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R Kumar
गिरना , संभलना और संभलकर उठना, फिर अपने लक्ष्य के पथ पर बढ़ते रहना, जीवन की वास्तविकता है इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है बल्कि इसका आनंद लें। ©R Kumar #मोटिवेशन #“जीवन
#मोटिवेशन #“जीवन
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*🖋️“सुविचार"🖋️* *📚“4/6/2022”📝* *📙“शनिवार”💫* देखिए ये जो “प्रेम” है ये “मन” में रखने के लिए नहीं है, “प्रकट” करने के लिए है और बार-बार इस “प्रेम को प्रकट” करना चाहिए “उचित अवसर”, “उचित समय” देखकर, यदि आप “प्रेमी” के साथ किसी “उत्सव” में है तो “नृत्य गान” किजिए,यदि आप “भीड़” में है तो “प्रेमी को सम्मान” दिजिए, “एकांत” में उसका “श्रंगार” किजिए, “दुःख” में उसका “हाथ” थामे और “सुख” में उसे “ह्रदय” से लगाए, जैसे ही आप “प्रेम प्रकट” करोगे वैसे ही “प्रेम में वृद्धि” होगी, ये “प्रेम” और भी “अधिक गहरा” होगा और “अटूट” भी होगा, “प्रेम” तो “पति-पत्नी”,“भाई-बहन”, “पिता-पुत्र”, “मां और संतान” सभी रिश्तो में होता है तो इस “प्रेम” को “मन” में नहीं इस “जीवन” में स्थान दिजिए, *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *🖋️“सुविचार"🖋️* *📚“4/6/2022”📝* *📙“शनिवार”💫* *#“प्रेम”* *#“मन में”*
*🖋️“सुविचार"🖋️* *📚“4/6/2022”📝* *📙“शनिवार”💫* *#“प्रेम”* *#“मन में”*
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*✍🏻“सुविचार"*📚 🤱🏻*“8/5/2022”*🧑🏻🍼 👩👧 *“रविवार”*👩👦 हमारी “मां” जानती है कि कैसे हमारी “उंगलियों” को पकड़कर “चलना सिखाना” है “मां” ये भी जानती है कि कैसे हमारे “कान पकड़कर” हमें “उचित मार्ग” पर लाना है, मां ही “संतान” के लिए कुछ भी कर सकती है इनकी “ममता” जितनी “कोमल” हो सकती है उतनी ही “कठोर” हो सकती है, “मां” एक “संतान” के लिए वो “त्याग” और “समर्पण” करती है जो कोई इस “संसार” में करता होगा, इस “जीवन” में आप कुछ भी कर लिजिए और चाहे कितने ही “बड़े मुक़ाम” पर पहुंच जाए या कोई भी बड़ी “सफलता” प्राप्त कर ले,फिर भी आप अपनी “मां का ऋण” कभी भी नहीं चुका पाएंगे,लेकिन फिर भी आप कुछ कर सकते है तो अपने “जीवन की खुशी” में,“सफलता” में और “धन्यवाद” में अपनी “मां” को सदैव “स्मरण” अवश्य रखिए, *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📚 🤱🏻 *“8/5/2022”*🧑🏻🍼 👩👧 *“रविवार”*👩👦 #“मां” #“संतान”
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*🖋️“सुविचार"🖋️* *📚“5/04/2022”📝* *📙“मंगलवार”💫* अब ऐसा “भला” क्यों होता है, ऐसा जब होता है जब “पिता” समझ ही नहीं पाता कि “जीवन का वास्तविक धन” क्या है ? वो “वास्तविक धन” वो अपनी “संतान” को दे ही नहीं पाता, यदि “पिता” अपनी “संतान” को “कर्म का ज्ञान” दे सके, “उचित” क्या है,“अनुचित” क्या है ये “सीखा” सके, “संस्कार की शिक्षा” दे सके तो ये “धन” से कई अधिक महत्वपूर्ण है, ये “जीवन” का वास्तविक धन है, अब आपने वो “कहावत” तो सुनी होगी "पूत कपूत तो क्यो धन संचे, पूत सपूत तो क्यो धन संचे" संतान यदि “कुपुत्र” होगी तो सब “नष्ट” कर देगी, संतान यदि “सुपुत्र” होगी तो “धन” हो ना हो वो “स्वयं कर्म” के मार्ग पर आगे बढ़कर “धन” भी अर्जित करेगी और अपने लिए एक “उज्जवल भविष्य” भी बनाएगी, तो “संतान” को “धन” देने से पूर्व “कर्म का ज्ञान” सिखाइए,“संस्कार” सिखाइए क्योंकि यहीं “जीवन का वास्तविक धन” है *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *🖋️“सुविचार"🖋️* *📚“5/04/2022”📝* *📙“मंगलवार”💫* #“संतान” #“कर्म का ज्ञान”
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*🖋️“सुविचार"🖋️* *📚“30/03/2022”📝* *📙“बुधवार”🌟* “जीवन” में हमारे “माता-पिता” एक गुरू जैसे ही होते हैं “माता-पिता” को अपनी “संतान” को समय के अनुसार “श्रेष्ठ संस्कार” देने चाहिए, “माता-पिता” को कभी उनका “विधाता” नहीं बनना चाहिए, किंतु हर समय सदैव “प्रयास” करना चाहिए कि वह अपने “बच्चों” को “उचित दिशा” दिखा पाए, कभी “कोमलता” से तो कभी “प्रेम” से,तो कभी “कठोरता” से उनकी “जीवन” को और “व्यक्तित्व” को आकार देना चाहिए क्योंकि जिस प्रकार “मिट्टी का मटका” एक बार पकने के बाद उसका “आकार” नहीं बदला जा सकता ठीक उसी तरह “आयु बढ़ने” के पश्चात “संतान” के “संस्कारों” को नहीं बदला जा सकता, इसलिए अपनी संतान को समय के अनुरूप “ढालना” सिखाइए और उन्हें “जीवन की कठिनाइयों” और “चुनौतियों” सामना करना सिखाइए... *“अतुल शर्मा 🖋️📝* ©Atul Sharma *🖋️“सुविचार"🖋️* *📚“30/03/2022”📝* *📙“बुधवार”🌟* #“माता-पिता” #“गुरू”
*🖋️“सुविचार"🖋️* *📚“30/03/2022”📝* *📙“बुधवार”🌟* #“माता-पिता” #“गुरू”
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*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“16/2/2022”*📚 🖋️*“बुधवार”* 🌟 बात कि जाए “जीवनयात्रा” की जो सबसे “महत्वपूर्ण यात्रा” है तो इसके लिए हम पूर्ण रूप से तैयार नहीं रहते है,आसपास के “लोग”, ये “समाज”,हमारे “साथी”,हमारे “मित्र” ये कभी भी “बदल” सकते है इसके लिए हमें स्वयं “सावधान” करते ही नहीं, हमें लगता है ऐसा होगा ही नहीं, और इसी “कारण” से हम अंत में जाकर “पछताते” है, एक “अमूल्य सीख” है जो हमें प्राप्त करनी चाहिए, “सचेत रहना” चाहिए इस “जीवनयात्रा” के लिए, केवल इस “वातावरण” के बारे में “जानकारी लेना”,“अनुमान लगाना”, इतना ही आवश्यक नहीं, हमारे आसपास के “लोगों” को देखना होगा, उनके “हालचाल” जो बदलते है उनपर ध्यान रखना होगा, जब वो “रंग बदलते” है उसपर “ध्यान देना” होगा, फिर आपको भी “जीवन में बदलाव” अवश्य देखने को मिलेगा बस “उचित प्रकार” से उसका सामना किजिए, *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“16/2/2022”*📚 🖋️ *“बुधवार”* 🌟 #“यात्रा” #“तैयार”
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“16/2/2022”*📚 🖋️ *“बुधवार”* 🌟 #“यात्रा” #“तैयार”
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*✍🏻“सुविचार"*📝 📓 *“3/2/2022”*📚 🖋️ *“गुरुवार”* 🌟 हमारे “जीवन” में किसी भी तरह का “सुख” या “दुःख” आता है तो उसके लिए हम किसी न किसी को “उत्तरदायी” बना ही देते है, सबका “दृष्टिकोण” एक जैसा तो कदापि नहीं होता है, देखिए इस “संसार” में हर एक का “जीवन” कुछ ऐसा है, हरएक के “जीवन” में “अच्छे लोग” है और “बुरे लोग” भी है, उनके “जीवन” में “अच्छे अनुभव” है और “बुरे अनुभव” भी है, “निर्भर” करता है आप पर कि आप क्या “अनुभव” करते है, इन सब का “स्वागत” कैसे करते है, इनसे क्या “सीखते” है और क्या “समझते” है, और “जीवन” में किस “दृष्टिकोण” से आगे बढ़ पाते है, ये ही “निर्धारित” करता है कि आपका “जीवन” कैसा होगा ? तो समझे आप बुरे के खुद बुरे मत बनीए,“स्वयं की सोच” “सकारात्मक” रखिए... *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📓 *“3/2/2022”*📚 🖋️ *“गुरुवार”* 🌟 *#“जीवन”* *#“सुख” या “दुःख”*
*✍🏻“सुविचार"*📝 📓 *“3/2/2022”*📚 🖋️ *“गुरुवार”* 🌟 *#“जीवन”* *#“सुख” या “दुःख”*
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*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“31/1/2022”*📚 🖋️*“सोमवार”* 🌟 अगर हम हर “छोटी बात” पर “सहायता मांगने” लगे तो क्या होगा, हम अपने “स्वयं के सामर्थ्य” को,हमारी “योग्यता” को आगे “बढ़ने” ही नहीं देंगे, क्योंकि ये हमारी “आदत” बन जाएगी कोई भी “समस्या” होगी,हम “सहायता मांगने” “किसी के पास” चले जाएंगे, ये हमारा “स्वभाव” भी बन जाएगा, इसलिए अति आवश्यक है जबतक कोई “विकल्प” न हो तबतक आप किसी से “सहायता” न मांगे, “प्रयास किजिए” जो भी “संकट” हो, जो भी “समस्या” हो,जो भी “कठिन कार्य हो “स्वयं करने का प्रयास किजिए”, जहां तक हो सके “आत्मनिर्भर” बनने का प्रयास किजिए, यदि ऐसा करोगे तो आप बहुत कुछ “सीखोगे” और दिन प्रतिदिन आपका “जीवन” और “निखरेगा”, आपका “व्यक्तित्व निखरेगा”, आपकी “शक्ति बढ़ेगी”,“योग्यता बढ़ेगी” और “आत्मविश्वास” भी जाग्रत अवश्य होगा, *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“31/1/2022”*📚 🖋️ *“सोमवार”* 🌟 *#“छोटी बात पर”* *#“सहायता मांगना”*
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“31/1/2022”*📚 🖋️ *“सोमवार”* 🌟 *#“छोटी बात पर”* *#“सहायता मांगना”*
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*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“30/1/2022”*📚 🖋️*“रविवार”* 🌟 “जीवन” में किसी के लिए कुछ “करना” या कुछ “देना” बिना किसी “कामना” के, और ये बात समझ जाइए यदि आप बिना किसी “कामना” के,बिना किसी “अपेक्षा” के किसी के लिए कुछ करते है या किसी को कुछ देते है, यदि आप यह सब “सीख” जाते है तो आप “प्रेम” भी “सीख” जाते है, “प्रेम” से “संबंध” को निभाना भी “सीख” जाते है, देखिए “माता” केवल वो नहीं जो “कोख से जन्म” देती है “माता” तो वो भी है जो “जीवन जीना” “सिखाती” है, जो “जीवन जीने का उदाहरण” बन जाती है तो हमारी “धरती माता” से ये “निःस्वार्थ भाव” सिखिए,“निःस्वार्थ प्रेम” सिखिए... *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“30/1/2022”*📚 🖋️ *“रविवार”* 🌟 *#“जीवन”* *#“कामना”*
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“30/1/2022”*📚 🖋️ *“रविवार”* 🌟 *#“जीवन”* *#“कामना”*
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*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“27/1/2022”*📚 🖋️*“गुरुवार”* 🌟 हम सभी कुछ न कुछ “पढ़” चुके है, कुछ न कुछ “सीख” चुके है, फिर भी “सबकुछ” तो कभी नहीं सीख पाते, आप सभी को पता है कि “व्यंजनों” का प्रारंभ होता है “क” से, “क” से “कबूतर” यह पढ़ते पढ़ते हम “शब्द रचना” सीखते है, उसके पश्चात “सबकुछ”,किंतु क्या कभी आपने सोचा है कि यह “क” से ही क्यों “प्रारंभ” होता है ? और किसी “व्यंजन” से क्यों नहीं, क्योंकि यह “क” दर्शाता है “करूणा”, “करूणा” जो सबसे महत्वपूर्ण भाव है,इसी “करूणा” के कारण आप भी किसी “व्यक्ति”,किसी “जीव की भावनाएं”,उसकी “समस्याएं”, उसके दुःख(“पीड़ा”) समझते है, “करूणा” ही है जो “प्रेम को जन्म” देती है,“करूणा” ही है जो आपके “विवेक” को भी “जाग्रत” करती है, तो यदि आप “क” से “करूणा” सीख गए तो “ज्ञ” से “ज्ञानी” बनने में अधिक समय नहीं लगेगा, *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“27/1/2022”*📚 🖋️ *“गुरुवार”* 🌟 *#“जीवन में”* *#“पढ़ना”*
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“27/1/2022”*📚 🖋️ *“गुरुवार”* 🌟 *#“जीवन में”* *#“पढ़ना”*
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