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शैलेंद्र यादव
मज़बूत ग्रहों का इशारा • सूर्य मज़बूत - स्वाभिमानी बनाएगा और सत्यवादी बनाएगा। • चंद्रमा मज़बूत - मन में स्थिरता, सोचने-समझने की क्षमता और सुकून की नींद देगा। • मंगल मज़बूत - पुरुषत्व, गुस्सा, खून में गर्मी, चेहरे पर लाली और आकर्षक शरीर देगा। • बृहस्पति मज़बूत - सम्पन्न कुटुम्ब, संतान, ज्ञान, सुकून और चैन देगा। विपरीत परिस्थितियों से उबरने की ताकत देगा। • बुध मज़बूत - चंचलता, तेज़ दिमाग और शांनदार वाकपटुता देगा। अपनी उम्र से छोटा दिखेगा। • शुक्र मज़बूत - धन-वैभव, ऐशो-आराम, सुंदरता और आकर्षण देगा। •शनि मज़बूत - अति अनुशाषित बनाएगा, समय से पहले ज़िम्मेदारी, काम में देरी, बेहद संघर्ष के बाद इनाम देगा। • राहु मज़बूत - तीक्ष्ण बुद्धि, छल-कपट, अचानक बढ़िया धन्न देगा और अचानक उठाकर पटक देगा। केतु मज़बूत - वैराग्य और अकेलापन देगा। भक्ति के मार्ग पर ले जायेगा। गूढ़ ज्ञान भी देगा। ©Astro-ShaiL #नवग्रह मजबूत इशारा
#नवग्रह मजबूत इशारा
read moreShravan Goud
ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च । गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु ।। यह मंत्र आपकी सारी पीडा हर लेगा। OPEN FOR COLLAB🌷❤✍️ आपल्या पोस्ट “share highlight” करायला विसरू नका. शुभदुपार मित्रहो 😊. #नवग्रह#marathiwriter #मराठीलेखणी #marathiquotes #मराठी #marathi #yqtaai #YourQuoteAndMine Collaborating with शब्दसारथी
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read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते
read moreआयुष पंचोली
........................ !! नवग्रह के सुलभ उपाय !! सूर्य को अर्घ्य देने से बेहतर है, उगते सूरज को जी-भर निहारना। मोती पहनने से अच्छा है , चांदनी ओढ़ के सोना। और गर हो सके,
!! नवग्रह के सुलभ उपाय !! सूर्य को अर्घ्य देने से बेहतर है, उगते सूरज को जी-भर निहारना। मोती पहनने से अच्छा है , चांदनी ओढ़ के सोना। और गर हो सके,
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते
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