ है मंजिल न कोई खबर है | मुसाफिर हैं हम चले …………… हुए जब किशोर हुआ बड़ी शोर, देखी जब दुनियां थे बड़ए चोर | नयी थी दुनियां नये थे लोग, अंजानी दुनियां अन्बूझे लोग | बस शब्दो का मेल और शब्दो की वानी, यहाँ आके सुनी इक अजब सी कहानी | आज वह इन्सानियत खो बैठा इंसान न रहा, ऐसे ओ भटका कि कोई पहचान न रहा | बस गमों के हैं बादल न कोई सबर है, कहाँ है ठिकाना न कोई खबर है | मुसाफिर हैं हम ………… -दुर्गेश बहादुर प्रजापति मुसाफिर हैं हम...
मुसाफिर हैं हम...
read moreAmit Shukla
सभ्यता के घने आवरण हो गए। प्रश्न जीवन के सब आमरण हो गए। उर्मिला बन के महलों में तुम ही रहीं। हम भटकते हुए लछमण हो गए। अमित शुक्ला #NojotoQuote #भटकन
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