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Sonal Panwar
पौष की ठिठुरती ठंड में सूर्य की रोशनी हुई मंद, आसमान में छाया कोहरा सफेद चादर में लिपटी जैसी धुंध। कंपकंपाती सर्द हवाओं ने छेड़ी शीतल बयार की अनोखी मल्हार, फूल और पत्तों पर गिरी बर्फ-सी ओस की बूंदों से हुआ प्रकृति का अद्भुत साक्षात्कार। ©Sonal Panwar #coldwinter #Winter #winterseason #शीत #शीतलहर #hindi_poetry #Shayari #poem #Nojoto
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read moreबुशरा तबस्सुम
बाहर ही नहीं भीतर भी है अन्यमनस्कता की शुष्क शीत , उधर मौन लपेटा है फिलहाल कभी किसी रोज़ कुनकुनी धूप बन चमका कोई विचार तो उतार दूँगी मौन के लबादे, शब्द पहनकर निखरूंगी विचारों की धूप में पूर्णतया बिखरूंगी ©बुशरा तबस्सुम #शीत
vasundhara pandey
वो आज फिर रह गई अपमान का घूँट हलक में दबाकर, कंपकंपाती ठंड में हृदय को जलाकर, चंद्र का प्रकाश शीत रात्रि का प्रभाव, पलकों में निद्रा का रह गया अभाव वेदना वो हृदय में इतनी बढी थी, कुंठा और घृणा में देह पूर्ण तपी थी, पर मौन थी:, संस्कारों से बंधी थी धर्म और कर्म की बेङियां पांवों में पङीं थीं समाज और शास्त्र न्याय करने तत्पर राह में खङे थे, मौन थे वो अधर कुछ कह ना सके, घृणा के वो शब्द कंठ छोङ ना सके। #मौन #शीत #yqhindi #yqtales #microtales
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read moreपूर्वार्थ
ख़्याल कुछ ऐसे भी...⊙ विवाह होना...एकमात्र संगम नहीं होता... प्रेम संगम तो तब है...जब #मैं_पुकारूँ और... तुम्हें आभास हो जाये...प्रेम को… एक नये #रिश्ते के...समर्पण में जो मिले वो सुख... आपसे मैं केवल #योगदान चाहता हूँ... #प्रेम_नहीं...! प्रेम स्वयं एक दिन अवश्य...इस योगदान को... एक गहरे रिश्ते में बाँध देगा...वो बँधन किसी… #समाज से न डरेगा...अपितु वो अपने आप में एक... स्वतंत्र पक्षी की भाँति होगा...जिसका गगन… हम दोनों के भीतर...छिपी हुई #इच्छाओं में व्यक्त होगा... दिखेगा... अनुभव होगा...! उस दिन समझ लेना...हमारा रिश्ता अमर हो जायेगा... ना तुम्हें फिर मुझसे...मिलने की आवश्यकता होगी... ना मुझे तुमसे मिलने की...कोई #अपेक्षा_रहेगी... तब मान लेना...हमने एक दूसरे के लिये... केवल जीवन ही नहीं...अपितु अपनी #सम्पूर्णता से... स्वयं को समर्पण कर दिया है…ठीक उसी प्रकार से… “जिस प्रकार से…घना #वृक्ष अपने पत्तों से... गर्मी के दिनों में…छाँव देकर आराम देता है... उसी प्रकार #शीत रीतु में...वही पेड़ की कुछ टहनियाँ और पत्ते... हमें जलकर अपने ताप से...उस बहती शीत लहर में… स्वस्थ और कुशल रखकर…हमें #सुख प्रदान करती हैं... सम्पूर्णता मात्र यहीं से तो होकर...#समर्पण की #पहचान बनाती है ॥ #विचार_कीजिये✍️♥️🧔🏻 ©पूर्वार्थ #Love #मैरिज
Love #मैरिज
read moreEk villain
रूस की ओर से यूक्रेन मामले में कुछ नरमी दिखाई जाने के बावजूद अमेरिका ने जिस तरह एक बार फिर से सीधे शब्द में युद्ध की चेतावनी दी उससे यह संकट पर विश्व की चिंता और गहरी हो गई रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने नरमी से संकेत के बीच प्रकरण को लेकर पश्चिमी देशों को फिर से कटघरे में खड़ा करते हुए नए सिरे से वार्ता की पेशकश की है पता नहीं यह व्रत किस तरह आगे बढ़ेगा लेकिन यह स्पष्ट है कि यूक्रेन के मामले में हालात अमेरिका और सोवियत संघ के बीच दशकों तक चले शीत युद्ध जैसे ही तनावपूर्ण है रूस ने यूक्रेन की सीमाओं पर अपने एक लाख से अधिक सैनिक एकमात्र किए हैं और अमेरिका के नेतृत्व में उसके युवा सहयोगी नाटो देश की सैन्य तैयारी के लिए यूक्रेन क्यों लेकर उसको किसी से बचाने के साथ दे रहा है रूस इससे पहले 2014 में यूक्रेन के हिस्से कमियां पर कब्जा जमा चुका है तब से लेकर अब तक जरूर यह यहां पर आरोप लगाता रहा है कि यूक्रेन में विद्रोही को बढ़ावा दे रहा है ताकि वह सरकारी कामकाज बाधित हो और प्रमाण स्वरूप यूक्रेन की सरकार कमजोर पड़ जाए सोवियत संघ के विघटन के समय रूस की पश्चिमी सीमा से सटे कई से छूटकर अलग राष्ट्रीय बन गए थे उसी कड़ी में 1991 में यूक्रेन के अस्तित्व में आने से इस क्षेत्र में रूस की पकड़ कमजोर पड़ी सागर के आसपास कमजोर हुई ©Ek villain #शीत युद्ध जैसा संकट #Thoughts
#शीत युद्ध जैसा संकट Thoughts
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 7 – अमोह 'मेरा पुत्र ही सिंहासनासीन हो, यह मोह है वत्स!' आज सातवीं बार कुलपुरोहित समझा रहे थे मद्राधिपति को - 'सम्पूर्ण प्रजा ही भूपति के लिए अपनी संतान है और उसकी सुरक्षा संदिग्ध नहीं रहनी चाहिये।' मद्रनरेळ के कुमार बाल्यकाल सो कुसंग में पड़ चुके थे। वे उग्रस्वभाव के तो थे ही, दुर्व्यसनों ने उन्हें अत्याधिक लोक-अप्रिय बना दिया था। प्रजा चाहती थी कि उत्तराधिकारी कुमार भद्र हों, जो मद्रनरेश के भ्रातृ-पुत्र थे; किंतु पिता की ममता भी दुर्बल क
read moreSunita Bishnolia
मावठ ठंडी पुरवाई चली,बढ़ा शीत का जोर। मरु को आन भिगो रही,बूंदें चारों और।१। गेहूँ तो इठला रहा,देख माघ का माह। मावठ से पूरी हुई, उसके मन की चाह।२। रिमझिम बरखा जो हुई,वापस लौटी शीत। मंद पवन भी गा रही,अब मावठ के गीत।३। जौ-चने हैं सरस रहे,गेंहूँ मस्त बहार। मावठ खेतों में हुई, रिमझिम गिरी फुहार।४। #सुनीता बिश्नोलिया #NojotoQuote
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 12 - प्रार्थना का प्रभाव 'भगवान् यार्कशायर में हैं और दक्षिण ध्रुव में नहीं है?' वह खुलकर हंस पड़ा। 'जो यहां हमारी रक्षा करता है वह सब कहीं कर सकता है।' इम तर्क का किसी के पास भला क्या उत्तर हो सकता है। श्रीमती विल्सन जानती हैं कि उनके पति जब कोई निश्चय कर लेते हैं, उन्हें रोका नहीं जा सकता।
read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 17 - शीत में इस शीत ऋतु में गायों, वृषभों, बछड़े-बछड़ियों को सांयकाल गोपगण ऊनी झूल से ढक देते हैं।प्रातः गोचारण के लिए पशुओं को छोड़ने से पूर्व ये झूल उतार लिए जाते हैं।पशु कहाँ समझते हैं कि ये झूल शीत से रक्षा के लिए आवश्यक हैं। वे प्रातः झूल उतार लिए जाने पर प्रसन्न होते हैं। बछड़े-बछड़ियाँ ही नहीं, गायें और वृषभ तक शरीर झरझराते हैं और खुलते ही दौड़ना चाहते हैं। शीत निवारण का यह सहज उपाय प्रकृति ने उनकी बुद्धि में दिया है। दौड़ना न हो तो सब सटकर बैठेंगे, चलेंगे या खड़े होंगे। ले
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