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Vishal Kashyap Rajpoot

#Childhood #BHACHPAN #Kids #baby #boy #girl Bijay Dutta Renuka Singh Ritu Khushboo Rani Pradeep Kumar

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बचपन की शैतानियाँ क्या खूब थे वो बचपन के दिन, 
जब गली में हम दादा बनकर  घुमा करते थे । 
क्या खूब थे वो बचपन के दिन,
जब क्लास में पिटने पर टीचर को पीटा करते थे  ।
क्या खूब थे वो बचपन के दिन ,
जब  घर देर से आने पर पापा हमको पीटा करते  थे ।, #childhood #bhachpan #kids #baby #boy #girl Bijay Dutta Renuka Singh Ritu Khushboo Rani Pradeep Kumar

Arshin Bee

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भगवान के नाम पर उसे लगातार पीटा जा रहा था।  बिच सड़क पर उस बेगुनाह को,                बेवजा  घसीटा जा रहा था,                                                         धर्मं का  धंधा करने वाले ;                          अपनी औकात दिखा रहे थे,                                                            और भगवान  का दिल भी उस  ,               मजलूम पर पसीजा जा रहा था,                        बडी तादाद में खडे थे ,                                 लोग मौत का तमासा देखने ,                            जब भगवान के नाम पर उसे ,,                            लगातार  पीटा जा रहा था।

कवि रंजन सिंह

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भगवान के नाम पर उसे पीटा जा रहा था
यूँ पैरो से पकड़,  उसे घसीटा जा रहा था
न मुस्लिम, न कोई  हिन्दू सब हैं उसके बंदे
फिर भी धर्म के नाम पे ही पीटा जा रहा था

Gudvin Barche

भगवान के नाम पर उसे लगातार पीटा जा रहा था। पीटा जा रहा था  घसीटा जा रहा था सच मानो उसे उस नाम से नफरत हो गई जो नाम लेकर वह मांग कर खा रहा था मरना ही है तो उन्हें मारो जो देश में गंदगी फैला रहे हैं जो नेता  इज्जत पाकर  बेइज्जत जनता को  कर  रहे हैं #hamariadhurikahani

Parvindar Projwal

भगवान नही होते साहब! #hamariadhurikahani #MeriKahani #CTL #bhagwaan #Bhakti #viswaas #Love #Life #mrpro #mrperry

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हर दर्द वो सहता जा रहा था 
जब वेसे भगवान के नाम पर पीटा जा रहा था।
पीड़ा से वो कहारता, पुकारता 
लेकिन हर व्यक्ति बस उसे देखे जा रहा था।
भूख से परेशान,जो भिखारी सा दिखने वाला वो व्यक्ति,
जिसने मंदिर से प्रसाद जो चुरा लिया था 
शायद उसको मंदिर के पुजारी के साथ साथ 
भगवान के भक्त भी उसे चोर समझ बैठे थे,
भगवान के घर में चोरी करता है!
भगवान के नाम पर उसे लगातार पीटा जा रहा था
फिर उसे वँहा से भगा दिया ।
वो व्यक्ति मंदिर से दूर निकल गया ।
वँहा किसी सज्जन पुरुष ने उसे देखा 
और पानी की बोतल उसको दे दी
उसने कहा साहब पानी नही खाना खिला दो।
सज्जन व्यक्ति ने खाना खिलाया और उसका हाल जाना ।
अन्त में उस भिखारी से दिखने वाले व्यक्ति ने कहा कि 
"भगवान मंदिर में नही होते और न ही उसके आस पास!" भगवान नही होते साहब!
#hamariadhurikahani #merikahani #CTL #bhagwaan #bhakti #viswaas #love #life #mrpro #mrperry

krisha

लघुकथा🙌

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इंसानियत का फिर एक बार सौदा किया जा रहा था
एक बार फिर किसी इंसान की ईमानदारी पर सवाल उठ रहा था
गुनाह बस इतना ,कुछ बेगुनाह बच्चे थे उसके
जिनके परवरिश के लिए न पैसे बचे थे उसके
लगातार बेहाली के बाद उसे ख्याल आया
क्यों न भगवान से इसका हिसाब लिया जाये
इसी सोच मे निकल पड़ा वो मंदिर की ओर
क्या पता था कि वो लौट कर घर अब न आये
लगा इंल्लजाम चोरी का, बेगरती का पीटा जाये?
हुआ यु सवाल करते -2वो इतना मदहोश हुआ कि उसको होश हि ना था कि कब उसका हाथ पास पड़ी दानपेटी पड़ा
फटे-पुराने कपडे देख, लोगों नेउसके चोर होने पर विश्वास किया
और ना जाने कब तक एक बेगुनाह को भगवान के नाम पर  लगातार पीटा गया... #लघुकथा🙌

Rahul Mishra

Holi Hai !!

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उम्र तकरीबन दस साल रही होगी. आज ही की तरह होली का दिन था. मेरे मोहल्ले के एक लड़के ने मेरे मूँह पे रंग भरा गुब्बारा फोड़ दिया. "फ़चाक" की आवाज़ के साथ ही वहाँ खड़ा हर कोई ठहाके मार कर मुझपे हँसने लगा. उसका ये मज़ाक मुझे पसंद नहीं आया और मैंने उसको एक जोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया. चार घंटे बाद ही वह अपने भाई को ले आया और उन दोनों ने मिलकर मुझे बहुत पीटा. अगले दिन स्कूल में मेरे कुछ दोस्तों ने मिलकर उसपे लात घूँसों की बरसात कर दी. कुछ दिन वह स्कूल नहीं आया मगर जिस दिन वापस आया उसने और उसके दोस्तों ने मुझे हॉकी से पीटा. एक महीने के अंदर ही मैने भी उसका सिर फोड़ दिया और बदला ले लिया.
 
ये लड़ाई कभी ख़त्म नहीं हुई . ना उसने कभी शहर बदला, ना मैने कभी मकान बदला. हम दोनों आज भी उसी मोहल्ले उसी इलाक़े मे रहते हैं. हम दोनों हमेशा से दुश्मन रहे और इसी दुश्मनी के बीच हम बड़े भी हो गये. आज भी दफ़्तर जाते हुए उसकी दुकान के सामने से निकलता हूँ तो  ना वह कुछ बोलता है ना मैं कुछ कहता हूँ. हमारी बोलचाल इस हद तक बंद थी कि ना उसने मुझे अपनी शादी पे बुलाया ना मैने ही उसको अपनी शादी का कार्ड भेजा. हम आज भी एक दूसरे को फूटी नज़र नहीं सुहाते.  

खैर!! कल की होली बहुत खास थी. मोहल्ले में सभी बच्चे जब होली खेल रहे थे तब उसके सात साल के बेटे ने खेल खेल में मेरे बेटे के गाल पे एक रंग भरा गुब्बारा फोड़ दिया. आसपास जो भी था ठहाके मार के हँसने लगा. मैं ये नज़ारा अपनी छत पे खड़ा हो कर देख रहा था. मुझे लगा जैसे मेरा बचपन एक बार फिर से मेरे सामने आ गया हो. आगे होने वाली लड़ाई को रोकने के लिए मैं भागा भागा मोहल्ले में गया तो क्या देखता हूँ कि मेरा बेटा भी उसके बेटे के उपर गुब्बारे फोड़ रहा है. दोनो हँस हँस के एक दूसरे के उपर गुब्बारे फोड़ रहे हैं और खूब मस्ती कर रहे है. ना जाने क्यों, मेरी आँखों से आँसू निकल आए !!

मैं सोच में डूब गया कि क्या इतना आसान था जिंदगी भर की दुश्मनी को रोक पाना? उस दिन उसके गुब्बारे का जवाब मैं थप्पड़ से ना दे कर एक गुब्बारे से दे देता तो शायद मेरे पास एक दोस्त ज़्यादा होता और एक दुश्मन कम.  मित्रों !! होली रंगों का पर्व है, इसे रंजिशों का पर्व ना बनाए. होली मुबारक !! #NojotoQuote Holi Hai !!

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 16 – भाग्य-भोग 'भगवन! इस जीव का भाग्य-विधान?' कभी-कभी जीवों के कर्मसंस्कार ऐसे जटिल होते हैं कि उनके भाग्य का निर्णय करना चित्रगुप्त के लिये भी कठिन हो जाता है। अब यही एक जीव मर्त्यलोक से आया है। इतने उलझन भरे इसके कर्म है - नरक में, स्वर्ग में अथवा किसी योनि-विशेष में कहाँ इसे भेजा जाय, समझ में नहीं आता। देहत्याग के समय की इसकी अन्तिम वासना भी (जो कि आगामी प्रारब्ध की मूल निर्णायिका होती है) कोई सहायता नहीं देती। वह वासना भी केवल देह की स्

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
16 – भाग्य-भोग

'भगवन! इस जीव का भाग्य-विधान?' कभी-कभी जीवों के कर्मसंस्कार ऐसे जटिल होते हैं कि उनके भाग्य का निर्णय करना चित्रगुप्त के लिये भी कठिन हो जाता है। अब यही एक जीव मर्त्यलोक से आया है। इतने उलझन भरे इसके कर्म है - नरक में, स्वर्ग में अथवा किसी योनि-विशेष में कहाँ इसे भेजा जाय, समझ में नहीं आता। देहत्याग के समय की इसकी अन्तिम वासना भी (जो कि आगामी प्रारब्ध की मूल निर्णायिका होती है) कोई सहायता नहीं देती। वह वासना भी केवल देह की स्

RAJ SINGH ✔️

*नाकाम आशिक़* पार्ट १- “गुलाब दिवस” बी.कॉम सेकेण्ड ईयर में पढ़ने वाला विशाल अभी नया नया जवान हुआ था। यही कोई उन्निस बीस के आस पास! सारूख की फ़िल्म देख के बौराया हुआ। गाँव से दूर पढ़ाई करने निकलने वाला ये लड़का शहर में पढ़ाई छोड़ सब कुछ कर रहा था। दोस्ती-दुनियादारी साथ निभा रहा था। इसका एक रूम मेट लक्ष्मण जो पढ़ाई में बी॰ए॰ कर रहा था और मिज़ाज से थोड़ा हरामी था! विशाल के क्लास में पढ़ती थी निधि। निधि चौधरी। निधि अपने आप में मस्त रहने वाली लड़की थी। दुनिया दारी से परे। जिसे न डबल मीनिंग जोक सम

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*नाकाम आशिक़*
पार्ट १- “गुलाब दिवस” 

बी.कॉम  सेकेण्ड ईयर में पढ़ने वाला विशाल अभी नया नया जवान हुआ था। यही कोई उन्निस बीस के आस पास! सारूख की फ़िल्म देख के बौराया हुआ। गाँव से दूर पढ़ाई करने निकलने वाला ये लड़का शहर में पढ़ाई छोड़ सब कुछ कर रहा था। दोस्ती-दुनियादारी साथ निभा रहा था। इसका एक रूम मेट लक्ष्मण जो पढ़ाई में बी॰ए॰ कर रहा था और मिज़ाज से थोड़ा हरामी था!

विशाल के क्लास में पढ़ती थी निधि। निधि चौधरी। निधि अपने आप में मस्त रहने वाली लड़की थी। दुनिया दारी से परे। जिसे न डबल मीनिंग जोक सम


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