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Best अलबेली Shayari, Status, Quotes, Stories

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Vibha Katare

मम्मी तुम अलबेली हो,
मेरी प्रथम गुरु हो तुम, कभी तुम मेरी चेली हो,
हरदम डाँट लगाती फिर भी मेरी सबसे अच्छी सहेली हो,
मम्मी तुम अलबेली हो..
मुझसे कहती मैं नासमझ नाजुक भोली हूँ,
मेरी एक आह से तुम डर जातीं,जाने कैसी पहेली हो,
मम्मी तुम अलबेली हो..
कभी लगो तुम नारियल सी, कभी लगो रसमलाई सी मीठी,
सच कहूं लेकिन मम्मी, तुम तो मेरी जलेबी हो,
मम्मी तुम अलबेली हो.. #happymothersday #mummy #motherdaughter #अलबेली #मम्मी #yqdidi #yqbaba

Diwan G

मन में एक पहेली थी, मैं सबके बीच अकेली थी।
जिंदगी में ना कोई था, ना कोई मेरी सहेली थी।

मैं थोड़ी रंग रंगिली थी, और थोड़ी अलबेली थी।
रंग देखे थे हजार मैंने, मैं खुशियों से खेली थी।

कहते सुना था लोगों को, मैं खुद एक पहेली थी।
मैं मासूम सी कली, दुनियाँ की नजरें मैली थी।। दुनियाँ की नजरें मैली थीं।
#Main_akeli #मासूम #पहेली #अलबेली #रंगिली #मैली_नजर #जिंदगी #खुशियाँ #कविता #nojoto

Pnkj Dixit

🌷 मैंने देखा 🌷 """""""मुझको पुकारती एक अनोखी राह अलबेली ,,,,,, नयनों के सम्मुख चंचल हिरनी - सी

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आज की कविता
👇👇👇👇👇

"""मैंने देखा"""

२०/०६/२०१९
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷 मैंने देखा 🌷

"""""""मुझको पुकारती 
               एक अनोखी 
                    राह अलबेली ,,,,,,

नयनों के सम्मुख
चंचल हिरनी - सी

Vandna Sood Topa

संत कबीर जी ने कहा था--- "कर ले श्रृंगार चतुर अलबेली साजन के घर जाना है,मिट्टी ओढावन,मिट्टी बिछावन,मिट्टी में मिल जाना है।। नहा ले धो ले,शीश गूंथा ले,फिर वहाँ से नहीं आना है,कर ले श्रृंगार चतुर अलबेली,साजन के घर जाना है।।" साजन, यहाँ मृत्यु को कहा गया है।कोई भी इंसान मृत्यु नहीं चाहता,पर मृत्यु आपके पीछे पीछे चलती है,ताउम्र। गीता में कहा गया है-- 'प्रयाणकाले मनसा चलेन'-- प्रयाणकाल में अचल मन से जाना चाहिए। हमारी कोई चीज़ अगर कहीं छूट जाये तो मन व्याकुल रहता है। तो ये शरीर छोड़ते समय हम कितने व्याक

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 संत कबीर जी ने कहा था---
"कर ले श्रृंगार चतुर अलबेली
साजन के घर जाना है,मिट्टी ओढावन,मिट्टी बिछावन,मिट्टी में मिल जाना है।। नहा ले धो ले,शीश गूंथा ले,फिर वहाँ से नहीं आना है,कर ले श्रृंगार चतुर अलबेली,साजन के घर जाना है।।"
साजन, यहाँ मृत्यु को कहा गया है।कोई भी इंसान मृत्यु नहीं चाहता,पर मृत्यु आपके पीछे पीछे चलती है,ताउम्र।
गीता में कहा गया है--
'प्रयाणकाले मनसा चलेन'--
प्रयाणकाल में अचल मन से जाना चाहिए।
हमारी कोई चीज़ अगर कहीं छूट जाये तो मन व्याकुल रहता है। तो ये शरीर छोड़ते समय हम कितने व्याक

Rocking BBD

लोग केहते है 
कुरी अलबेली होती है 
पर
मै केहता हूँ 
कुरी अलबेली नहीं 
कुरी तो पहेली होती है 
जो साली 
समझ मे ही नहीं आती | #NojotoQuote #dharamveerkumar#nojoto#nojotohindi#nojotoofficial#pagal

कवि मनीष

Happy Holi  आई होली रंग-रंगीली,
मनमोहक छैल-छबीली,
हँसानें-मुस्कुरानें सबको,
आई देखो ये अलबेली,

आई होली रंग-रंगीली,
मनमोहक छैल-छबीली 

रंगीं करनें ये सारा अम्बर,
आई लेके रंगों की टोकरी,
हर मन में  प्रेम भरनें,
आई देखो ये मस्त रसीली,

आई होली रंग-रंगीली,
मनमोहक छैल-छबीली,

आई होली रंग-रंगीली,
मनमोहक छैल-छबीली,
हँसानें-मुस्कुरानें सबको,
आई देखो ये अलबेली 

#कविमनीष  #NojotoQuote #कविमनीष

Kiran Bala

थी एक नार अलबेली,चतुर सलोनी था नाम मनु पर सब कहते छ्बीली ढाल,तलवार, कटार संग वो खेली निडर, साहसी वीरांगना थी फुर्तीली आई झाँसी में बन वो दुल्हन नवेली थी खेली वक्त ने भी आँख- मिचौली हुई विधवा,रह गई निसंतान अकेली तब धूर्त डल्हौजी ने चाल एक खेली

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झाँसी की रानी  थी एक नार अलबेली,चतुर सलोनी
था नाम मनु पर सब कहते छ्बीली
ढाल,तलवार, कटार संग वो खेली
निडर, साहसी वीरांगना थी फुर्तीली
आई झाँसी में बन वो दुल्हन नवेली
 थी खेली वक्त ने भी आँख- मिचौली 
हुई विधवा,रह गई निसंतान अकेली
तब धूर्त डल्हौजी ने चाल एक खेली
लैप्स की आड़ में, झाँसी थी ले ली
 दत्तक पुत्र को ले संग-साथ छबीली
नाना ,ताँत्या, के संग  बना के टोली
बन रण-चण्डी, रक्त की खेली होली
घबराए फिरंगी,फौज वापस थी ले ली
थे धूर्त फिरंगी चाल फिर वापिस खेली
घेरा रानी को तब जब वो थी अकेली
कर वार पर वार बच निकली छबीली
पर दुष्टों ने घोड़े की जान थी ले ली
ले नया घोड़ा वो बढ़ चली अकेली
था नाला सामने जिद घोड़े ने कर ली
घिर चुकी थी अब वो मनु फुर्तीली 
हारी नहीं, अन्त तक लड़ी अलबेली 
घबराए ह्यूरोज ने कटार पीछे से फेंकी
मरते हुए भी प्राण उसके वो ले गई 
है धन्य धरा आज भी तुमसे छबीली
अमिट रहेगी,सदैव यश-गाथा तेरी थी एक नार अलबेली,चतुर सलोनी
था नाम मनु पर सब कहते छ्बीली
ढाल,तलवार, कटार संग वो खेली
निडर, साहसी वीरांगना थी फुर्तीली
आई झाँसी में बन वो दुल्हन नवेली
 थी खेली वक्त ने भी आँख- मिचौली 
हुई विधवा,रह गई निसंतान अकेली
तब धूर्त डल्हौजी ने चाल एक खेली


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