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Atul Sharma
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“5/5/2022”*📚 🖋️ *“गुरुवार”* 🌟 आप किसी नन्हें से “बालक” को देखिए वो क्या करता है, वो सबको “समान दृष्टि” से देखता है, उसके “मन” में न तो कोई “छल” है ना ही “कपट” है,न “अहंकार है और न ही किसी बात की “चिंता” है,सबको “समान दृष्टि” से देखता है और “स्वयं में ही प्रसन्न” रहता है, “सारे विकारों” से “मुक्त” यहीं तो सारे गुण है उस नन्हें बालक में जो “ईश्वर का स्वरूप” होते है,सोचिए हर एक “मनुष्य” इस “नन्हें बालक” की भांति ये “सारे गुण” अपने भीतर “जाग्रत” कर ले तो क्या होगा? वो भी “ईश्वर तुल्य” ही बन जाएगा तो आप भी ऐसा ही किजिए, इस “मन को मुक्त” किजिए इन “विकारों” से एक “नन्हें बालक” की भांति, “कोशिश” किजिए कि “मन” में कोई “चिंता”,“क्रोध”, किसी प्रकार का “छल कपट” इनको “समान दृष्टि” से देखिए आप “स्वयं में प्रसन्न” रहना सीख जाएंगे.. *अतुल शर्मा*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“5/5/2022”*📚 🖋️ *“गुरुवार”* 🌟 #“नन्हा सा बालक” #ईश्वर का स्वरूप”
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“5/5/2022”*📚 🖋️ *“गुरुवार”* 🌟 #“नन्हा सा बालक” #ईश्वर का स्वरूप”
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*🖋️“सुविचार"🖋️* *📚“1/04/2022”📝* *📙“शुक्रवार”💫* “जीवन” में हमें यह देखना चाहिए कि “लोग” जो है वह केवल “आम के वृक्ष” पर ही “पत्थर” कहते हैं “बबूल के वृक्ष” पर क्यों नहीं फेंकते, क्योंकि “आम के वृक्ष” पर मिलते हैं “मीठे स्वादिष्ट फल”, वहीं “बबूल का वृक्ष” हमें देता है केवल “छाल” , यदि कोई आपको “ताने” मार रहा है, आप पर “दबाव” बनाने का प्रयास कर रहा है, आपके विषय में “अनुचित बातें” कर रहा है तो निश्चित रूप से आप में कुछ तो “विशेष कला” है जो उनके “पास” नहीं, “स्वयं को आत्मविश्वास” से भर दीजिए,“सकारात्मकता” लाइए और सदैव “सत्कर्म” करते जाइए,इस “कटुता” को “मन में प्रवेश” करने ही मत दिजिए, ये “मन” सदैव “प्रसन्न” रहेगा, *“अतुल शर्मा*✍🏻 ©Atul Sharma *🖋️“सुविचार"🖋️* *📚“1/04/2022”📝* *📙“शुक्रवार”💫* #“जीवन” #“आम के वृक्ष”
*🖋️“सुविचार"🖋️* *📚“1/04/2022”📝* *📙“शुक्रवार”💫* #“जीवन” #“आम के वृक्ष”
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*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“21/2/2022”*📚 🖋️*“सोमवार”* 🌟 आप किसी नन्हें से “बालक” को देखिए वो क्या करता है, वो सबको “समान दृष्टि” से देखता है, उसके “मन” में न तो कोई “छल” है ना ही “कपट” है,न “अहंकार है और न ही किसी बात की “चिंता” है,सबको “समान दृष्टि” से देखता है और “स्वयं में ही प्रसन्न” रहता है, “सारे विकारों” से “मुक्त” यहीं तो सारे गुण है उस नन्हें बालक में जो “ईश्वर का स्वरूप” होते है, सोचिए हर एक “मनुष्य” इस “नन्हें बालक” की भांति ये “सारे गुण” अपने भीतर “जाग्रत” कर ले तो क्या होगा? वो भी “ईश्वर तुल्य” ही बन जाएगा तो आप भी ऐसा ही किजिए, इस “मन को मुक्त” किजिए इन “विकारों” से एक “नन्हें बालक” की भांति, “कोशिश” किजिए कि “मन” में कोई “चिंता”,“क्रोध”, किसी प्रकार का “छल कपट” इनको “समान दृष्टि” से देखिए आप “स्वयं में प्रसन्न” रहना सीख जाएंगे.. *अतुल शर्मा*✍🏻 ©Atul Sharma *📝“सुविचार"*📚 ✨ *21/2/2022*🖋️ 🖊️ *“सोमवार*📘 #“नन्हा सा बालक” #ईश्वर का स्वरूप”
*📝“सुविचार"*📚 ✨ *21/2/2022*🖋️ 🖊️ *“सोमवार*📘 #“नन्हा सा बालक” #ईश्वर का स्वरूप”
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*✍🏻“सुविचार"*📝 📓 *“3/2/2022”*📚 🖋️ *“गुरुवार”* 🌟 हमारे “जीवन” में किसी भी तरह का “सुख” या “दुःख” आता है तो उसके लिए हम किसी न किसी को “उत्तरदायी” बना ही देते है, सबका “दृष्टिकोण” एक जैसा तो कदापि नहीं होता है, देखिए इस “संसार” में हर एक का “जीवन” कुछ ऐसा है, हरएक के “जीवन” में “अच्छे लोग” है और “बुरे लोग” भी है, उनके “जीवन” में “अच्छे अनुभव” है और “बुरे अनुभव” भी है, “निर्भर” करता है आप पर कि आप क्या “अनुभव” करते है, इन सब का “स्वागत” कैसे करते है, इनसे क्या “सीखते” है और क्या “समझते” है, और “जीवन” में किस “दृष्टिकोण” से आगे बढ़ पाते है, ये ही “निर्धारित” करता है कि आपका “जीवन” कैसा होगा ? तो समझे आप बुरे के खुद बुरे मत बनीए,“स्वयं की सोच” “सकारात्मक” रखिए... *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📓 *“3/2/2022”*📚 🖋️ *“गुरुवार”* 🌟 *#“जीवन”* *#“सुख” या “दुःख”*
*✍🏻“सुविचार"*📝 📓 *“3/2/2022”*📚 🖋️ *“गुरुवार”* 🌟 *#“जीवन”* *#“सुख” या “दुःख”*
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*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“31/1/2022”*📚 🖋️*“सोमवार”* 🌟 अगर हम हर “छोटी बात” पर “सहायता मांगने” लगे तो क्या होगा, हम अपने “स्वयं के सामर्थ्य” को,हमारी “योग्यता” को आगे “बढ़ने” ही नहीं देंगे, क्योंकि ये हमारी “आदत” बन जाएगी कोई भी “समस्या” होगी,हम “सहायता मांगने” “किसी के पास” चले जाएंगे, ये हमारा “स्वभाव” भी बन जाएगा, इसलिए अति आवश्यक है जबतक कोई “विकल्प” न हो तबतक आप किसी से “सहायता” न मांगे, “प्रयास किजिए” जो भी “संकट” हो, जो भी “समस्या” हो,जो भी “कठिन कार्य हो “स्वयं करने का प्रयास किजिए”, जहां तक हो सके “आत्मनिर्भर” बनने का प्रयास किजिए, यदि ऐसा करोगे तो आप बहुत कुछ “सीखोगे” और दिन प्रतिदिन आपका “जीवन” और “निखरेगा”, आपका “व्यक्तित्व निखरेगा”, आपकी “शक्ति बढ़ेगी”,“योग्यता बढ़ेगी” और “आत्मविश्वास” भी जाग्रत अवश्य होगा, *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“31/1/2022”*📚 🖋️ *“सोमवार”* 🌟 *#“छोटी बात पर”* *#“सहायता मांगना”*
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“31/1/2022”*📚 🖋️ *“सोमवार”* 🌟 *#“छोटी बात पर”* *#“सहायता मांगना”*
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*✍🏻“सुविचार”*📚 🎊*“1/1/2022”*🎉 🎁*“शनिवार”* 🌟 देखिए “जीवन” में हमें यह देखना चाहिए कि “लोग” जो है वह केवल “आम” के “वृक्ष” पर ही “पत्थर” फेंकते है, “बबूल के वृक्ष” पर क्यों नहीं फेंकते, क्योंकि “आम के वृक्ष” पर मिलते हैं “मीठे स्वादिष्ट फल”,वहीं “बबूल का वृक्ष” हमें देता है केवल “छाल”, यदि कोई आपको “ताने” मार रहा है, आप पर “दबाव बनाने” का “प्रयास” कर रहा है,आपके “विषय” में “अनुचित बातें” कर रहा है तो आप में “कुछ” तो “विशेष” है जो उनके पास नहीं, “स्वयं को आत्मविश्वास” से “भर” दीजिए,“सकारात्मकता” लाइए और “सदैव सत्कर्म” करते जाइए,इस “कटुता(कड़वाहट)” को “मन” में “प्रवेश” करने ही मत दिजिए, ये मन सदैव “प्रसन्न” एवं “सुखी” अवश्य रहेगा, *“अतुल शर्मा✍🏻”* ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार”*📚 🎊*“1/1/2022”*🎉 🎁 *“शनिवार”* 🌟 *#“जीवन”* *#“आम के वृक्ष”*
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*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“31/12/2021”*📚 🖋️*“शुक्रवार”* 🌟 कभी कभी “जीवन” में “भूतकाल” में हमसे कोई “भूल” हो जाती है, जिसके कारण हम “स्वयं को क्षमा” नहीं कर पाते है, कई बार ऐसी भी “भुल” होती है जिसके बारे में “सिर्फ” हमें ही “ज्ञात” होता है, पर हम स्वयं “क्षमा” ही नहीं कर पाते और हमारा “विकास” वहीं पर “रूक” जाता है, यदि आप “क्षमा” कर पाना “सीख” ले, “स्वयं” को यदि आप “क्षमा” नहीं कर पाते है तो ये आपके “जीवन” की “सबसे बड़ी बाधा” बन जाती है! “जीवन” में निश्चित रूप से सीखिए कि कैसे “स्वयं को क्षमा” करना है, और सीखिए ये भी की हुई “भुल” कैसे नहीं दोहराना है, और एक महत्वपूर्ण बात ये कि उन “लोगों” के सामने “क्षमा” मांगने से कोई “लाभ” नहीं जो “दिल की भावनाओं” की “कदर” तक नहीं करते है, *अतुल शर्मा*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“31/12/2021”*📚 🖋️ *“शुक्रवार”* 🌟 *#“जीवन”* *#“भूतकाल”*
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“31/12/2021”*📚 🖋️ *“शुक्रवार”* 🌟 *#“जीवन”* *#“भूतकाल”*
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*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“23/12/2021”*📚 🖋️ *“गुरुवार”* 🌟 मेरे “पिता जी” के एक “मित्र” थे, बड़े “दुःखी” थे,बड़ी “विपदा” में थे, क्या करें ? क्या "व्यपार” ठीक से नहीं चल रहा है, “घर” में शांति नहीं है,हर स्थान पर “हानि” हो रही है, फिर वो एक “ज्योतिषी” से मिले, उन्होंने कहा कि “आपका जो घर है यह आपके लिए “अशुभ” है,इस “घर को ही बदल” दिजिए, उन्होंने “घर बदला” फिर भी समस्या का कोई “निदान” नहीं हुआ,फिर अन्य किसी “ज्ञानी” ने उनसे कहा कि“आपके जो ये “वस्त्र” है इनका जो “रंग” है यह आपके लिए “हानि आकर्षित” कर रहा है इन “वस्त्रों को बदल” दीजिए”, तो उन्होंने “वस्त्रों” को भी बदल दिया फिर भी कोई “परिणाम” नहीं मिला, फिर वो एक और ज्ञानी से मिले और उन्होंने कहा कि आपके आसपास यह जो “लोग” हैं ये नहीं चाहते कि आप “सफल” हो यह आपके लिए “हानि” चाहते हैं इनसे “संबंध तोड़” दीजिए उन्होंने “संबंध” भी तोड़ दिया, फिर भी “जीवन में कोई परिवर्तन” नहीं हुआ, उन्होंने “घर बदला”,“वस्त्र बदले”,“संबंध बदले” कुछ नहीं “बदला” तो वह है “स्वयं का स्वभाव” यह “स्वभाव” जो अत्यंत महत्वपूर्ण है,यह “स्वभाव” ही आपका “व्यक्तित्व” बनाता है इसलिए इस “स्वभाव” को सुधारें इसमें “शुद्ध परिवर्तन” लाएं सबकुछ “शुभ” हो जाएगा... *अतुल शर्मा*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“23/12/2021”*📚 🖋️ *“गुरुवार”* 🌟 *#“पिता जी के”* *#“मित्र”*
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“23/12/2021”*📚 🖋️ *“गुरुवार”* 🌟 *#“पिता जी के”* *#“मित्र”*
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*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“16/12/2021”*📚 🖋️*“गुरुवार”* 🌟 हम “प्रतिदिन” अनेक “लोगों” से, “विचारों” से,“कर्मों” से, “परिस्थितियों” से “सुख दुःख” से घिरे ही रहते है, “जीवन” के इस “चक्र” में “उलझने” बढ़ती ही जाती है, जैसे ही हम इन “उलझनों को सुलझाते” है हम “स्वयं भी उलझ” जाते है, देखिए “जीवन” में बहुत आवश्यक है कि “कुछ समय” आप स्वयं के लिए “व्यतीत” कीजिए “एकांत” में, “गहराई” से अपने “अस्तित्व” में “झांक” कर देखिए,“स्वयं को समझिए” “अद्भुत शांति” की अनुभूति होगी, अब जैसे ही ये “वायु” है,ये “वृक्ष” है, ये “पुष्प” है ये सब “निसर्ग” है, इसी की भांति आप भी कभी “एकांत” में आए, कभी इन “निसर्ग” का “एक भाग” बनकर देखिए ये “मन” “प्रसन्न” अवश्य रहेगा... *अतुल शर्मा*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“16/12/2021”*📚 🖋️ *“गुरुवार”* 🌟 *#“प्रतिदिन”* *#“अनेक लोगों”*
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“16/12/2021”*📚 🖋️ *“गुरुवार”* 🌟 *#“प्रतिदिन”* *#“अनेक लोगों”*
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📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘*“3/10/2021”*📝 ✨*“रविवार”*🌟 “मनुष्य” के “शरीर” से जो भी निकालता है वो “सड़” ही जाता है,उससे “दुर्गंध” आती है, एक “जुगुप्सा”(घिनन) को जन्म देती है हमारा “रक्त” हो,“अपशिष्ट” हो,“श्वास” आदि इत्यादि हो, यहां तक कि जब हम “मनुष्य के शरीर” को “त्याग” देते है, तत्पश्चात ही ये “शरीर” “सड़” ही जाता है, इससे “दुर्गंध” ही आती है, बात ये है कि हमारे “वश” में है तो ये ही नहीं ... तो हमारे “वश” में तो है क्या ? हमारे “वश” में तो है “हमारे कर्म”,“हमारा मन्तव्य”,और “हमारी वाणी” यदि इसे “शुभ” रखोगे तो न केवल “स्वयं सुगंधित” रहोगे, बल्कि “समस्त संसार” को “सुगन्धित” कर दोगे, कहा जाता है कि “वाणी” से अधिक “बहुमूल्य” और कुछ नहीं इसलिए जब भी कुछ कहो तो अपने “शब्दों” को अपने “मन” की “तुला” पर तोलो, तत्पश्चात उसका “उपयोग” करो, कभी कभी हो सकता है कि आपके “शब्द” किसी के लिए “आशीर्वाद” बनके बरसे जिससे उसे “शक्ति” प्राप्त हो,“आशीर्वाद” प्राप्त हो, ऐसा भी हो सकता है कि आपके “शब्द” किसी के “ह्रदय” को ऐसी “ठेस” पहुंचा दे कि वो उस से कभी “उभर” ही न पाए, *“अतुल शर्मा”🖋️📝* ©Atul Sharma 📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“3/10/2021”*📝 ✨ *“रविवार”*🌟 #“मनुष्य का शरीर” #“दुर्गंध”
📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“3/10/2021”*📝 ✨ *“रविवार”*🌟 #“मनुष्य का शरीर” #“दुर्गंध”
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