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Shubham Bhardwaj
White दीमक बनकर नही, दीपक बनकर उद्दार करो। अंधकार कितना भी हो,पलभर में उसका संहार करो।। ©Shubham Bhardwaj #Sad_Status #दीपक #अंधकार #संहार #दीमक #पल #भर #में
Pankaj Singh Chawla
पाकर तुझे जंजीरों के पीछे, दिल ये मेरा खोल उठा, बेदर्द ज़माने पर मेरा दिल बोल उठा, क्यो जुल्म-ए-कहर तुमनें इक अबला पर किया, जिस अबला ने तुम्हें जन्म है दिया, है शक्ति का प्रतिबिंब ये क्यो तू ये भूल गया, समय समय पर इसने हर दानवों का है संहार किया।। #जंजीर #अबला #संहार #जुल्म #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo #pchawla16
#जंजीर #अबला #संहार #जुल्म #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo #pchawla16
read moreShweatnisha Singh🌸
कुपित मानुष... इंसानियत का क़त्ल करते ये हैवान हैं! कलप रही धरती, सिसकती बेज़ुबां है। कैसा भट्टयुग आयो रे! मानवता का क़त्ल-ए-आम है। गणपति की जय-जयकार करै, कोख़ में शिशु वध करै, कैसा जन-जन संहार है! बद्दुआ का भागी तू, कुपित, कर्महीन पापी तू! दैत्य रूपी मानुष अब, काली की पुकार है। ©श्वेतनिशा सिंह~🕊️ #elephant #मानवता_शर्मसार_है #जीनेदो #sorrow #loveanimals #संहार #nojotohindiwriters #silentsouls
आयुष पंचोली
"दशावतार" जब जब धर्म की होंने लगती हैं हानि, धरती पर बढने लगते हैं, अधर्मी मनुष्य और अभिमानी । रोती हैं जब यह धरती माता खून के आँसू, गोओ का रूदन जब चित्कार मचाता हैं। तब हरने को पीड़ा इनकी, काल उतर कर युग परिवर्तन करने आता हैं। तब तब अवतरित होकर निराकार का परम अंश, धरकर कितने ही विविध रूप अपनी सर्वोच्च सत्ता की महानता का एहसास सबको कराता हैं।
जब जब धर्म की होंने लगती हैं हानि, धरती पर बढने लगते हैं, अधर्मी मनुष्य और अभिमानी । रोती हैं जब यह धरती माता खून के आँसू, गोओ का रूदन जब चित्कार मचाता हैं। तब हरने को पीड़ा इनकी, काल उतर कर युग परिवर्तन करने आता हैं। तब तब अवतरित होकर निराकार का परम अंश, धरकर कितने ही विविध रूप अपनी सर्वोच्च सत्ता की महानता का एहसास सबको कराता हैं।
read moreआयुष पंचोली
कलयुग का अन्त और कल्की अवतार। जो काल , जो चीज घटित हो गई उसकी बातें करना, उस पर शोध करना, और उससे सम्बंधित निष्कर्ष पर पहुचना तो बहुत आसान हैं। मगर जो हुआ ही नही उसके बारे मे , आने वाले कल के बारे मे कैसे जाना जायें इसका कोई विकल्प विज्ञान के पास मौजूद नही हैं। मगर आध्यात्म ध्यान और योग के माध्यम से भविष्य को जानने का उदाहरण कई बार पेश कर चुका हैं। अब अगर उसे कल्पना भी माने तो भी एक प्रकार से वही काल्पनिक सोच जब तक तथ्योके साथ घटित होती हुई दिखती हैं, तो फिर उस आध्यात्म के उस शोध पर विश्वास होने लगता हैं की हाँ, शायद ऐसा हो
जो काल , जो चीज घटित हो गई उसकी बातें करना, उस पर शोध करना, और उससे सम्बंधित निष्कर्ष पर पहुचना तो बहुत आसान हैं। मगर जो हुआ ही नही उसके बारे मे , आने वाले कल के बारे मे कैसे जाना जायें इसका कोई विकल्प विज्ञान के पास मौजूद नही हैं। मगर आध्यात्म ध्यान और योग के माध्यम से भविष्य को जानने का उदाहरण कई बार पेश कर चुका हैं। अब अगर उसे कल्पना भी माने तो भी एक प्रकार से वही काल्पनिक सोच जब तक तथ्योके साथ घटित होती हुई दिखती हैं, तो फिर उस आध्यात्म के उस शोध पर विश्वास होने लगता हैं की हाँ, शायद ऐसा हो
read moreAnshul Singh
#OpenPoetry है रण दुर्दम्य , योद्धा प्रवीण , अद्भुत शर से सज्जित तुरीण । क्षत-विक्षत शव हैं पटे पड़े , मस्तक वीरों के कटे पड़े , कितनों पर मैंने वार किया , कितनों का संहार किया । हे माधव ! इस धर्म युद्ध में मैंने अबतक , धर्म पताका लहराई है , युक्ति से मैंने युद्ध किया है , शौर्य से विजय पायी है । पर एक निहत्थे योद्धा पर , बोलो कैसे मैं प्रहार करूँ , जो रत है अपने रथ में अब , उसका कैसे संहार करूँ । क्या अर्जुन का बल क्षीण हुआ , या आत्मबल संकीर्ण हुआ , जो एक असहाय वीर पर , मैं अपनी शक्ति दिखलाऊँगा । विजय भी हो जाए माधव , मैं कायर ही कहलाऊँगा । हे भगवन ! तुमने ही तो मुझको , धर्म मार्ग बतलाया था , अपने सामर्थ्य पर विश्वास करूँ , ये पाठ मुझे सिखलाया था । अब तुम ही मुझको धर्म से , विरत कैसे कर सकते हो , एक शस्त्रहीन पर शस्त्र उठाऊँ , ये कैसे कह सकते हो ? बोलो ना माधव चुप क्यों हो , शंका का समाधान करो , अंधकार में डूब रहा , आलोकित मेरे प्राण करो । #OpenPoetry #व्यथा #अर्जुनकृष्णसंवाद #कर्णवध
#OpenPoetry #व्यथा #अर्जुनकृष्णसंवाद #कर्णवध
read morePankaj Priyam
उठा लो गांडीव हे पार्थ ********************* सच है की युद्ध कोई पर्याय नहीं, पर बिन इसके अब उपाय नहीं। संकट में जब पड़ा हो अपना देश, कहां शोभती तब दया शांति वेश। हो रहा हरपल मानवता का संहार संयम साहस को कर रहा ललकार। नहीं पाप कोई, है अब पूण्य यही आतंक के खिलाफ उठाना हथियार। देख अपनो को खड़ा कुरुक्षेत्र में अर्जुन ने जब युद्ध से किया इनकार कृष्ण ने तब भरी हुँकार उठा लो गांडीव हे पार्थ! कर डालो दुष्टों का संहार परिस्थितियां फिर है वही हो रहे धमाके, बंदूके बरस रही दहशत में जिन्दगी बसर रही उजड़ गयी है माँग कितनी गोदें कितनी हो गयी सूनी। शांति की राह में मिला है धोखा इन पथरायी आंखों मे आंसू नही खून का है कतरा सूखा बूढ़ी नजरों को है बेटे का इंतजार खड़ी है बहनें लिए राखी का प्यार इन अबलाओं के आँचल है खाली मेंहदी से पहले उजड़ी सुहाग की लाली किसी आतंकी उग्रवादी को नहीं क्षमा अधिकार समय कह रहा है फिर से बारम्बार अमन चैन की खातिर उठा लो गांडीव हे पार्थ। कर डालो दुष्टों का संहार। ©पंकज भूषण पाठक "प्रियम "
✍️ रोहित
सब लोगों की यही माँग है, युद्ध आर या पार करो, दुश्मन का संहार करो, वीर सैनिकों की हत्या के, बदले की हुँकार भरो, दुश्मन का संहार करो।। हिजड़ों ने सेना के ऊपर, धोखे से है वार किया, छिपकर के सारे स्यारों ने, सिंहों को है मार दिया, इनका वक्ष चीरकर रख दो, लाशों का अम्बार करो, दुश्मन का संहार करो।। रोजाना अपने दुश्मन को, माफ किये हम जाते हैं, इसीलिए हम रोज, सैनिकों की लाशों को पाते हैं, हाथ खोल दो सेना के अब, केवल हाहाकार करो, दुश्मन का संहार करो।। सत्तर बरसों से हम इनको, रोज क्षमा करते आये, इस कारण से कुत्तों के, हाथों से हम मरते आये, क्षमादान देना छोड़ो बस, दुश्मन सा व्यवहार करो, दुश्मन का संहार करो।। जहाँ से ये पैदा होते हैं, फसलें नष्ट करो इनकी, उग्रवाद फैलाने वाली, नस्लें नष्ट करो इनकी, रूह कांप जायें इन सबकी, ऐसा भीषण वार करो, दुश्मन का संहार करो।। हिजबुल या फिर जैश, ख़त्म होने से नष्ट नहीं होगा, जब तक पाकिस्तान बचा, भारत सन्तुष्ट नहीं होगा, "रोहित" पाकिस्तान का केवल, अब अन्तिम सँस्कार करो, दुश्मन का संहार करो।। #NojotoQuote
Vikesh Singh
नफरत के उस देश में केवल आतंक पनपता है पेशावर हो या रावलपिंडी बस आतंक संवरता है जवाँ देश के जवाँ सपूतों की वीरगति को कब तक हम सह पाएँगे हर बार तिरंगे में लिपटे कब तक घर ले जाएंगे ऐसे होती रोज शहादत की क्या गिनती करते जाएंगे कब तक देखेंगे चुप रहकर उनको क्या ऐसे ही गले लगाएंगे मातृभूमि पर मर मिटने को जो रहते हरदम है तैयार क्या वो ऐसे ही मिट जाएंगे क्या खून नही खौल अब भी क्या चुप रह जाएं ? मौला अब भी नही ? अब तो बस संहार चाहिए एक एक कतरे का जवाब चाहिए पाक समर्थित आतंकी की बस हार चाहिए अब समय आ गया है उसका भी संहार चाहिए सिंध से सिंचित भूमि का अब ऊध्धार चाहिए साथ ही अपने स्वर्ग की पहचान चाहिए बस अपने बीर जवानो का सम्मान चाहिए । विकेश सिंह #gif ज़वाब
ज़वाब
read moreBeyond The Poetry
Republic day quotes in hindi आतंकी हैवानों की सिर्फ़ कड़ी निंदा काफी नहीं ऐसे जघन्य कृत्य की अब कहीं कोई माफी नहीं बर्बरता की ये जो हद दहशतगर्दों ने लांघी है रुहों ने शहीदों की, बदले में बस लाशें इनकी मांगी है मन व्यथित है, मुख निःशब्द, चाहकर भी न ये कुछ बोल रहा रोती बिलखती चींखें देख, खून ये जैसे खौल रहा मौन का अब वक़्त नहीं, अब तो बस प्रतिकार करो आंतकियों की इस सेना का अब जड़ से बस संहार करो आंतकियों की इस सेना का अब जड़ से बस संहार करो #NojotoQuote आतंकी हैवानों की सिर्फ़ कड़ी निंदा काफी नहीं ऐसे जघन्य कृत्य की अब कहीं कोई माफी नहीं बर्बरता की ये जो हद दहशतगर्दों ने लांघी है रुहों ने शहीदों की, बदले में बस लाशें इनकी मांगी है मन व्यथित है, मुख निःशब्द, चाहकर भी न ये कुछ बोल रहा रोती बिलखती चींखें देख, खून ये जैसे खौल रहा
आतंकी हैवानों की सिर्फ़ कड़ी निंदा काफी नहीं ऐसे जघन्य कृत्य की अब कहीं कोई माफी नहीं बर्बरता की ये जो हद दहशतगर्दों ने लांघी है रुहों ने शहीदों की, बदले में बस लाशें इनकी मांगी है मन व्यथित है, मुख निःशब्द, चाहकर भी न ये कुछ बोल रहा रोती बिलखती चींखें देख, खून ये जैसे खौल रहा
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