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Jain Saroj
क्या सास-ससुर घर के मेहमान होते जा रहे हैँ...? हम लोगों की कामवाली ( बाई ) चार _पांच दिनों से नहीं आ रही थी शायद बीमार थी ।आज पांच दिनों बाद आयी...मेरे घर के बर्तन साफ करने के बाद जैसे ही वह मेरे पड़ोस वाले घर में पहुंची ,तो अचानक जोर-जोर से उनकी बहू उस बाई को सुनाने लगी ।इतने दिन तक वह बिना बताए घर में बैठी रही , मेरे घर में मेहमान आए हुए हैं देख तेरे न आने से मेरा काम और बढ़ गया है ,मैं क्या क्या करूं....? वह अपने कमरे में बैठी बाई को लगातार डांटे जा रही थी ।मैं और उसके सास ससुर अवाक से खड़े हुए उसकी बहस बाजी सुने जा रहे थे।मैं लगातार उन दोनों के चेहरे के बदलते भावो को पढ़ रहा थी,उनके चेहरों पर निराशा और अपराधबोध साफ साफ झलक रहा था।मुझे भी यह सब सुनने में अटपटा लग रहा था। सवाल काम के बोझ का नही था। सवाल उस शब्द का था जो बार बार उनके मन को छलनी कर रहा था वह शब्द था।मेहमान उसके कहे शब्दो पर मैं यह सोचने पर मजबूर हो गया कि क्या माता पिता अपने ही बहू बेटे के लिए मेहमान हो गए ? और जब हम मेहमान हैं तो कितने दिन तक बेटे के घर रहना उचित होगा दरअसल एकल परिवारों की सीमा पति _पत्नी और बच्चों से मिलने तक आकर सिमट जाती है।माता _पिता दूर रह रहे अपने बच्चों से मिलने इसलिए आते है कि शायद बाकी जीवन के लिए वे थोड़ी सी खुशियां बटोर लें । बुजुर्ग मन बार बार स्वयं से केवल एक ही प्रश्न पूछता है कि क्या उम्र के बढ़ते कदमों के साथ बच्चों के बीच जिंदगी के बाकी दिन मेहमान बनकर बीतेंगे या परिजन के रूप में बीतेंगे ? क्या हमे अपनत्व मिलेगा पोस्ट पसंद आए तो कृप्या पेज को लाईक एवम फॉलो करें एवम कॉमेंट में अपना सुझाव व्यक्त करें। ©Saroj Patwa #समाज_और_संस्कृति
Satveer
पहचान से मिला काम थोडे समय तक ही टिकता है,लेकिन काम से मिली पहचान पुरे जीवनभर रहती है, ©Satveer #समाज_और_संस्कृति #
Najmin Mansuri
दया ही दिखानी हैं तो उस पार दिखाओ जो दया के लायक ही न की उस पर जो सब कुछ कर सकता ह उस पर नहीं। ©Najmin Mansuri #समाज_और_संस्कृति
Rakesh frnds4ever
विचलित मन की परतों में दबी जीवन की छोटी बड़ी खुशियों की लहरें, जो कभी पूरे चर्म पर हिलोरें मारती थी,, जो कभी पूरे जोर शोर उत्कृष्ट के साथ उठा पटक करती थी,, जाने क्यों जीवन की आपाधापी में, दुनिया की,,समाज की ,, कपटी, पापी, निर्दयी, जलवायु में आज,, दूषित हो चुकी हैं,, उनके इंसानियत रूपी वातावरण की नष्टता, ओर उसमे प्रदूषण से अपने अस्तित्व की समाप्ति के चरम पर है,,,..... ©Rakesh frnds4ever #समाज_और_संस्कृति विचलित #मन की परतों में दबी #जीवन की छोटी बड़ी खुशियों की लहरें, जो कभी पूरे चर्म पर हिलोरें मारती थी,, जो कभी पूरे जोर शोर #उत्कृष्ट के साथ उठा पटक करती थी,, जाने क्यों जीवन की #आपाधापी में, दुनिया की,,समाज की ,, कपटी, #पापी , निर्दयी, जलवायु में आज,, दूषित हो चुकी हैं,, उनके #इंसानियत रूपी #वातावरण की नष्टता, ओर उसमे #प्रदूषण से अपने अस्तित्व की समाप्ति के चरम पर है,,,.....
#समाज_और_संस्कृति विचलित #मन की परतों में दबी #जीवन की छोटी बड़ी खुशियों की लहरें, जो कभी पूरे चर्म पर हिलोरें मारती थी,, जो कभी पूरे जोर शोर #उत्कृष्ट के साथ उठा पटक करती थी,, जाने क्यों जीवन की #आपाधापी में, दुनिया की,,समाज की ,, कपटी, #पापी , निर्दयी, जलवायु में आज,, दूषित हो चुकी हैं,, उनके #इंसानियत रूपी #वातावरण की नष्टता, ओर उसमे #प्रदूषण से अपने अस्तित्व की समाप्ति के चरम पर है,,,.....
read morepoonam atrey
समाज की सोच और अकेले रहने की चाहत , जिसने खड़ी कर दी है रिश्तों में दीवार , कभी ना टूटने वाली , जिसे चाहे भी तो गिरा ना पाएं, भारतीय संस्कृति कहां रही अब , सब छूट रहा है धीरे धीरे , पाश्चात्य संस्कृति पांव पसार रही है बहुत तेजी से ,शायद हम सबके दिमाग पर कब्जा है इस नई दुनिया का , हम सबसे दूर होते जा रहे हैं , मां बाप ,भाई बहन ,सब रिश्ते जैसे बेमानी हो गए हैं ,सबके बीच एक गहरी खाई ,सबके रिश्तों में एक दीवार खड़ी है ,कभी ना टूटने वाली दीवार ।। ©poonam atrey #समाज_और_संस्कृति yogesh kansara Amit Bharti Shrivastav Farhan Shaikh Mahi ( prahlad Singh )( feeling writer) Anshu Pandey Maya Sharma Rama Goswami @RANA_JI_THANKUR_SHAHAB@ Badal Singh Kalamgar Raj Guru SHAYAR ANHAR MIND-TALK Naresh_Panghal Adv. @gyanendra pandey Manish।।।।। PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान' R K Mishra " सूर्य " Bhavana kmishra sana naaz Mili Saha पथिक Sunita Pathania Hardik Mahajan sukoon Anil Yadav Ravi Ranjan Kumar Kausik कवि संतोष बड़कुर ANSARI ANSARI Vivek Kumar Surenvi Pra
#समाज_और_संस्कृति yogesh kansara Amit Bharti Shrivastav Farhan Shaikh Mahi ( prahlad Singh )( feeling writer) Anshu Pandey Maya Sharma Rama Goswami @RANA_JI_THANKUR_SHAHAB@ Badal Singh Kalamgar Raj Guru SHAYAR ANHAR MIND-TALK Naresh_Panghal Adv. @gyanendra pandey Manish।।।।। PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान' R K Mishra " सूर्य " Bhavana kmishra sana naaz Mili Saha पथिक Sunita Pathania Hardik Mahajan sukoon Anil Yadav Ravi Ranjan Kumar Kausik कवि संतोष बड़कुर ANSARI ANSARI Vivek Kumar Surenvi Pra
read moreSushma
गलत सही कि परीभाषा भुला चुके हैं सब "क्योंकि वो गलत तो हम क्यों नहीं " - यहीं मानते हैं सब मन पे कहाँ काबू हैं किसी का, बस चलते जा रहे हैं सभी जाना कहाँ हैं, मंजिल क्या हैं कहाँ पता हैं किसी को... अपने फैंसले ख़ुद किया करो सोच विचार कर , वरना शिकार हो जाओगे किसी और के फैसले का.... ©Sushma #समाज_और_इनकी_सोच #समाज_और_संस्कृति #समाज_की_हकीकत #समाज_की_कड़वी_सच्चाई