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Best गोडसे Shayari, Status, Quotes, Stories

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अदनासा-

कलम की दुनिया

फाँसी चढा जब एक भगत 
हजार भगत उठ खड़े हुए
गोली लगा जब गाँधी को
तो क्यों नहीं फिर कोई महात्मा हुए



गोडसे ने मारा
 हजार गोडसे समर्थक खड़े हुए
मारे गए महात्मा
फिर क्यों नहीं कोई महात्मा हुए

©कलम की दुनिया #गोडसे

Vishal

जब-जब गाँधी की हत्या को तुम जायज़ ठहराओगे,
जब-जब निहत्थे बुजुर्ग पर तुम गोली बरसाओगे,
जब-जब बूढ़े 'हरि प्रेमी' को तुम बेदर्दी से मरवाओगे,
जब-जब हिन्दुत्व की हत्या कर तुम हिन्दू बनजाओगे,
जब-जब हत्यारे गोडसे का मंदिर तुम बनवाओगे,
मैं बीच सड़क पर खड़ा अकेला जोर-जोर चिल्लाऊंगा। #गाँधी #बुजुर्ग #हरिप्रेमी 
#गोडसे #हत्यारा 
#yqbaba #yqdidi

Tarun Tarakant

#विचारधारा #गोडसे वादी #गाँधीजयंती #mask Dhyaan mira Anshu writer Sakshi Dhingra POOJA UDESHI दुर्लभ "दर्शन"

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गाँधी भी इनके, गोडसे भी इनके!
दोहरे चरित्र है जिनके..!!

©Tarun Tarakant #विचारधारा 
#गोडसे वादी
#गाँधीजयंती 

#mask  Dhyaan mira Anshu writer  Sakshi Dhingra  POOJA UDESHI दुर्लभ "दर्शन"

Farukh Maniyar

#गोडसे ने गांधी का क़त्ल सर्फ़ इसी लिए किया था क्यूँकि उसकी नज़रों में गांधी मुसलमान-परस्त थे।आज गोडसे कि विचारधारा के वंशज भी जब भारत से बाहर जाते हैं तो गांधी के क़सीदे पढ़ने पर मजबूर हो जाते हैं।

लेकिन गोडसे हमेशा के लिए कायरता का प्रतीक रहेगा।

गांधी हमेशा ज़िंदाबाद रहेंगे, गोडसे हमेशा मुर्दाबाद रहेगा।

©Farukh Maniyar #mahatma_gandhi

अखिलेश यादव

Hello frds

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रोल मॉडल न मिलने की उनकी खीज पर तरस खाइए. 

अगर आप गोडसे अमर रहे कह कर खुश हैं तो बिल्कुल खुश रहें। लेकिन आप अपनी संतान को गोडसे के पथ पर ही चलने के लिये तो प्रेरित बिल्कुल न करें, और आप ऐसा कर भी रहे होंगे। 

एक बात मैं दावे से कह सकता हूँ कि  जितना गांधी वांग्मय मैंने पढ़ा है उससे मैं यह समझ पाया हूँ, कि अगर किन्ही कारणों या चमत्कार वश गांधी, गोडसे द्वारा गोली मारने के बाद भी जीवित बच जाते तो वे गोडसे को निश्चय ही माफ कर देते।

गोडसे हत्या का एक अपराधी था। जघन्य कृत्य था उसका। उसे कानून ने दोषी पाया और मृत्युदंड की सज़ा दी। गांधी और गोडसे दोनों का अस्तित्व, अंधकार और प्रकाश की तरह है। गांधी प्रकाश हैं तो गोडसे अंधकार। अब यह गोडसे अमर रहे मानने वालो के ऊपर है कि वे अपनी संतति को कौन सी दिशा देना चाहते हैं। 

जो मित्र गोडसे अमर रहे सम्प्रदाय के है, उनपर कोई भी प्रतिक्रिया न दें।  उनकी मजबूरी समझे। संघ को रोल मॉडल की तलाश है। वह भगत सिंह, सरदार पटेल से लेकर सुभाष बाबू तक एक अदद रोल मॉडल की तलाश में भटक रहे हैं। वे अपने रोल मॉडल के खोखलेपन से भी परिचित हैं और भारतीय समाज की उनके प्रति  अस्वीकार्यता का भी उन्हें पर्याप्त ज्ञान है। तभी कभी भी उनके बारे में कोई सार्वजनिक समारोह या सेमिनार आदि आयोजित नहीं करते हैं। 

दिक्कत यह है कि जब भी, वह रोल मॉडल  ढूंढते निकलते हैं वहां उन्हें अपनी विचारधारा के विपरीत ही कुछ न कुछ ऐसा मिल जाता है, जिससे वे असहज होने लगते हैं । दुष्प्रचार एक धुंध की तरह होता है। जब धुंध छंटती है तो सब साफ हो ही जाता है। रोल मॉडल का अभाव और नया मनमाफिक रोल मॉडल ढूंढ या न गढ़ पाने की असफलता से वे एक स्वाभाविक खीज से भर जाते हैं। उस खीज पर तरस खाइए, न कि उनका मज़ाक़ उड़ाइये। 

बस यह ध्यान रखिये कि हम आप गांधी के पथ पर चले या किसी और के पथ पर चलें, यह हम सबकी अपनी अपनी सोच पर निर्भर है, पर अपराध, घृणा और देश को विभाजित करने वाली सोच के पथ से अपने और अपनी सन्तति को दूर रखे। Hello frds

अशोक द्विवेदी "दिव्य"

गांधी जी और लाल बहादुर शाश्त्री दोनो लोगो का जन्म एक ही दिन हुआ , मग़र दोनो का व्यक्तित्व में काफी अंतर रहा । आज के नफ़रत और हिंसक राजनीति के दौर में गाँधी की बाते कुछ सार्थक है तो बदलते माहौल में कुछ सिद्धान्त पुराने हो गए है । शास्त्री जी किसान और फ़ौज में काफी लोकप्रिय रहे । और जय जवान जय किसान का नारा दिया । वैसे आज सुबह से एक पक्ष को गलत और दूसरे को सही दिखाया जा रहा है । आज के दौर में गाँधी से ज्यादा प्रासंगिक गोडसे हो गए है । एक बड़ा पक्ष गोडसे को देशभक्त और गाँधी को देशद्रोही मान रहे है । मग़

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कैप्शन में पढ़िए । गांधी जी और लाल बहादुर शाश्त्री दोनो लोगो का जन्म एक ही दिन हुआ , मग़र दोनो का व्यक्तित्व में काफी अंतर रहा ।
आज के नफ़रत और हिंसक राजनीति के दौर में गाँधी की बाते कुछ सार्थक है तो बदलते माहौल में कुछ सिद्धान्त पुराने हो गए है ।
शास्त्री जी किसान और फ़ौज में काफी लोकप्रिय रहे ।
और जय जवान जय किसान का नारा दिया ।
वैसे आज सुबह से एक पक्ष को गलत और दूसरे को सही दिखाया जा रहा है ।
आज के दौर में गाँधी से ज्यादा प्रासंगिक गोडसे हो गए है ।
एक बड़ा पक्ष गोडसे को देशभक्त और गाँधी को देशद्रोही मान रहे है ।
मग़

Bhardwaj Mayank

गांधी की सत्य अहिंसा भाईचारे वाले लाठी में दीमक लग रही,गोडसे की नफरत घृणा वाली बंदूक बेशकीमती हो गई 
गोडसे काल में जलती गांधी शास्त्री के शांति विकाश वाले भारत.
गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर नमन 
🙏🇮🇳🕉️☪️🇮🇳🙏 #MahatmaGandhi

Rahul Mishra

सरल भाषा में कहा जाए तो हर अपराध के दो पहलू सदैव होते हैं. पहला अपराधी और दूसरा पीड़ित !! आप पीड़ित को न्याय तब तक नहीं दिलवा सकते जब तक अपराधी को सज़ा ना हो जाए. जब जब पीड़ित के बारे में बात होगी तब तब अपराधी के बारे में भी बात की जाएगी. क्या यह मुमकिन है कि हम काले हिरण पे चर्चा करें और सलमान ख़ान का ज़िक्र तक ना हो? क्या ये मुमकिन है कि 9/11 की बात हो और ओसामा बिन लादेन को अनदेखा कर दिया जाए? मगर आज आप चाहते हैं कि हम अपराधियों की बात ना करें.  
आप चाहते हैं कि कठुआ की बात ना की जाए क्योंकि बलात्कारियों को बचाने के लिए निकला झुंड आपकी राजनैतिक विचारधारा का है. आप चाहते हैं कि उन्नाव की बात ना की जाए क्योंकि यहाँ बलात्कारी ही आपकी चहेती पार्टी का है? आप को यह समझना होगा कि आप धीरे धीरे अपनी ही बहन बेटियों के लिए खराब माहौल बना रहे है. आपका चहेता नेता कल को आपकी चहेती बेटी के साथ भी दुष्कर्म कर सकता है. किसी औरत को देख कर "टंच माल" कहने वाला आपका नेता कल को आपकी बहन को भी इसी तरह से संबोधित कर सकता है. "लड़के हैं !! ग़लतियाँ हो जाती है" बोलते हुए आपका दूसरा चहेता नेता आपकी बेटी के साथ भी वही ग़लती कर सकता है. इसलिए यह ज़रूरी हो गया है कि बुराई का विरोध किया जाए. अगर बुराई आपके धर्म में है, तो उसका विरोध कीजिए. अगर बुराई आपके घर में है तो उसका विरोध कीजिए. अगर बुराई आपकी पसंदीदा पार्टी में है तो उसका भी विरोध कीजिए. पार्टी या किसी नेता के प्रति भक्ति भाव त्याग कर अपने विवेक से काम लें और ग़लत को ग़लत कहने का साहस करें. 

मैं जानता हूँ कि विचारधारा की लड़ाई में सही ग़लत तय करना कठिन होता है मगर जो आपको साफ साफ ग़लत नज़र आ रहा है कम से कम उसका तो विरोध कर ही सकते हैं? आपने शंभूनाथ रैगर को अपना हीरो मान लिया? क्यों? क्योंकि उसके द्वारा की गयी नीच हरकत आपकी विचारधारा से मेल खाती थी. आपने गोडसे को "महात्मा" की उपाधि दे दी क्योंकि उसके द्वारा की गयी हत्या आपकी विचारधारा को सही प्रतीत हुई.  हर अपराधी किसी एक विचारधारा के हिसाब से हीरो बनाया जा सकता है. बिन लादेन भी कुछ इस्लामिक कट्टरपंथियों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं होगा. पूरी दुनिया उसकी कितनी भी खिलाफत कर ले मगर कुछ लोग ऐसे ज़रूर मिलेंगे जो बिन लादेन को हीरो मानते हैं और मानते रहेंगे. हमारे ही देश में कुछ लोगों की नज़रों में याक़ूब मेमन किसी हीरो से कम नहीं था क्योंकि उन लोगों की विचारधारा के हिसाब से याक़ूब ने जो किया वह सही था. अफ़ज़ल गुरु का समर्थन करने वाले बहुत से लोग हैं इस देश में क्योंकि अफ़ज़ल गुरु द्वारा किए गये अपराध उनकी विचारधारा की नज़र में सही थे. सलमान ख़ान पे दर्जनों अपराधिक केस क्यों ना चल रहें हो मगर "भाईजान के फ़ैन" उसको कभी ग़लत नहीं मानेंगे !! 

समय आ गया है जब आप अपनी पसंद और अपनी विचारधारा को किनारे रख कर सही और ग़लत में अंतर समझने का प्रयास करें. आप थोड़ी देर के लिए "भक्त", "वामपंथी", "खांग्रेस्सी" या "आपिये" वाले लेबल से खुद को बाहर निकालिए और ईमानदारी से अपराधियों का विरोध कीजिए. अगर किसी मुस्लिम द्वारा हिंदू लड़की का बलात्कार हो जाए तो वहाँ भी आप विचारधारा छोड़ कर हमेशा अपराधी का विरोध कीजिए चाहे वह आपकी चहेती पार्टी का या आपके अपने धर्म का क्यों ना हो. और यकीन मानों ऐसा करना ज़रूरी है. वरना जिस तरह कुछ लोगों के लिए गोडसे और कुछ लोगों के लिए लादेन जैसे लोग महात्मा बन गये हैं, वह दिन दूर नहीं जब कुलदीप सेंगर जैसे लोग भी महात्मा की उपाधि लेकर घूमेंगे और आप खुद से कभी नज़र नहीं मिला पाएँगे क्योंकि जब समय था तब आपने अपने पोलिटिकल एजेंडा के तहत उसका विरोध नहीं किया #justiceforasifa

रामकंवार पारासरिया

*देश की असली आजादी तो क्रांति के आई थी* तेरी दर्द भरी कहानी में मैं कैसे शामिल हो जाऊं, बहरूपिए हो तुम मैं कैसे शामिल हो जाउ, मैं कैसे भूलूं शहीदों की चीखों को, मैं कैसे भूलूं 23 साल के नौजवानों को, सूली आज भी मुझे वह दिख रही है, मेरी आंखो के सामने वह टिक रही है, अरे क्या करते हो तुम भारत पाकिस्तान का बंटवारा,

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*देश की असली आजादी तो क्रांति के आई थी* 

तेरी दर्द भरी कहानी में मैं कैसे शामिल हो जाऊं, 
बहरूपिए हो तुम मैं कैसे शामिल हो जाउ,
मैं कैसे भूलूं शहीदों की चीखों को,
मैं कैसे भूलूं 23 साल के नौजवानों को,
सूली आज भी मुझे वह दिख रही है,
मेरी आंखो के सामने वह टिक रही है,
अरे क्या करते हो तुम भारत पाकिस्तान का बंटवारा,
जरा उन जवानों को भी याद कर लो जिन्होंने अपना जीवन इन दोनों मुल्कों पर वारा।
मैं गांधी जी का बन जाऊं पुजारी,
लेकिन बंटवारे के वक्त क्या उन्हें याद नहीं आई हमारी,
वतन बंट रहा था तुम मौन थे,
अब पूछ रहे हो कि नाथूराम गोडसे कौन थे,
बंग भंग हुआ तब भी तुम ना समझे,
दिल का टुकड़ा छीन ले गया जिन्ना तब भी तुम ना संभले,
अच्छा हुआ गांधीजी तुम को गोडसे ने मार दिया,
जब जिन्ना की बातों में आकर हिंदुस्तान और पाकिस्तान को अलग किया,
मेरी नजर में हिंदुस्तान का आज हर एक युवा मौन है,
जरा पूछो उन फांसी पर लटके हुए जवानों से कि वह कौन है,
मुझे आज भी याद है जो कत्लेआम हुआ,
हिंदुस्तान जब पाकिस्तान के रूप में बर्बाद हुआ,
हां तुम थे अहिंसा के पुजारी मैं भी बन जाऊं,
पर मैं उस आजाद को कैसे भूल जाऊं,
आजाद था, आजाद है,आजाद रहेगा,इस वचन को मैं कैसे झुटलाऊँ,
जलियां की वह आग आज भी सीने में चिंगारी बन कर बैठी है,
सभी अपनी अपनी राजनीति में लगे हुए हैं कौन कहता है कि देश मेरी माटी,
अरे पूछो उन माताओं को जिन्होंने अपने सीने पर पत्थर रख दिया,
अपने आंख के तारे को देश के लिए न्योछावर कर दिया,
पूछो उस पिता से जिसके सामने भगत सिंह ने बंदूक के बोई थी,
क्या उस रात उस पिता की आंखें चैन से सोई थी,
इंकलाब की वह बोली घर-घर में गूंज उठी थी,
तुम्हारी अहिंसा की उस टोली में कितनी चीखें रोज उठी,
तुम सही हो यह "पारासरिया" मानता है,
व्यक्तिगत तौर पर नहीं पर इतिहास के जरिये उनको जानता है,
तुमने अपने तरीके में शांति अपनाई थी,
लेकिन देश की असली आजादी तो क्रांति से आई थी,
देश की असली आजादी तो क्रांति के आई थी। *देश की असली आजादी तो क्रांति के आई थी* 

तेरी दर्द भरी कहानी में मैं कैसे शामिल हो जाऊं, बहरूपिए हो तुम मैं कैसे शामिल हो जाउ,
मैं कैसे भूलूं शहीदों की चीखों को,
मैं कैसे भूलूं 23 साल के नौजवानों को,
सूली आज भी मुझे वह दिख रही है,
मेरी आंखो के सामने वह टिक रही है,
अरे क्या करते हो तुम भारत पाकिस्तान का बंटवारा,
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