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Madhur Choubey
की होता कुछ यूं है जब हम उठाते है कलम, क्या लिखे बस ये रह जाता है भरम,, ख्याल आया था जो कुछ थोड़ी ही देर पहले, अब समझ ही नही आता इन शब्दों से कैसे खेलें #yqdidi #yoirquotedidi #yqbaba #likhna #shayari #अजनबी_जागृति #ishq
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इस दिल पर तुम्हे इख्तियार हो ना हो, तो ना सही इन आँखों के सुकून का जरिया हो तुम #yqdidi #yqbaba #love partner truelove #friendship #jaswantrajpurohit #YourQuoteAndMine Collaborating with Jaswant RAJpurohit #अजनबी_जागृति #इतिcollab Collaborating with Jagriti Sharma. ....
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यूँ तो भीड़ है ज़माने में बहुत, पर हर एक की जनाब यहाँ कहानी रहती है अधूरी! हैं सभी की आँखों में ख़्वाब हसीन,किसी को जुनून तो किसी को हुए ये मजबूरी है! पर न तोड़ना नाता ख्वाबों से,बनाने को हकीकत इन्हें तुम करना अपनी कोशिश पूरी! खा धक्के हार के न होना उदास, बनने को धारा पर्वतों से टकराना भी होता है ज़रूरी! हो चाहे कितने ही भयावह गझिन अरण्य,हो उत्तेजित न हुआ किसी का सफ़र मुकम्मल, बनने को मूरत पूज्यनीय खाकर असंख्य चोट,पाषाण सा अविचल रहना है बहुत जरूरी! बेशक ही उलझा हो मांझा ख्वाबों का ,पर न तोड़ना जनाब कभी भी तुम उम्मीद डोरी! थामे रखना सदा पतंग आत्मविश्वास की ,करना कोशिश चींटी सी निरंतर थोड़ी थोड़ी! सारा दिन जलाता है यहां स्वयं को ये दिनकर, तब जाकर होती है कहीं ये शाम सिंदूरी! यूँ भागने से नहीं मिलती मंजिलें यहाँ ,एक एक कदम संभालकर रखना होता है ज़रूरी! रहते जो सदा उत्तेजित ,चूक जाता है अक्सर लक्ष्य मंज़िल से भी उनकी रहती है दूरी! पकड़ने को मीन लक्ष्य की , धारण कर धैर्य की माला है होना बगुले सा एकाग्र जरूरी! बूँद बूँद से ही भरती है गागर, पर अगर फट जाए जो बादल सदा ही बहती सृष्टि पूरी! वक्त से पहले न होता हासिल कुछ,थाम दामन धैर्य का दृढ़ता से कर्म करना है ज़रूरी! हो परिस्थितियाँ चाहे कितनी विकट,निराशा के चाहे हो बादल कितने ही घनघोर घने, हो जब तिमिर हताशा का भर हृदय में अथाह साहस निरंतर कोशिश करना है ज़रूरी! हो चाहे कदम कदम भयावह गड्ढे विपदाओ के,पर याद रहे विजय का मंत्र मात्र है सबूरी! ना मानी कभी हार जिसने हुए साकार स्वप्न उसके, बना है वही यहाँ सफ़लता की धुरी! आसान नहीं चढ़ना शिखर सफ़लता का सहज सहज पग धरना होता है बहुत ज़रूरी! सिर्फ भागने से न मिलती यहाँ मंजिले"अजनबी",हृदय में धैर्य रखना भी है बहुत ज़रूरी! ©_जागृति@**शर्मा..."अजनबी" #अजनबी_जागृति #उद्वेलित_हृदय #Poetry #nojohindi #my
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"🔱नमामी शिव🔱" अजं अनादिअनंत अनघ विश्वरूपे अखंडम् शिव प्रकष्टे प्रगल्भम् निर्मूले, परेशं उग्र प्रचंडम् शिव निराकार निर्विकार ,निर्गुण ज्ञान स्वरूपम् शिव निर्विकल्पे निरीहम् निर्वाणमूले दर्प ग्रासम् शिव मौली शोभते सुरम्य गंगे,कण्ठे भुजंगमालम् शिव कलित बालेन्दु साजे ललाट,मृगाधीशे मुंडमालम् शिव चर्माम्बर कपाली कपर्दी, शूलपाणी कालं कृपालम् शिव प्रसन्नानने चिदानंदरूपे , भ्रूशुभ्रनेत्रे विशालम् शिव तुषारद्रि दुर्भेद्य दुरीह, सहस्त्र कोटि भानु प्रकाशम् शिव कलातीत गोतीत ,अपवर्गी मृड़ चिदाकाशम् शिव शर्व भव अहिर्बुध्न्य ,भस्मोद्धूलित पंच भूताधि वासम् शिव दिगंबराय नीललोहित ,खटवांगी विभुम् व्यापकम् शिव हिरण्यरेता दुर्धुर्ष गिरिधन्वा, कामारी विरूपाक्षम् शिव नादसृजक पाशविमोचने दक्षाध्वरहर चारुविक्रम् शिव विष्णुवल्लभ शिपिविष्ट ,ललाटाक्ष परशुहस्तम् शिव पंचवक्त्र वृषभारूढ़ ,कृत्तिवासा मृत्युंजय त्रिपुरांतकम् शिव अपानिधि अंतक अतीन्द्रिय, अकंप अघोर अंडधर शिव अभीरु अभदन अमोघ, अरिदम अर्हत अर्धेश्वर शिव उरगभूषण ऊर्ध्वरेता, एकलिंगै कपालपाणि कलाधर शिव कालभैरव क्रतुध्वसी, त्र्यंबक ज्योतिर्मय गरलधर शिव आत्रेय आशुतोष इकंग, उन्मत्तवेष पिंगलाक्ष नटेश्वर शिव शारंगपाणि वृषकेतु, लोहिताश्व महार्णव महेश्वर शिव सुरर्षभ सृत्वा पुरंदर, वैद्यनाथ विधेश प्रथमेश्वर शिव उमाकांत महाकांत ,गोनर्द यजंत नटराज नंदीश्वर शिव बैजनाथ पशुपतिनाथ काशीपति कैलाश विराजित योगेश्वर शिव गणनाथ गणेश्वर गिरिजापति, गिरीशम नीलकंठे पूर्णेश्वर शिव सिद्धनाथ प्रलयंकर, मोहापहारी मन्मथारी सर्वेश्वर शिव भोलेनाथ कल्पांतकारी, संतापहारी पदारविंदम महेश्वर शिव भवानीपतये अज्ञेय अनीश्वर, भजामि करालं महाकालम शिव जगतपिता परब्रह्म , नमामि भक्तवत्सले सच्चिदानंद दयालम शिव अचलनाथ, अमृतेश्वर ,भजामी करुणानिधि कृपालाम शिव जगतपिता परब्रह्म , नमामि भक्तवत्सले सच्चिदानंद दयालम शिव जागृति@**शर्मा.."अजनबी"✍️ ©jagriti sharma` #नमामि_शिव #अजनबी_जागृति
_जागृति@**शर्मा..."अजनबी"
"स्त्री जन्म नहीं लेती" ***************** एक गर्भ से जन्मे दोनों ही,फिर क्यों समाज में दोनों के प्रति भाव भिन्न-भिन्न दर्शाया जाता है? कर भेद दोनों में क्यों एक के अस्तित्व को तुच्छ, दूजे के व्यक्तित्व को क्यों श्रेष्ठ जताया जाता है? हाँ माना भिन्न है व्यक्तिव दोनों का,पर व्यक्तित्व की भिन्नता को अस्तित्व की असमानता क्यों बनाया जाता है? भिन्न भिन्न परिवेश दे,क्यों दोनों के हृदय में एकदूजे के प्रति द्वेष हीनता को निरंतर बढ़ाया जाता है? समाज में सदा ही विसरा कर भूल पुरूषों की, क्यों उन्हें सदा ही धर्मराज बनाया जाता है? खड़ा कर प्रश्नों के कटघरे में,क्यों स्त्री को विनाशकारी महाभारत का कारण बताया जाता है गर्भवती वनिता को भेजकर वनवास भी, क्यों समाज में राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बताया जाता है? क्यों ली जाती है अग्निपरीक्षा वैदेही की, क्यों भरी सभा में उनके चरित्र पर प्रश्न उठाया जाता है? अनदेखा कर स्त्री की क्षमताओं को,क्यों ढोल, गँवार,शूद्र,पशु की तुला में मापा जाता है? जब दोनों ही है हिस्सा समाज का,फिर क्यों सिर्फ स्त्री को ही सीमाओं के चादर से ढाँका जाता है? पुरुषत्व का वर्चस्व दिखा ,क्यों समाज में स्त्री के अस्तित्व को सदा ही झुठलाया जाता है? हाँ माना है वो स्त्री, पर क्यों हमेशा उसे बात बात पर तुम स्त्री हो, याद दिलाया जाता है? क्यों भूल जाते हो वह भी है एक अबोध बालक ही,जिसे जन्म से ही स्त्रीत्व समझाया जाता है! जन्म से होती है वह भी स्वच्छंद ही,सामाजिक बंधनों में बंँधकर रहना जिसे सिखाया जाता है! छुपाकर निज वेदना औरों हेतु निज इच्छाएँ और ख्वाबों का त्याग जिसे प्रेम बताया जाता है! मौन रहकर सहने के दे संस्कार,स्वयं को भूल त्याग प्रेम सेवा है धर्म स्त्री का उसे पढ़ाया जाता है! आँखों में रहे हया हृदय में प्रेम, त्याग और मर्यादा का ये पाठ उसे बचपन से ही कंठस्थ कराया जाता है! मान मर्यादा की पोटली रख काँधों पर उसके , उसे जिम्मेदार और सहनशील बनाया जाता है! अंगारों पर चलाकर कदम कदम पर ले परीक्षा उसकी,वह स्त्री है हर बात में समझाया जाता है! स्त्री जन्म नहीं लेती है जनाब, जन्म होता है एक अबोध बालिका का जन्मोपरांत जिसे स्त्री बनाया जाता है! सरल सहज सौम्य प्रेममयी अन्नपूर्णा लक्ष्मी सरस्वती स्वरूपा स्त्री,सृजन औ सृष्टि का जिसे आधार बताया जाता है! न होती है कभी विनाश का कारण स्त्री ,कर हरण सम्मान और स्वाभिमान उसका उसे दुर्गा काली बनाया जाता है! भूल निज अस्तित्व को निखारती व्यक्तित्व समाज का,प्रेम से जिसके ईंटो के मकान को घर बनाया जाता है! स्त्री जन्म नहीं लेती है जनाब, जन्म होता है एक अबोध बालिका का जन्मोपरांत जिसे स्त्री बनाया जाता है! _जागृति@**शर्मा.."अजनबी"✍️ ©jagriti sharma` #अजनबी_जागृति #उद्वेलित_हृदय #स्त्री_जन्म_नहीं_लेती #Poetry #Hindi #hindi_poetry
_जागृति@**शर्मा..."अजनबी"
क्यों हर पल बस ये सोचना, कि जमाना क्या कहेगा! ये ज़िंदगी है जनाब,यहाँ हँसना रोना तो लगा रहेगा! जागृति@**शर्मा.."अजनबी"✍ ©jagriti sharma` #अजनबी_जागृति #जमाना#क्या#कहेगा #Music
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भैया गया अब जमाना, संग हंसने और बतियाने का बैठ चौपालों पर, यारों संग घंटों समय बिताने का अब तो हर जगह हर शख़्स मुझे, बस व्यस्त ही नज़र आता है प्रत्येक के हाथ में है एक डिब्बा, जिस पर वो सारी ख़बरें पाता है Fb whtsapp पर बोलते है हाय, एक्सप्रेशन और इमोशंस सारे यहां इमोजी समझाते है कैसे हो पूछकर कहते है अब बाय, और हाल अपना लगा स्टेटस पर दिखाते है वैसे तो ये चलाना, बच्चों और युवाओं को बहुत आसान है बस ये समझो, सुविधाओं से परिपूर्ण मनोरंजित मकान है यूं तो जाने कितने ऐप है, पर tiktok और pub-g है अभी प्रचलन में हर मुश्किल हर प्रश्न का है जवाब मिलें यहां, फसे हो कितनी ही बड़ी उलझन में भैया इसके गुणों के क्या कहने, अनगिनत अपरंपार है मीलों की दूरी करे तय सेकंड में, खबरों का ये संसार है शक्ल कैसी भी हो, पर फोटो खींचता ये रूपवान बिन पैसे होता मेकअप और मिलते गहने, beautiplus की ऐसी है इसमें दुकान कुछ लड़कियां यहां व्यस्त रहने को, tiktok पर मुंह बनाती है और जो कुछ बची रह जाती हम जैसी, वो वीडियो देखकर समय बिताती है लड़कों के तो क्या कहने भैया,भूल जाते घरबार ऐसे pub-g चलाते है खेल pubg बताते है खुद को व्यस्त ऐसे, जैसे अंबानी जी का सारा बिज़नेस तो यही चलाते है और जो tiktok और pub-g नहीं चलाते है वो देख मूवी और यूट्यूब अपना डाटा उड़ाते है हमने भी १५००० का ये चौकोर डिब्बा है खरीदा रंग है काला सा कुछ दिखने में है बिल्कुल सपाट सीधा भैया लत हमें भी लगी है अब तो इसके संग की यूं समझलो बन गया ये जीवन और जीवनशैली का अनिवार्य अंग भी _ जागृति@***शर्मा..."अजनबी" ©jagriti sharma` #अजनबी_जागृति #शाश्वत जागृति "मैं मोबाइल हूं"
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प्रश्न अक्सर रहता है, ये मेरे मस्तिष्क में कब और कैसे आया ,ये धर्म अस्तित्व में हैं क्या और किन श्ब्दों में है बयां, धर्म की परिभाषा उर्दू हैं या हिंदी या है पंजाबी, कौन सी है धर्म की भाषा भिन्न है मत यहां सबके, अभिन्न ये ख्याल है धर्म के नाम पर, जेहन में क्यूं इतने सवाल है कोई पूजे शिव को,कोई करे अल्लाह से दिन शुरू पुकारे कोई यीशु को,तो कहे कोई करे मैहर वाहेगुरु कोई पढ़ें बाइबिल तो,पढ़े कोई रामायण महाभारत पड़ता कोई ग्रंथ साहिब,तो पड़े कोई कुरान की आयत क्यूं करते है सभी यहां,धर्म के नाम पर विरोध धर्म का क्या नहीं हैं कोई अर्थ,इन ग्रन्थों में मानवता के मर्म का क्या लिखा है सभी में,कि भिन्न भिन्न है धर्म का आधार फिर क्यूं है धर्म के नाम पर,कुंठित अधिकांशतः विचार क्या कभी कहा है शिव ने,मेरे लिए तुम मस्जिद तोड़ो क्या कहा है कभी अल्लाह ने,मेरे लिए तुम सर एक दूजे का फोड़ों क्या कभी प्रकृति ने किया,साथ तुम्हारे भेदभाव क्या कभी जीवन और मृत्यु ने,बदले अपने भाव ओम् में भी हैं संगीत वही है,जो अल्लाह की अजान में उठाते हैं सभी हाथ ही,उस अनादि अनन्त के सम्मान में एक सा है संगीत सबका,एक स्वर एक ही हैं धुन कहता है धर्म क्या तुझसे,आवाज़ तू हृदय की सुन फिर क्यूं आपस में धर्म के नाम पर,लोगों में इतना मतभेद हैं क्यूं करते हो कर्म वो जिस पर,अब धर्म को भी हो रहा खेद हैं उस ईश्वर ने तो हम सबको बनाया है, एक जैसा प्राणी क्यूं बना धर्म अपना,बनें हम उस ईश्वर से भी अधिक ज्ञानी ना रखो द्वेष बैर आपस में,ना विचारों में रखो तुम द्वंद क्यूं ठगते हो स्वयं को,कर्म से करो परिभाषित धर्म को स्वछंद धर्म की दो नूतन परिभाषा,बना मानवता को पर्याय साथ चलकर एक दूजे के,लिखो धर्म का नया अध्ध्याय रखो प्रवृति सद्भाव की,जो ईश्वर को भाती भूल निज स्वार्थ को,बनों एक दूजे के साथी सभी धर्मों में हैं निहित, मानवता का सार रहे संग एक मत,और करें एक दूजे से प्यार _जागृति@***शर्मा..."अजनबी" ©jagriti sharma` #अजनबी_जागृति #धर्म #j@griti_sharma
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