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Atul Sharma
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“30/1/2022”*📚 🖋️*“रविवार”* 🌟 “जीवन” में किसी के लिए कुछ “करना” या कुछ “देना” बिना किसी “कामना” के, और ये बात समझ जाइए यदि आप बिना किसी “कामना” के,बिना किसी “अपेक्षा” के किसी के लिए कुछ करते है या किसी को कुछ देते है, यदि आप यह सब “सीख” जाते है तो आप “प्रेम” भी “सीख” जाते है, “प्रेम” से “संबंध” को निभाना भी “सीख” जाते है, देखिए “माता” केवल वो नहीं जो “कोख से जन्म” देती है “माता” तो वो भी है जो “जीवन जीना” “सिखाती” है, जो “जीवन जीने का उदाहरण” बन जाती है तो हमारी “धरती माता” से ये “निःस्वार्थ भाव” सिखिए,“निःस्वार्थ प्रेम” सिखिए... *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“30/1/2022”*📚 🖋️ *“रविवार”* 🌟 *#“जीवन”* *#“कामना”*
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“30/1/2022”*📚 🖋️ *“रविवार”* 🌟 *#“जीवन”* *#“कामना”*
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*📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“26/10/2021”*📝 ✨ *“मंगलवार”*🌟 एक बात है जो “जानते” सभी है, “समझ” कम ही पाते है ये “प्रेम” ये,“आनंद” इन सबका प्रारंभ होता है “निःस्वार्थ” भाव से, अब जैसे “माता” को ही देख लिजिए जब एक “माता” “संतान” को जन्म देती है तो “संसार” ये भुल जाता है कि उसने भी एक “नया जन्म” लिया है, क्योंकि एक “स्त्री” जो है वो एक “माता के रूप” में “जन्म” जो ले लेती है, एक “स्त्री”, “पत्नी” और “बहु” बनकर कुछ “अधिकार” प्राप्त कर लेती है, और जब “मां” बन जाती है तो वो केवल देना जानती है, अपनी “संतान” के लिए क्या कुछ नहीं करती, उसे “वात्सल्य के सागर” में तैराती है इस संसार में “राजकुमार” जन्म लेते है उन्हें “राम” और “लक्ष्मण” “मां” बनाती है, “ग्वाले” जन्म लेते है उन्हें “द्वारकाधीश” मां बनाती है, “पिता” वो “पर्वत” है जिसका एक भाग बालक है किंतु “माता” वो “शिल्पकार” है जो “चट्टानों के टुकड़ों” को “निखारकर” एक ऎसी “मूर्ति का निर्माण” करती है,जिसकी “पूजा” की जा सके, इस “जीवन का द्वार” ही है “ममता”... *“अतुल शर्मा”🖋️📝* ©Atul Sharma *📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“26/10/2021”*📝 ✨ *“मंगलवार”*🌟 #“प्रेम” #“निःस्वार्थ भाव”
*📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“26/10/2021”*📝 ✨ *“मंगलवार”*🌟 #“प्रेम” #“निःस्वार्थ भाव”
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*✍🏻“सुविचार"*📝 *“16/8/2021”* *“सोमवार”* क्या किसी “वन” में आपने “आग” 🔥 लगते हुए देखा है कैसी “भयानक आग” लगती है, समस्त “वन” को “जला” देती है वहां से जो “वनस्पति” मिलती है,वहां से जो “औषधि” मिलती है वो सब “नष्ट” कर देती है, जो “पशु-पक्षी” होते है वो अधिकतर अपने “प्राण” गवा देते है “शेष” बचे हुए “निर्वासित” हो जाते है, लेकिन आपने सोचा “वन” में “आग” लगती कैसे है ? उन छोटे छोटे “सुखे पत्तों” के कारण,उन “टहनियों” के कारण वो जो कभी “वृक्ष” का ही “भाग” हुआ करती थी, इससे आपको क्या “सीख” मिलती है ? यदि कोई अपना है जो किसी “उपयोग” का नहीं है इस कारण उसे “स्वयं” से दुर मत किजिए, यदि उसे “सहायता की आवश्यकता” है, उसकी “सहायता” किजिए,यदि उसे “साथ की आवश्यकता” है तो साथ निभाइए,“निःस्वार्थ भाव” से अपनो को “विकास” की ओर ले जाईए, अपने “स्वार्थ” के कारण अपनो को अपने “जीवन” में मत रखिएगा... *“अतुल शर्मा🖋️* *📝“सुविचार"*📝 🖊️*“16/8/2021”*🖋️ 📘✨ *“सोमवार”*✨📙 #“वृक्ष” #“वन”
*📝“सुविचार"*📝 🖊️*“16/8/2021”*🖋️ 📘✨ *“सोमवार”*✨📙 #“वृक्ष” #“वन”
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*✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️*“27/6/2021”* ✨*“रविवार”* “जीवन” में किसी के लिए कुछ “करना” या कुछ “देना” बिना किसी “कामना” के, और ये बात समझ जाइए यदि आप बिना किसी “कामना” के,बिना किसी “अपेक्षा” के किसी के लिए कुछ करते है या किसी को कुछ देते है, यदि आप यह सब “सीख” जाते है तो आप “प्रेम” भी “सीख” जाते है, “प्रेम” से “संबंध” को निभाना भी “सीख” जाते है, देखिए “माता” केवल वो नहीं जो “कोख से जन्म” देती है “माता” तो वो भी है जो “जीवन जीना” “सिखाती” है, जो “जीवन जीने का उदाहरण” बन जाती है तो हमारी “धरती माता” से ये “निःस्वार्थ भाव” सिखिए,“निःस्वार्थ प्रेम” सिखिए... *“अतुल शर्मा”🖋️📝* ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“27/6/2021”*🖋️ ✨ *“रविवार”*🌟 #“जीवन” #“कामना”
*✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“27/6/2021”*🖋️ ✨ *“रविवार”*🌟 #“जीवन” #“कामना”
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*✍🏻“सुविचार"*📝 ✨*“12/6/2021”*⭐ 🌳 *“शनिवार”*🌴 “मोक्ष” क्या है... “शास्त्रों” और “पुराणों” के अनुसार “जीव” का “जन्म” और “मृत्यु” के बन्धन से छूट जाना ही “मोक्ष” है देखिए इस “संसार” में हर एक “व्यक्ति”, हर एक “जीव” किसी विशेष “प्रयोजन(उद्देश्य)” से आता है, “धर्मपूर्वक रूप” से “धन कमाना” “प्रयोजन” को पूर्ण करने का “प्रयास” करते करते, उस “प्रयोजन” को पूर्ण करना “मुक्ति” की और ले जाता है जो “मोक्ष” है, यदि “मोक्ष” प्राप्त नहीं हुआ तो मनुष्य “जन्म” और “मृत्यु” के फेर में बार बार आता रहेगा, तो “निःस्वार्थ” और “सदभाव” से “कर्म” किजिए और सभी से “प्रेमपूर्ण संबंध” रखिए... *“अतुल शर्मा”🖋️🌳* ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 ✨*“12/6/2021”*⭐ 🌳 *“शनिवार”*🌴 #“मोक्ष” #“जीव”
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*📝“सुविचार"*📝 🖊️*“17/2/2021”*🖋️ 📘✨ *“बुधवार”*✨📙 कई सारे लोगों के “मन” में एक प्रश्न उठता है कभी अपने “दर्पण” में देखिए अपनी दोनों “आंखों” को देखिए, ये दोनों “आंखे” एकसाथ क्यो बंद होती है, एकसाथ क्यो खुलती है,एकसाथ क्यो “रोती” है, “अजीवन” किसी “व्यक्ति” से संपर्क बनाया जा सकता है लेकिन बिना उनसे मिले, “जीवन” में “प्रेम” भी कुछ इस प्रकार ही होता है “दो नैनों की भांति”, जो कभी मिलेंगे ही नहीं फिर भी साथ साथ “जुड़े” रहते है यहीं भाव “निःस्वार्थता” है, यहीं “निःस्वार्थ प्रेम” आपको “आंनद” की ओर ले जाता है इसलिए जीवन में निःस्वार्थ प्रेम किजिए, ✨ *अतुल शर्मा🖋️📝📙* ©Atul Sharma *📝“सुविचार"*📝 🖊️*“17/2/2021”*🖋️ 📘✨ *“बुधवार”*✨📙 #“मन” #“दर्पण”
*📝“सुविचार"*📝 🖊️*“17/2/2021”*🖋️ 📘✨ *“बुधवार”*✨📙 #“मन” #“दर्पण”
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