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thepoetry_project
जवानी में प्रेमिका को ना लिखे होते खत तो करने को कुछ था ही नही , जिस किताब में प्रेमिका का खत रखा हो उसका पन्ना मौडा जाता था , घर से भागना भी था तो खत छोड़ा जाता था , वह सारी चिठिया क्या थी बगावत , मोहबत , प्यार , स्नेह , निमंत्रण और माफी था मां की चिट्ठी आई है रुलाने के लिए एक वाक्य ही काफी था , इन दिनों किसी पुराने संदूक में कोई पुराना खत मिल जाए तो उसे चुप चुप कर किस करते हो की नहीं सच सच बताना यार मिस करते हो कि नही , #shailesh_lodha
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जैसे मजबूरी भरे दुनिया दारी के जबाब देने लगता हूँ वो झूठा ही सही मुझे अहसास कराती है जैसे सब समझ गयी हो लेकिन आँखें बंद करके रोती है, सपने में खेलते हुए मेरे साथ सोती है जिंदगी ना जाने क्यों इतना उलझ जाती है और हम समझते है कि बेटियां सब समझ जाती है #shailesh_lodha #shailesh
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मर्सर्डीस की ड्राइव ,फाइव स्टार में खाने नए नए आईपॉड्स नहीं मांगती , ना कि वो बहुत सरे पैसे अपने पिग्गी बैग में उड़ेलना चाहती है वो बस कुछ देर मेरे साथ खेलना चाहती है वही बेटा काम है बहुत जरूरी काम है में शूटिंग करना जरूरी है नहीं करूँगा तो कैसे चलेगा #shailesh_lodha
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क्या लिखूँ की वो परियो का रूप होती है ! या कड़कती ठण्ड में सुहानी धूप होती है ! वो होती है चिड़िया की चहचाहट की तरह , या फिर निच्चल खिलखिलाहट, वो अक्क्षर जो न हो तो वर्णमाला अधूरी है ! वो जो सबसे जयादा जरूरी है ! ये नहीं कहूँगा कि वो हर वक़्त सांस सांस होती है ! क्यूकि बेटिया तो सिर्फ अहसास होती है #shailesh_lodha #thepoetry_project
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वो आँगन में फैला उजाला है, या मेरे गुस्से पे लगा ताला है ! वो पहाड़ की चोटी पर सूरज की किरण है, वो जिंदगी सही जीने का आचरण है, है वो ताकत जो छोटे से घर को महल कर दे, वो काफ़िया जो किसी ग़ज़ल को मुक्कम्मल कर दे !! #shailesh_lodha
Pravin Malviya
जवानी में प्रेमिका को ना लिखे होते खत तो करने को कुछ था ही नही , जिस किताब में प्रेमिका का खत रखा हो उसका पन्ना मौडा जाता था , घर से भागना भी था तो खत छोड़ा जाता था , वह सारी चिठिया क्या थी बगावत , मोहबत , प्यार , स्नेह , निमंत्रण और माफी था मां की चिट्ठी आई है रुलाने के लिए एक वाक्य ही काफी था , इन दिनों किसी पुराने संदूक में कोई पुराना खत मिल जाए तो उसे चुप चुप कर किस करते हो की नहीं सच सच बताना यार मिस करते हो कि नही , #shailesh_lodha
Pravin Malviya
जैसे मजबूरी भरे दुनिया दारी के जबाब देने लगता हूँ वो झूठा ही सही मुझे अहसास कराती है जैसे सब समझ गयी हो लेकिन आँखें बंद करके रोती है, सपने में खेलते हुए मेरे साथ सोती है जिंदगी ना जाने क्यों इतना उलझ जाती है और हम समझते है कि बेटियां सब समझ जाती है #shailesh_lodha #shailesh
Pravin Malviya
मर्सर्डीस की ड्राइव ,फाइव स्टार में खाने नए नए आईपॉड्स नहीं मांगती , ना कि वो बहुत सरे पैसे अपने पिग्गी बैग में उड़ेलना चाहती है वो बस कुछ देर मेरे साथ खेलना चाहती है वही बेटा काम है बहुत जरूरी काम है में शूटिंग करना जरूरी है नहीं करूँगा तो कैसे चलेगा #shailesh_lodha
Pravin Malviya
क्या लिखूँ की वो परियो का रूप होती है ! या कड़कती ठण्ड में सुहानी धूप होती है ! वो होती है चिड़िया की चहचाहट की तरह , या फिर निच्चल खिलखिलाहट, वो अक्क्षर जो न हो तो वर्णमाला अधूरी है ! वो जो सबसे जयादा जरूरी है ! ये नहीं कहूँगा कि वो हर वक़्त सांस सांस होती है ! क्यूकि बेटिया तो सिर्फ अहसास होती है #shailesh_lodha #thepoetry_project
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