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Best “परिश्रम” Shayari, Status, Quotes, Stories

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Atul Sharma

*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“19/1/2022”*📚 🖋️ *“बुधवार”* 🌟 *#“माता-पिता”* *#“परिवार”*

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*✍🏻“सुविचार"*📝 
📘*“19/1/2022”*📚
🖋️*“बुधवार”* 🌟

कभी सोचा है उन “माता-पिता” के “विषय” के बारे में जिन्होंने उस “परिवार का निर्माण” किया,जिन्होंने अपनी “संतान” को 
“सहेज” कर रखा,
उस “संतान को पाला-पोसा”,
“बड़ा किया”,कभी सोचा है उनके “विषय” में,“जीवन” में जब भी ऐसी कोई 
“भावना” या “सोच” आपके “मन” में आए,
जिसके कारण आप अपने “परिवार” से नाता तक तोड़ने चले जाओ,आप स्वयं को वही रोक दीजिए,स्वयं को स्मरण करवाइए,
अपने “माता-पिता” के विषय में,आपका ये “आवेश” में आना,आपका यह “स्वार्थ”,
यह सब उनके समक्ष बहुत ही “छोटा” है,
और ध्यान रखना “जीवन” में
 “परिवार से बढ़कर” कुछ नहीं होता है,
*अतुल शर्मा*✍🏻

©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 
📘 *“19/1/2022”*📚
🖋️ *“बुधवार”* 🌟

*#“माता-पिता”*

*#“परिवार”*

Atul Sharma

*✍🏻“सुविचार"*📚 🌫️ *“9/1/2022”*🌫️ 🌧️ *“रविवार”*☔ *#“वर्षा की ऋतु”🌧️⛈️* *#“मन”*

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*✍🏻“सुविचार"*📚
🌫️*“9/1/2022”*
🌧️*“रविवार”*☔

“वर्षा की ऋतु”🌧️⛈️...
जब भी आती है “मन” को 
“प्रसन्नता” से भर देती है,
कभी आपने सोचा है 
कि जो ये “वर्षा” 
जो हमारे “मन” को
“प्रसन्नता” से भर देती है 
कि ये स्वयं कितने “परिश्रम के पश्चात” 
हमारे पास आती है,
“नदी” हो,“सरोवर” हो या “समुद्र” हो 
इसे “सूर्य का ताप” सहना पड़ता है,
“वाष्प” बनकर उड़ना पड़ता है,“आकाश” में जाकर कठोर 
“शीत का सामना” करना पड़ता है,
उस “ठंड” को सहना पड़ता है,
तत्पश्चात ये “वर्षा” बनकर हम पर “बरसती” है,
किसी की “प्यास” बुझाती है तो किसी को “आस” दे जाती है, इसी प्रकार यदि हमें भी “जीवन” में कुछ “बड़ा कार्य” करना है,तो हमें “कठोर” और “निरंतर परिश्रम” करने होंगे,
और जो “व्यक्ति” “परिश्रम” करने के पश्चात किसी “श्रेष्ठ स्थान” पर पहुंचने के पश्चात भी “विनम्र” रहे,
वहीं व्यक्ति “अमर” हो जाता है,
वहीं वो “व्यक्ति” होता है जिससे “संसार” प्रेम करता है,
इसलिए सदैव इस “मन” में “विनम्रता” बनाए रखिए...
 *अतुल शर्मा*✍🏻

©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📚 
🌫️ *“9/1/2022”*🌫️
🌧️ *“रविवार”*☔

*#“वर्षा की ऋतु”🌧️⛈️*

*#“मन”*

Atul Sharma

*📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“13/11/2021”*📝 ✨ *“शनिवार”*🌟 *#“पांडव”* *#“खांडवप्रस्थ”*

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📚*“सुविचार"*🖋️ 
📘*“13/11/2021”*
✨*“शनिवार”*🌟

“महाभारत” के समय में “पांडवों” ने “परिश्रम” किया तो “खांडवप्रस्थ” को भी “इंद्रप्रस्थ” बना दिया,लेकिन “जुआ” खेला तो एक ही क्षण में “इन्द्रप्रस्थ” को भी ग्वा दिया,“परिश्रम” किया तो “रंक” से “राजा” बने,“जुआ” खेला तो एक क्षण में “राजा” से “रंक” बने,
इससे “सीख” यही है कि “जुआ” कभी कभी आपका “मित्र” हो सकता है कभी कभी ये आपका “साथ” दे सकता है,
किंतु “प्रयास” और “परिश्रम” जब एक साथ आते है तो ये सदैव आपके साथ ही रहते है,
“प्रयास” किजिए “परिश्रम” भी किजिए तभी ये मन “प्रसन्न” और “आनंदित” भी अवश्य रहेगा,
*“अतुल शर्मा”🖋️📝*

©Atul Sharma *📚 *“सुविचार"*🖋️ 
📘 *“13/11/2021”*📝
✨ *“शनिवार”*🌟

*#“पांडव”* 

*#“खांडवप्रस्थ”*

Atul Sharma

*📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“28/10/2021”*📝 ✨ *“गुरुवार”*🌟 #“परिश्रम” #“ज्ञान”

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*📚 *“सुविचार"*🖋️ 
📘 *“28/10/2021”*📝
✨ *“गुरुवार”*🌟

महाभारत के समय में “पांडव” बड़े “कुशल” थे,
बड़े “शक्तिशाली” थे,
युधिष्ठिर ने अपने “परिश्रम” से कुछ इस प्रकार “ज्ञान” प्राप्त किया कि “संसार”
 उसे “धर्मराज युधिष्ठिर” कहने लगे,
देखा जाए तो पांडवों के पास सब कुछ है 
किंतु जब बात आए और “धन” पाने की,
तो “युधिष्ठिर” जो “पांडवों” में “श्रेष्ठ” थे,
शेष सभी पांडवों के साथ द्यूत(जुए) का ये खेल बैठे,
न केवल इसमें केवल “धन”,“विवेक” और “धर्म” हार गए,
बल्कि इसमें अपनी
 “ग्रहलक्ष्मी द्रौपदी” को भी हार गए,
कारण क्या है ?
“भूल” गए एक सरल सी बात कि इस संसार में “मान” और “सफलता”... “परिश्रम” और “कर्म” से पाए जाते है,
“द्यूत(जुए)” का ये खेल ये तो “भाग्य” पर ही चलता है,
अब संसार में दो मार्ग है संसार में एक “मार्ग” वो जहां “कर्म” और “परिश्रम” से आप अपना भाग्य स्वयं रचते है एक मार्ग वो जहां ये “भाग्य” एक क्षण में आपको “बना” सकता है या फिर आपको “मिटा” भी सकता है, 
आप कौनसा “मार्ग” चुनेंगे,
चयन आपका है,
*“अतुल शर्मा”🖋️📝*

©Atul Sharma *📚 *“सुविचार"*🖋️ 
📘 *“28/10/2021”*📝
✨ *“गुरुवार”*🌟

#“परिश्रम” 

#“ज्ञान”

Atul Sharma

*✍🏻“सुविचार"*📝 🌫️*“31/7/2021”*🌫️ 🌧️ *“शनिवार”*🌧️ #“तितली” #“खोल”

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*✍🏻“सुविचार"*📝 
🌫️*“31/7/2021”*🌫️
🌧️*“शनिवार”*🌧️

क्या “तितली” को आपने कभी 
अपने “खोल” से बाहर आते हुए देखा है ? 
“तितली” क्या करती है ?
जब “उड़ना” चाहती है तो वो अपने “खोल” को स्वयं तोड़ना चाहती है,उसके “पंख” निकल आते है और फिर वो “उड़ान” भर लेती है 
और खुले आसमान में उड़ जाती है
यहीं “सीख” है हमारे लिए भी है
यदि हम “उड़ान भरना” चाहते है तो हमें स्वयं “भीतर” से अपने “खोल” को तोड़ना होगा,
अर्थात स्वयं को “बंधनों से मुक्त” करना होगा,“सुरक्षा” के लिए “बंधनों” में बंध जाना ये सबसे अधिक “असुरक्षित कार्य” है,“जीवन” में “सुरक्षा का भय” उचित है किन्तु यदि “अतिभय” होगा तो ये आपको इतना “दुर्बल” बना देगा कि आप स्वयं अपने ही “सुरक्षा चक्र” को तोड़ नहीं सकेंगे,यदि आपको “नवनिर्माण” करना है तो अपने “सुरक्षाचक्र को तोड़कर” बाहर आना होगा,“साहस” के साथ “परिश्रम” करना होगा,यदि आप ऐसा करते है तो आपकी “उड़ान” को कोई नहीं रोक सकता...
 *“अतुल शर्मा 🖋️📝* *✍🏻“सुविचार"*📝 
🌫️*“31/7/2021”*🌫️
🌧️ *“शनिवार”*🌧️

#“तितली” 

#“खोल”

Atul Sharma

*✍🏻“सुविचार"*📝 🌫️*“30/7/2021”*🌫️ 🌧️ *“शुक्रवार”*🌧️ #“वर्षा की ऋतु”🌧️⛈️... #“मन”

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*✍🏻“सुविचार"*📝 
🌩️*“30/7/2021”*🌩️
🌧️*“शुक्रवार”*🌧️

“वर्षा की ऋतु”🌧️⛈️...
जब भी आती है “मन” को “प्रसन्नता” से भर देती है,
कभी आपने सोचा है 
कि जो ये “वर्षा” जो हमारे 
“मन” को “प्रसन्नता” से भर देती है 
कि ये स्वयं कितने “परिश्रम के पश्चात” 
हमारे पास आती है,
“नदी” हो,“सरोवर” हो या “समुद्र” हो 
इसे “सूर्य का ताप” सहना पड़ता है,“वाष्प” बनकर उड़ना पड़ता है,“आकाश” में जाकर कठोर “शीत का सामना” करना पड़ता है,उस “ठंड” को सहना पड़ता है,तत्पश्चात ये “वर्षा” बनकर हम पर “बरसती” है,
किसी की “प्यास” बुझाती है तो किसी को “आस” दे जाती है, इसी प्रकार यदि हमें भी 
“जीवन” में कुछ “बड़ा कार्य” करना है,
तो हमें “कठोर” और “निरंतर परिश्रम” करने होंगे,
और जो “व्यक्ति” “परिश्रम” करने के पश्चात किसी “श्रेष्ठ स्थान” पर पहुंचने के पश्चात भी “विनम्र” रहे,
वहीं व्यक्ति “अमर” हो जाता है,
वहीं वो “व्यक्ति” होता है जिससे “संसार” प्रेम करता है,
इसलिए सदैव इस “मन” में “विनम्रता” बनाए रखिए...
 *“अतुल शर्मा 🖋️📝* *✍🏻“सुविचार"*📝 
🌫️*“30/7/2021”*🌫️
🌧️ *“शुक्रवार”*🌧️

#“वर्षा की ऋतु”🌧️⛈️...

#“मन”

Atul Sharma

*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“13/7/2021”*📚 ✨ *“मंगलवार”*🌟 #“संसार” #“सूर्य”

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*✍🏻“सुविचार"*📝 
📘*“13/7/2021”*📚
✨*“मंगलवार”*🌟

इस “संसार” में ऐसा कुछ नहीं जो आपने किया और आपको उसका “मूल्य चुकाना” ना पड़े,
“हर कार्य” के लिए आपको “मूल्य चुकाना” पड़ता है “प्रकृति” भी हमें यही सिखाती है,
“आकाश” में देखिए “सूर्य” प्रतिदिन हमें “प्रकाश” प्रदान करता है जिसे “सूर्यनारायण” कहा जाता है ये सूर्य “मूल्य” क्या चुकाता है बल्कि “स्वयं जलता” है,“धरती माता” ये क्या “मूल्य” चुकाती है “प्रहार” सहती है,अब इस “धरती पर प्रहार” करते है “गड्ढा खोदते” है,
उसमें हम “बीज” बोते है तब जाके हमें “अन्न” प्राप्त होता है,
इसलिए यदि आपको “जीवन” में “सफल” होना है,
“सम्मान” पाना है या “श्रेष्ठ” होना है 
तो आपको “मूल्य चुकाना” ही पड़ेगा,
यदि आपको “सफलता” पानी है तो आपको “दिन-रात” आपको “त्यागने” होंगे जहां समस्त संसार “सुख(संतोष)” अनुभव कर रहा है और आप केवल “परिश्रम” कर रहे है
तभी जाकर “यश” मिलेगा,
“जीवन” में केवल “धन” ही मूल्य नहीं होता,किंतु ये मूल्य जिसकी मैं बात कर रहा हूं यदि ये आप चुकाते है,तो निश्चित रूप से यही “मूल्य” आपको और भी 
अधिक “मूल्यवान” बना देगा...
*“अतुल शर्मा 🖋️📝* *✍🏻“सुविचार"*📝 
📘*“13/7/2021”*📚
✨ *“मंगलवार”*🌟

#“संसार” 

#“सूर्य”

Atul Sharma

*✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“29/6/2021”*🖋️ ✨ *“मंगलवार”*🌟 #“ईर्ष्या” #“शत्रु”

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*✍🏻“सुविचार"*📝 
🖊️ *“29/6/2021”*🖋️ 
✨ *“मंगलवार”*🌟

“ईर्ष्या” हमारे “मन” में “वास” करने वाला एक और “शत्रु”,
यह “शत्रु” कभी-कभी हमारे लिए 
“लाभदायक” भी हो सकता है,
किंतु यदि हमने “ध्यान” नहीं दिया 
तो यह उतना “घातक” भी हो सकता है,
यदि आपका कोई “प्रतिद्वंदी” है जो आगे बढ़ रहा है उसे देख कर आपको “ईर्ष्या” हो रही है,और “ईर्ष्यावश” आप “निरंतर प्रयास” करते है,“परिश्रम” करते है,
आगे बढ़ने के लिए इससे आपका “विकास” ही होगा,
किंतु यदि आप अपने “विरोधी” का बुरा करने के लिए “अग्रसर” हो गए तो यह “ईर्ष्या” 
आपका भी ही “नुकसान” अवश्य करेगी,
एक कहावत भी तो है “ये तो “पशु प्रवृत्ति” है 
कि आप ही आप चरे”,
वहीं “मनुष्य” है जो कि दूसरे मनुष्य के लिए मरे”,
यह “ईर्ष्या” जो आपको “विकास” की ओर 
ले जाती है तो यह “उचित” है,
और यदि यह आपको किसी का “बुरा” करने के लिए या “अंत” करने के लिए अग्रसर करती है,
तो इससे दूर रहना ही आवश्यक है,
आप क्या चाहेंगे स्वयं का विकास या दूसरे का बुरा...
*“अतुल शर्मा”🖋️📝*

©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 
🖊️ *“29/6/2021”*🖋️ 
✨ *“मंगलवार”*🌟

#“ईर्ष्या” 

#“शत्रु”


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