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Rekha Gakhar
कैसे कहूं कितने ज़रूरी हो तुम बस इतना जान लो मेरी अधूरी कहानी के पूरे कथानक हो तुम!! ©Rekha Gakhar #क्रमशः #RekhaGakhar #nojoto #nojotohindi #rekhagakharquotes
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read moreDivyanshu Pathak
चुनाव की सुगबुगाहट आते ही राजनीतिज्ञों के हुजूम उमड़ पड़ते हैं।अलाव पर पिछवाड़ा सेकते हुए जब वो अपनी बात कहते हैं तो लगता है कि पिछले 4 सालों से सबसे ज़्यादा लट्ठ इन्होंने ही झेले हैं।जब कोई किसी की नहीं सुनता तो एक दूसरे को गरियाते हुए वे कई कुनवों में बंट जाते हैं उनमें से बहुतायत में भक्त और चमचे होते हैं।भण्डारे की जुगाड़ में रहने वाले दूर से उनकी उहापोह देखते हैं।जब कोई बात समझ में नहीं आती तो वहाँ कुछ 'भाभी जी घर पे हैं' की भाभी बनके बोल उठते हैं- "सही पकड़े हैं।" भले उनके पास पकड़ने के लिए कुछ हो न हो। रूठा हुआ भक्त या आप मुझे भड़का हुआ चमचा न समझें मैं आप की सरकार हूँ😁😁😁🤭 😂 नही नही अभी तो आप की ही सरकार हे बिजनेस मॉडल स्कूल और फ़्री की बिजली के साथ मुफ़्त पानी हो तो क़माल हो जाए महिला तो बस में फ्री चल सकतीं हैं पुरुष भी चले तो निहाल हो जाएं। #क्रमशः -----
रूठा हुआ भक्त या आप मुझे भड़का हुआ चमचा न समझें मैं आप की सरकार हूँ😁😁😁🤭 😂 नही नही अभी तो आप की ही सरकार हे बिजनेस मॉडल स्कूल और फ़्री की बिजली के साथ मुफ़्त पानी हो तो क़माल हो जाए महिला तो बस में फ्री चल सकतीं हैं पुरुष भी चले तो निहाल हो जाएं। #क्रमशः -----
read moreDivyanshu Pathak
गहराई से समझने की बात यह है कि जिस मन की संवेदना के कारण हमारी योनि मानव योनि कहलाती है, नर से नारायण होने की क्षमता रखती है, उसी मन की शिक्षा के हथियार द्वारा हत्या कर दी जाती है। न पुरुष में पौरुष रहता है न स्त्री में स्त्रैण भाव। दोनों जड़वत्। #क्रमशः-03 शुभसंध्या जी ....... : सारा खेल शरीर के सुख का। शिक्षा भी यही सिखाती है। देरी, समझ, अहंकार आदि घातक तत्त्वों की जननी भी यही नकली-भ्रान्त करने-वाली शिक्षा ही है। ईश्वर मनुष्य रूप में पैदा करता है। शिक्षा मन और आत्मा को छीनकर पशु बना देती है। शरीर का भोग के अलावा उपयोग क्या हो सकता है। तलाक-हत्या आदि से समस्या का समाधान कहां। पुरुष अग्नि है, स्त्री सौया है-ऋत है। अग्नि बिना सोम के मन्द पड़ती जाती है। सोम ऋत है, निराकार है। ठहरने के लिए ठोस आधार चाहिए। दोनों एक-दूसरे के पूरक बनकर ही सुख
#क्रमशः-03 शुभसंध्या जी ....... : सारा खेल शरीर के सुख का। शिक्षा भी यही सिखाती है। देरी, समझ, अहंकार आदि घातक तत्त्वों की जननी भी यही नकली-भ्रान्त करने-वाली शिक्षा ही है। ईश्वर मनुष्य रूप में पैदा करता है। शिक्षा मन और आत्मा को छीनकर पशु बना देती है। शरीर का भोग के अलावा उपयोग क्या हो सकता है। तलाक-हत्या आदि से समस्या का समाधान कहां। पुरुष अग्नि है, स्त्री सौया है-ऋत है। अग्नि बिना सोम के मन्द पड़ती जाती है। सोम ऋत है, निराकार है। ठहरने के लिए ठोस आधार चाहिए। दोनों एक-दूसरे के पूरक बनकर ही सुख
read moreDivyanshu Pathak
😊क्रमशः--02 देरी से विवाह करने के कारण लडक़ी व्यावहारिक रूप से अधिक परिपक्व हो जाती है। स्वभाव में समझौता करने की संभावना घटती जाती है। अत: लडक़े की जीवन शैली को पूर्णत: स्वीकार कर पाना भी संभव नहीं होता। यदि दोनों अपनी-अपनी स्वतंत्र पहचान पर अड़ जाएं तो अलग होना ही पड़ेगा। 🌷#शुभसंध्या 🌷😊 पेश है कल का शेष----- : यह स्थिति असहनीय बनती जाती है। इसी बीच सन्तान होने का मुद्दा भी बड़ा बनता जाता है। दोनों के बीच दूरी इस मुद्दे को दबाने में मदद करती है। इसके दो परिणाम सामने आते हैं। अत्यधिक देरी के कारण सन्तान हो ही नहीं पाती। इससे चिकित्सा की आवश्यकता पैदा हो जाती है। दूसरा, पत्नी बच्चा पैदा ही करना नहीं चाहती। इसके लिए गर्भ निरोधक गोलियों का सहारा स्त्री को स्तन और गर्भाशय के कैंसर की ओर धकेल देता है। : वही वह काल होता है जब पति-पत्नी स्वतंत्र नौकरी में व्यस्त रहते हैं।
🌷शुभसंध्या 🌷😊 पेश है कल का शेष----- : यह स्थिति असहनीय बनती जाती है। इसी बीच सन्तान होने का मुद्दा भी बड़ा बनता जाता है। दोनों के बीच दूरी इस मुद्दे को दबाने में मदद करती है। इसके दो परिणाम सामने आते हैं। अत्यधिक देरी के कारण सन्तान हो ही नहीं पाती। इससे चिकित्सा की आवश्यकता पैदा हो जाती है। दूसरा, पत्नी बच्चा पैदा ही करना नहीं चाहती। इसके लिए गर्भ निरोधक गोलियों का सहारा स्त्री को स्तन और गर्भाशय के कैंसर की ओर धकेल देता है। : वही वह काल होता है जब पति-पत्नी स्वतंत्र नौकरी में व्यस्त रहते हैं।
read moreRajendrakumar Jagannath Bhosale
धन्य धन्य शिवाजी, लावूनी बाजी,मुरारबाजी संगे तानाजी, येसाजी, नेताजी स्वराज्याचा जाणता राजाll वेरूळच्या भोसले घराण्याचा, मानी सरदाराचा सुपुत्र शहाजींचा ,नातू मालोजींचा धनी शोभे मावळ्यांचा ll आई जिजाऊ मुजरा तुजला तुझिया चरणाला तुझिया चरणाला तुझ्याच पोटी शिवराय आले जन्मालाll 19 फेब्रुवारी 1630 सालात, पुणे जिल्ह्यात ,शिवनेरी किल्यात,सह्याद्रीच्या खोऱ्यात,जिजाऊंच्या उदरात शिवराय जन्मे महाराष्ट्रात ll.....क्रमशः. ©rajendrakumar bhosale #पोवाडा#शिवाजीराजे#क्रमशः
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